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कस्तूरबा गांधी विद्यालय में पानी की किल्लत, छात्राएं परेशान - Kasturba Gandhi school

गर्मी का सीजन शुरू होते ही चाईबासा के कस्तूरबा गांधी विद्यालय में पानी की किल्लत शुरू हो जाती है, जिससे इस विद्यालय में पढ़ने वाली छात्रओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पानी के लिए छात्राओं को जंगल के अंदर तालाब में जाना पड़ता है, जो सुरक्षा के लिहाज से सही नहीं है. इस संबंध में उच्च अधिकारियों से कई बार गुहार भी लगाई जा चुकी है, लेकिन इस ओर देखने वाला कोई नहीं है.

Water problem in Kasturba Gandhi school
कस्तूरबा गांधी विद्यालय में पानी की किल्लत
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Published : Apr 13, 2021, 5:40 PM IST

Updated : Apr 13, 2021, 9:30 PM IST

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिला प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा कुमारडूंगी कस्तूरबा गांधी विद्यालय की बच्चियों को उठाना पड़ रहा है. गर्मी की शुरुआत होते ही यहां पानी की किल्लत शुरू हो जाती है. विद्यालय में पानी की किल्लत होने से बच्चियों को पानी के लिए जंगल में जाना पड़ता है, जो बच्चियों की सुरक्षा की दृष्टि से सही नहीं है.

देखें स्पेशल खबर

ये भी पढ़ें-कस्तूरबा विद्यालयों में परियोजनाकर्मी ही सप्लायर, रिश्तेदारों के नाम पर बनाए फर्म

पानी की समस्या बरकरार

गर्मी शुरू होते ही कस्तूरबा गांधी विद्यालय के परिसर में लगे चापाकल और बोरिंग से रुक-रुक कर पानी निकलता है, जिससे इस विद्यालय में पढ़ने वाली छात्रओं को काफी परेशानी होती है. इस संबंध में विद्यालय के वार्डन कई बार अपने उच्च अधिकारियों से गुहार लगा चुकी है. उसके बावजूद अब तक कोई पहल नहीं की है. विद्यालय परिसर में 2 चापाकल और तीन बोरिंग करवाया गया है, जो 10 से 15 मिनट पानी देने के बाद बंद हो जाते हैं. ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ 4 दिन की बात है. हर साल यहां बच्चियां पानी की समस्या से जूझती हैं.

Water problem in Kasturba Gandhi school
खराब पड़े बोरिंग

पानी के लिए लेना पड़ता है तालाब का सहारा

संबंधित विभाग से शिकायत करने पर कई बार इसे ठीक करने का प्रयास किया गया, लेकिन समस्या जस की तस है. विद्यालय की बच्चियां पानी के लिए परेशान रहती है, उसके बावजूद अब तक पेयजल विभाग इसे दुरुस्त नहीं कर सकी है. इस कारण विद्यालय के बच्चियों को जंगल स्थित तालाब का सहारा लेना पड़ता है, जो सुरक्षा की दृष्टीकोण से सही नहीं है. विद्यालय की शिक्षिका नुसरत खातून बताती हैं कि विद्यालय परिसर क्षेत्र में वाटर लेवल की कमी है. डीप बोरिंग भी की गई है, लेकिन वाटर लेवल की कमी होने के कारण पानी रुक-रुक कर आता है. मोटर चालू करने पर भी 10 से 15 मिनट से ज्यादा पानी नहीं मिल पाता है.

Water problem in Kasturba Gandhi school
स्कूल की छात्राएं

ये भी पढ़ें-इस विद्यालय में छात्राओं ने आज तक नहीं रखा कदम, जानें क्या है कारण

अक्सर बनी रहती है पानी की समस्या

शिक्षिका नुसरत खातून ने बताया कि परिसर में ही एक चापाकल है, जिसका पानी पीने योग्य है. उन्होंने बताया कि विधायक फंड और प्रखंड स्तर से भी बोरिंग कराई गई है, लेकिन ड्राई जोन होने के कारण पानी की अक्सर समस्या बनी रहती है. पानी के लिए नजदीक के किसी चापाकल या फिर जंगल स्थित तालाब में बच्चियों को जाना पड़ता है. तालाब जाने के क्रम में 100 बच्चियों पर 3 महिला शिक्षक उनके साथ रहती हैं.

Water problem in Kasturba Gandhi school
सुखे पड़े चापाकल

काफी नीचे है पानी का लेवल

विद्यालय की प्रधान बताती हैं कि पठारी क्षेत्र होने के कारण यहां पानी का लेवल काफी नीचे है, जबकि परिसर से कुछ ही दूरी पर पानी का लेवल काफी अच्छा है. अगर वहां से बोरिंग कर पाइप के माध्यम से स्कूल में पानी की सप्लाई दी जाए तो पानी की समस्या का समाधान हो सकता है, लेकिन पेयजल एवं शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों का ध्यान इस ओर कभी नहीं गया. स्कूल परिसर में ही दो चापाकल और तीन बोरिंग करवा दी गई है, लेकिन परिसर से ही कुछ दूरी पर पानी का लेवल चेक कर बोरिंग करवाने की जहमत किसी ने नहीं उठाई.

Water problem in Kasturba Gandhi school
सुखे पड़े नल

ये भी पढ़ें-बिहार के सुपर 30 की तर्ज पर खूंटी में सुपर 31 योजना, कस्तूरबा गांधी विद्यालय की 31 छात्राएं करेंगी IIT की तैयारी

जल मीनार की स्थिति दयनीय

इधर, छात्राओं ने बताया कि यहां जल स्रोत काफी कम है. सुबह बोरिंग से मोटर चालू करने पर 10 से 15 मिनट ही पानी देता है, उसके बाद जल मीनार में पानी नहीं चलता है. इस कारण शिक्षकों ने उनके लिए अलग-अलग समय निर्धारित किया है. 10 से 15 मिनट में जितना पानी निकलता है, उसी से सभी अपना काम चलाते हैं.

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिला प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा कुमारडूंगी कस्तूरबा गांधी विद्यालय की बच्चियों को उठाना पड़ रहा है. गर्मी की शुरुआत होते ही यहां पानी की किल्लत शुरू हो जाती है. विद्यालय में पानी की किल्लत होने से बच्चियों को पानी के लिए जंगल में जाना पड़ता है, जो बच्चियों की सुरक्षा की दृष्टि से सही नहीं है.

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पानी की समस्या बरकरार

गर्मी शुरू होते ही कस्तूरबा गांधी विद्यालय के परिसर में लगे चापाकल और बोरिंग से रुक-रुक कर पानी निकलता है, जिससे इस विद्यालय में पढ़ने वाली छात्रओं को काफी परेशानी होती है. इस संबंध में विद्यालय के वार्डन कई बार अपने उच्च अधिकारियों से गुहार लगा चुकी है. उसके बावजूद अब तक कोई पहल नहीं की है. विद्यालय परिसर में 2 चापाकल और तीन बोरिंग करवाया गया है, जो 10 से 15 मिनट पानी देने के बाद बंद हो जाते हैं. ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ 4 दिन की बात है. हर साल यहां बच्चियां पानी की समस्या से जूझती हैं.

Water problem in Kasturba Gandhi school
खराब पड़े बोरिंग

पानी के लिए लेना पड़ता है तालाब का सहारा

संबंधित विभाग से शिकायत करने पर कई बार इसे ठीक करने का प्रयास किया गया, लेकिन समस्या जस की तस है. विद्यालय की बच्चियां पानी के लिए परेशान रहती है, उसके बावजूद अब तक पेयजल विभाग इसे दुरुस्त नहीं कर सकी है. इस कारण विद्यालय के बच्चियों को जंगल स्थित तालाब का सहारा लेना पड़ता है, जो सुरक्षा की दृष्टीकोण से सही नहीं है. विद्यालय की शिक्षिका नुसरत खातून बताती हैं कि विद्यालय परिसर क्षेत्र में वाटर लेवल की कमी है. डीप बोरिंग भी की गई है, लेकिन वाटर लेवल की कमी होने के कारण पानी रुक-रुक कर आता है. मोटर चालू करने पर भी 10 से 15 मिनट से ज्यादा पानी नहीं मिल पाता है.

Water problem in Kasturba Gandhi school
स्कूल की छात्राएं

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अक्सर बनी रहती है पानी की समस्या

शिक्षिका नुसरत खातून ने बताया कि परिसर में ही एक चापाकल है, जिसका पानी पीने योग्य है. उन्होंने बताया कि विधायक फंड और प्रखंड स्तर से भी बोरिंग कराई गई है, लेकिन ड्राई जोन होने के कारण पानी की अक्सर समस्या बनी रहती है. पानी के लिए नजदीक के किसी चापाकल या फिर जंगल स्थित तालाब में बच्चियों को जाना पड़ता है. तालाब जाने के क्रम में 100 बच्चियों पर 3 महिला शिक्षक उनके साथ रहती हैं.

Water problem in Kasturba Gandhi school
सुखे पड़े चापाकल

काफी नीचे है पानी का लेवल

विद्यालय की प्रधान बताती हैं कि पठारी क्षेत्र होने के कारण यहां पानी का लेवल काफी नीचे है, जबकि परिसर से कुछ ही दूरी पर पानी का लेवल काफी अच्छा है. अगर वहां से बोरिंग कर पाइप के माध्यम से स्कूल में पानी की सप्लाई दी जाए तो पानी की समस्या का समाधान हो सकता है, लेकिन पेयजल एवं शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों का ध्यान इस ओर कभी नहीं गया. स्कूल परिसर में ही दो चापाकल और तीन बोरिंग करवा दी गई है, लेकिन परिसर से ही कुछ दूरी पर पानी का लेवल चेक कर बोरिंग करवाने की जहमत किसी ने नहीं उठाई.

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इधर, छात्राओं ने बताया कि यहां जल स्रोत काफी कम है. सुबह बोरिंग से मोटर चालू करने पर 10 से 15 मिनट ही पानी देता है, उसके बाद जल मीनार में पानी नहीं चलता है. इस कारण शिक्षकों ने उनके लिए अलग-अलग समय निर्धारित किया है. 10 से 15 मिनट में जितना पानी निकलता है, उसी से सभी अपना काम चलाते हैं.

Last Updated : Apr 13, 2021, 9:30 PM IST
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