चाईबासा: राज्य का सरकारी सिस्टम बीमार है. ऐसा इसलिए क्योंकि इनकी आंखें सच्चाई देख नहीं पा रही हैं. बदहाली की हकीकत सामने है, लेकिन बेहतरीन सुविधा देने की बात बेझिझक कह डालते हैं. सच्चाई यह है कि बेहतरीन सुविधा तो दूर, लोगों को समय आने पर एंबुलेंस भी नहीं मिल पाती है. वजह जो भी हो सच बात यही है कि मजबूरन लोगों को खटिया का इस्तेमाल करना पड़ता है.
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दरअसल पश्चिम सिंहभूम जिले के विभिन्न विधानसभा के प्रखंडों के पंचायतों के विकास को लेकर अरबों रुपये डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड के तहत वर्षों से खर्च किए जा रहे हैं. उसके बाद भी अब भी कई ऐसे गांव हैं जहां बीमार ग्रामीणों को अस्पताल ले जाने के लिए सड़क तक नहीं है. जिस कारण बीमार होने पर ग्रामीणों को खटिया पर लादकर 1 या 2 किलोमीटर चलकर मुख्य सड़क तक लाया जाता है. उसके बाद एम्बुलेंस से अस्पताल तक लाया जाता है. ऐसी स्थिति में कई ग्रामीण अपनी जान तक गंवा देते हैं. ऐसा ही एक माजरा पश्चिमी सिंहभूम जिले के सोनुआ प्रखण्ड के रेंगालबेड़ा गांव में देखने को मिला.
इस गांव की स्थिति ये है कि कोई बीमार पड़े तो उसे इलाज के लिये अस्पताल ले जाने के लिये गांव तक एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाती है. जिला के सोनुआ प्रखंड के रेंगालबेड़ा गांव में एक 58 वर्षीय बीमार महिला शुरु पूर्ति को ईलाज के लिये अस्पताल ले जाने के लिये जब गांव तक एम्बुलेंस या कोई निजी वाहन नहीं पहुच पाया, तो परिजनों और ग्रामीणों ने उसे खटिया से ढोकर करीब एक किलोमीटर दूर मुख्य सड़क तक लाया. इसके बाद उसे एक निजी वाहन से सोनुआ अस्पताल लाया गया. सोनुआ अस्पताल से बेहतर इलाज के लिये उसे चाईबासा रेफर कर दिया गया और फिलहाल महिला का इलाज सदर अस्पताल में चल रहा है.