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खोखला साबित हो रहा देश का खुले में शौच मुक्त होने का दावा, इस स्कूल में आज भी नहीं है शौचालय - चाईबासा के मझगांव प्रखंड

पीएम मोदी ने 2 अक्टूबर को देश को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया है, लेकिन चाईबासा के कई स्कूलों में शौचालय की व्यवस्था नहीं है. यहां के विधालयों के बच्चों और शिक्षकों को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है, साथ ही सरकारी विधालयों में लकड़ी से मध्याहन भोजन बनाने पर सरकार ने रोक लगाई है, लेकिन ज्यादातर स्कूलों में एलपीजी गैस का उपयोग नहीं किया जा रहा है.

चाईबासा के स्कूलों में सालों से नहीं है शौचालय
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Published : Oct 6, 2019, 10:20 PM IST

चाईबासा,मझगांव: भारत सरकार ने 2 अक्टूबर को देश को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया है. स्वच्छता अभियान के नाम पर सरकार घर-घर शौचालय बनाने और एलपीजी गैस कनेक्शन का दावा कर रही है. इसके लिए अभियान भी जोरों से चलाया जा रहा है, लेकिन मझगांव प्रखंड के कई प्राइमरी और माध्यमिक स्कूलों में आज भी शौचालयों का बुरा हाल है. इस वजह से स्कूली बच्चों को शौचालय के लिए बाहर जाना पड़ता हैं.

देखें पूरी खबर

सालों से नहीं है शौचालय

'स्वच्छ भारत अभियान' के तहत घर-घर शौचालय बनाएं जा रहे हैं, ताकि बेटियों को शर्मसार ना होना पड़े, लेकिन मझगांव प्रखंड में कई ऐसे सरकारी स्कूल हैं, जहां बेटियों को शर्मसार होना पड़ता है. इस प्रखंड का मंजर यह है कि यहां के कई स्कूलों का हाल बेहाल है. इन स्कूलों में शुद्ध पानी की व्यवस्था तो दूर की बात है. यहां सालों से शौचालय तक नहीं है. मजबूरन यहां के ब्च्चों और शिक्षकों को शौचालय के लिए बाहर जाना पड़ता है.

ये भी पढ़ें-गोड्डा में शौचालय निर्माण में गड़बड़ी, खुले में शौच को मजबूर ग्रामीण

बीईईओ और बीपीओ की लापरवाही

मामला पश्चिम सिंहभूम के मझगांव प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय मांगापाट और उत्क्रमित प्राथमिक विघालय बुरामपादा की है, जहां शिक्षा विभाग के अधिकारियों, बीईईओ और बीपीओ की लापरवाही से शौचालय नहीं बन पाया. मध्य विधालय मांगापाट के पारा शिक्षक सह सचिव भक्तबंदु महतो का कहना है कि उनके पदभार से पहले मद की राशी विभाग की ओर से उपलब्ध कराई गई थी जो पूर्व सचिव ने खर्च कर दिए. इस वजह से शौचालय की मरम्मत कराना संभव नहीं हैं. उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले बीडीओ यहां आए थे तो कहा था कि आने वाले सालों में में इसे ठीक करा दिया जाएगा.

ये भी पढें-बिना शौचालय बनाए गांव को ओडीएफ किया घोषित, ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार की दी चेतावनी

नहीं हो रहा एलपीजी गैस का उपयोग

सरकार पर्यावरण को बचाने के लिए अनेक प्रकार की योजना चला रही है, ताकि पर्यावरण की रक्षा हो सके. इसके लिए सरकार की ओर से निर्देश जारी किया गया है कि किसी भी सरकारी विधालयों में लकड़ी से मध्याहन भोजन नहीं बनाना है, लेकिन अभी तक मझगांव प्रखंड के मांगापाट सहित अन्य विधालयों में भी एलपीजी गैस का उपयोग नहीं किया जा रहा है. इससे यह साबित होता है कि मझगांव के पदाधिकारी अपने जिम्मेदारी को कितना निभा रहे हैं.

चाईबासा,मझगांव: भारत सरकार ने 2 अक्टूबर को देश को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया है. स्वच्छता अभियान के नाम पर सरकार घर-घर शौचालय बनाने और एलपीजी गैस कनेक्शन का दावा कर रही है. इसके लिए अभियान भी जोरों से चलाया जा रहा है, लेकिन मझगांव प्रखंड के कई प्राइमरी और माध्यमिक स्कूलों में आज भी शौचालयों का बुरा हाल है. इस वजह से स्कूली बच्चों को शौचालय के लिए बाहर जाना पड़ता हैं.

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सालों से नहीं है शौचालय

'स्वच्छ भारत अभियान' के तहत घर-घर शौचालय बनाएं जा रहे हैं, ताकि बेटियों को शर्मसार ना होना पड़े, लेकिन मझगांव प्रखंड में कई ऐसे सरकारी स्कूल हैं, जहां बेटियों को शर्मसार होना पड़ता है. इस प्रखंड का मंजर यह है कि यहां के कई स्कूलों का हाल बेहाल है. इन स्कूलों में शुद्ध पानी की व्यवस्था तो दूर की बात है. यहां सालों से शौचालय तक नहीं है. मजबूरन यहां के ब्च्चों और शिक्षकों को शौचालय के लिए बाहर जाना पड़ता है.

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बीईईओ और बीपीओ की लापरवाही

मामला पश्चिम सिंहभूम के मझगांव प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय मांगापाट और उत्क्रमित प्राथमिक विघालय बुरामपादा की है, जहां शिक्षा विभाग के अधिकारियों, बीईईओ और बीपीओ की लापरवाही से शौचालय नहीं बन पाया. मध्य विधालय मांगापाट के पारा शिक्षक सह सचिव भक्तबंदु महतो का कहना है कि उनके पदभार से पहले मद की राशी विभाग की ओर से उपलब्ध कराई गई थी जो पूर्व सचिव ने खर्च कर दिए. इस वजह से शौचालय की मरम्मत कराना संभव नहीं हैं. उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले बीडीओ यहां आए थे तो कहा था कि आने वाले सालों में में इसे ठीक करा दिया जाएगा.

ये भी पढें-बिना शौचालय बनाए गांव को ओडीएफ किया घोषित, ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार की दी चेतावनी

नहीं हो रहा एलपीजी गैस का उपयोग

सरकार पर्यावरण को बचाने के लिए अनेक प्रकार की योजना चला रही है, ताकि पर्यावरण की रक्षा हो सके. इसके लिए सरकार की ओर से निर्देश जारी किया गया है कि किसी भी सरकारी विधालयों में लकड़ी से मध्याहन भोजन नहीं बनाना है, लेकिन अभी तक मझगांव प्रखंड के मांगापाट सहित अन्य विधालयों में भी एलपीजी गैस का उपयोग नहीं किया जा रहा है. इससे यह साबित होता है कि मझगांव के पदाधिकारी अपने जिम्मेदारी को कितना निभा रहे हैं.

Intro:मजगांव प्रखंड के सभी गांव हुए खुले में शौच मुक्त लेकिन प्रखंड के कई स्कूलों में अभी नहीं है शौचालयBody:सरकारी स्कूल में सालों से नहीं है शौचालय, बच्चों और टीचरों का खुले में जाना बना बेबसी

चाईबासा.. मझगांव- स्वच्छता अभियान के नाम पर सरकार घर-घर में शौचालय बनाने व एलपीजी गैस का दावा कर रही है। इसके लिए अभियान भी जोरों पर चलाया जा रहा है। मगर प्रखंड़ के कई प्राइमरी व मध्य स्कूलों में आज भी शौचालयों का बुरा हाल है। जिसके चलते स्कूली बच्चों को शौचालय के लिए बाहर जाना पड़ता है।
एक तरफ स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर-घर में शौचालय बनाए गए हैं ताकि बेटियों को शर्मसार न होना पड़े। वहीं दूसरी तरफ मझगांव प्रखंड़ के कई सरकारी स्कूलों में रोज बेटे-बेटियों को शर्मसार हाेना पड़ता है। स्थिति यह है कि प्रखंड़ कई स्कूलों में सुविधाओं का हाल बेहाल है। स्कूल में शुद्ध पानी की व्यवस्था होना तो दूर सालों से शौचालय तक नहींं बने हैं। जिसके चलते स्कूली बच्चों का खुले में टॉयलेट जाना मजबूरी है। साथ ही टीचरों को भी इस समस्या का सामना करना पड़ता है। कुछ ऐसा ही मामला पश्चिम सिंहभूम के मझगांव प्रखंड़ उत्कमित मध्य विद्यालय मांगापाट व उत्कमित प्राथमिक विघालय बुरामपादा सामने आया है। जहां शिक्षा विभाग अधिकारियों और प्रखंड़ बीईईओ बीपीओ की लापरवाही से शौचालय दुरूस्त नहीं बन पाया।
मध्य विधालय मांगापाट के पारा शिक्षक सह सचिव भक्तबंदु महतो ने कहा कि मैं जूलाई 2019 में प्रभार मिला और जो भी विकास मद की राशी विभाग द्वारा उपल्बध कराया गया उसे पुर्व सचिव ने खर्च कर चुका है जिसके कारण शौचालय मरमत करा सभंव नही हो पा रहा है कुछ दिन पुर्व ही मझगांव बीईईओ भम्रण मे आये थे तो उन्होने कहा कि आने वाले वर्ष में इसको ठीक कर लिजीऐगा।
दुसरी सरकार पर्यावरण बचाने के लिए अनेक प्रकार की योजना चला रही है ताकि पर्यावरण की रच्छा हो सके जिसके के लिए सरकार निर्देश जारी कर चुका है कि एक भी सरकारी विधालयो में लकड़ी आदि से मध्याहनभोजन नही बनाना है लेकिन आभी तक मझगांव प्रखंड़ के मांगापाट सहित अन्य विधालयों में अभ भी एलपी गैस का उपयोग नही किया जा रहा है इससे साबित होता है कि मझगांव के पदाधिकारी अपने जिम्मेदारी को कितना निभा रहे है
जिसके चलते विद्यालय के बच्चे और टीचर टॉयलेट के लिए विद्यालय के बाहर झांडी व खेत में जाते हैं।Conclusion:
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