चाईबासा,मझगांव: भारत सरकार ने 2 अक्टूबर को देश को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया है. स्वच्छता अभियान के नाम पर सरकार घर-घर शौचालय बनाने और एलपीजी गैस कनेक्शन का दावा कर रही है. इसके लिए अभियान भी जोरों से चलाया जा रहा है, लेकिन मझगांव प्रखंड के कई प्राइमरी और माध्यमिक स्कूलों में आज भी शौचालयों का बुरा हाल है. इस वजह से स्कूली बच्चों को शौचालय के लिए बाहर जाना पड़ता हैं.
सालों से नहीं है शौचालय
'स्वच्छ भारत अभियान' के तहत घर-घर शौचालय बनाएं जा रहे हैं, ताकि बेटियों को शर्मसार ना होना पड़े, लेकिन मझगांव प्रखंड में कई ऐसे सरकारी स्कूल हैं, जहां बेटियों को शर्मसार होना पड़ता है. इस प्रखंड का मंजर यह है कि यहां के कई स्कूलों का हाल बेहाल है. इन स्कूलों में शुद्ध पानी की व्यवस्था तो दूर की बात है. यहां सालों से शौचालय तक नहीं है. मजबूरन यहां के ब्च्चों और शिक्षकों को शौचालय के लिए बाहर जाना पड़ता है.
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बीईईओ और बीपीओ की लापरवाही
मामला पश्चिम सिंहभूम के मझगांव प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय मांगापाट और उत्क्रमित प्राथमिक विघालय बुरामपादा की है, जहां शिक्षा विभाग के अधिकारियों, बीईईओ और बीपीओ की लापरवाही से शौचालय नहीं बन पाया. मध्य विधालय मांगापाट के पारा शिक्षक सह सचिव भक्तबंदु महतो का कहना है कि उनके पदभार से पहले मद की राशी विभाग की ओर से उपलब्ध कराई गई थी जो पूर्व सचिव ने खर्च कर दिए. इस वजह से शौचालय की मरम्मत कराना संभव नहीं हैं. उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले बीडीओ यहां आए थे तो कहा था कि आने वाले सालों में में इसे ठीक करा दिया जाएगा.
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नहीं हो रहा एलपीजी गैस का उपयोग
सरकार पर्यावरण को बचाने के लिए अनेक प्रकार की योजना चला रही है, ताकि पर्यावरण की रक्षा हो सके. इसके लिए सरकार की ओर से निर्देश जारी किया गया है कि किसी भी सरकारी विधालयों में लकड़ी से मध्याहन भोजन नहीं बनाना है, लेकिन अभी तक मझगांव प्रखंड के मांगापाट सहित अन्य विधालयों में भी एलपीजी गैस का उपयोग नहीं किया जा रहा है. इससे यह साबित होता है कि मझगांव के पदाधिकारी अपने जिम्मेदारी को कितना निभा रहे हैं.