चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिला प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा कुमारडूंगी कस्तूरबा गांधी विद्यालय की बच्चियों को उठाना पड़ रहा है. गर्मी की शुरुआत होते ही यहां पानी की किल्लत शुरू हो जाती है. विद्यालय में पानी की किल्लत होने से बच्चियों को पानी के लिए जंगल में जाना पड़ता है, जो बच्चियों की सुरक्षा की दृष्टि से सही नहीं है.
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पानी की समस्या बरकरार
गर्मी शुरू होते ही कस्तूरबा गांधी विद्यालय के परिसर में लगे चापाकल और बोरिंग से रुक-रुक कर पानी निकलता है, जिससे इस विद्यालय में पढ़ने वाली छात्रओं को काफी परेशानी होती है. इस संबंध में विद्यालय के वार्डन कई बार अपने उच्च अधिकारियों से गुहार लगा चुकी है. उसके बावजूद अब तक कोई पहल नहीं की है. विद्यालय परिसर में 2 चापाकल और तीन बोरिंग करवाया गया है, जो 10 से 15 मिनट पानी देने के बाद बंद हो जाते हैं. ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ 4 दिन की बात है. हर साल यहां बच्चियां पानी की समस्या से जूझती हैं.
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पानी के लिए लेना पड़ता है तालाब का सहारा
संबंधित विभाग से शिकायत करने पर कई बार इसे ठीक करने का प्रयास किया गया, लेकिन समस्या जस की तस है. विद्यालय की बच्चियां पानी के लिए परेशान रहती है, उसके बावजूद अब तक पेयजल विभाग इसे दुरुस्त नहीं कर सकी है. इस कारण विद्यालय के बच्चियों को जंगल स्थित तालाब का सहारा लेना पड़ता है, जो सुरक्षा की दृष्टीकोण से सही नहीं है. विद्यालय की शिक्षिका नुसरत खातून बताती हैं कि विद्यालय परिसर क्षेत्र में वाटर लेवल की कमी है. डीप बोरिंग भी की गई है, लेकिन वाटर लेवल की कमी होने के कारण पानी रुक-रुक कर आता है. मोटर चालू करने पर भी 10 से 15 मिनट से ज्यादा पानी नहीं मिल पाता है.
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अक्सर बनी रहती है पानी की समस्या
शिक्षिका नुसरत खातून ने बताया कि परिसर में ही एक चापाकल है, जिसका पानी पीने योग्य है. उन्होंने बताया कि विधायक फंड और प्रखंड स्तर से भी बोरिंग कराई गई है, लेकिन ड्राई जोन होने के कारण पानी की अक्सर समस्या बनी रहती है. पानी के लिए नजदीक के किसी चापाकल या फिर जंगल स्थित तालाब में बच्चियों को जाना पड़ता है. तालाब जाने के क्रम में 100 बच्चियों पर 3 महिला शिक्षक उनके साथ रहती हैं.
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काफी नीचे है पानी का लेवल
विद्यालय की प्रधान बताती हैं कि पठारी क्षेत्र होने के कारण यहां पानी का लेवल काफी नीचे है, जबकि परिसर से कुछ ही दूरी पर पानी का लेवल काफी अच्छा है. अगर वहां से बोरिंग कर पाइप के माध्यम से स्कूल में पानी की सप्लाई दी जाए तो पानी की समस्या का समाधान हो सकता है, लेकिन पेयजल एवं शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों का ध्यान इस ओर कभी नहीं गया. स्कूल परिसर में ही दो चापाकल और तीन बोरिंग करवा दी गई है, लेकिन परिसर से ही कुछ दूरी पर पानी का लेवल चेक कर बोरिंग करवाने की जहमत किसी ने नहीं उठाई.
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जल मीनार की स्थिति दयनीय
इधर, छात्राओं ने बताया कि यहां जल स्रोत काफी कम है. सुबह बोरिंग से मोटर चालू करने पर 10 से 15 मिनट ही पानी देता है, उसके बाद जल मीनार में पानी नहीं चलता है. इस कारण शिक्षकों ने उनके लिए अलग-अलग समय निर्धारित किया है. 10 से 15 मिनट में जितना पानी निकलता है, उसी से सभी अपना काम चलाते हैं.