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जेल में क्षमता से अधिक हैं बंदी,  सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त नहीं, कई बार हो चुका है जेल ब्रेक

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Published : Jul 19, 2019, 12:35 PM IST

चाईबासा के कारामंडल जेल में कैदियों की संख्या बढ़ती जा रही है. जेल की क्षमता से अधिक कैदियों के होने से सुरक्षा को लेकर हालात काफी चिंताजनक है. वहीं, कैदियों की संख्या बढ़ने के बाद भी सुरक्षाकर्मियों की संख्या में भी बढ़ोतरी नहीं हुई है.

चाईबासा कारा मंडल

चाईबासाः पश्चिम सिंहभूम में दो बार जेल ब्रेक की घटना हो चुकी है. जिसके बावजूद चाईबासा कारामंडल सुरक्षा और कैदियों की क्षमता के अनुसार जेल की पुख्ता इंतजाम नहीं है. चाईबासा कारा मंडल में कैदियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. लेकिन सुरक्षा सहित अन्य व्यवस्थाओं में कमी को अब तक पूरा नहीं किया जा सका है.

देखें पूरी खबर

बता दें कि पश्चिम सिंहभूम राज्य के अत्यंत नक्सल प्रभावित इलाकों की श्रेणी में शामिल है. जहां नक्सलियों का वर्चस्व रह चुका है. यहां नक्सलियों ने कई घटनाओं को भी अंजाम दिया है. जिला पुलिस बल की कार्रवाई के दौरान सारंडा व पोड़ाहाट के जंगलों से कई उग्रवादी और नक्सलियों को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है. गिरफ्तार नक्सलियों के साथ शातिर अपराधियों को भी चाईबासा कारामंडल में रखा गया है.

नक्सली दो बार दे चुके हैं जेल ब्रेक घटना को अंजाम

कारामंडल में बंद नक्सलियों ने दो बार जेल ब्रेक कांड की घटना को अंजाम दिया है. पहली बार 2011 में और दूसरी बार 2014 में जेल ब्रेक करने में नक्सलियों का हाथ था. पहले जेल तोड़कर भागने वालों में हार्डकोर माओवादी संदीप दा शामिल था. उस समय जेल के ही 3 गार्ड ने जेलब्रेक में मदद कर सभी को भगाने में सहयोग किया था. जिसके बावजूद भी जेल की सुरक्षा व्यवस्था की पुख्ता इंतजाम के लिए जेल में पुलिस बल पर्याप्त नहीं है.

जेल में बंद कैदियों की अपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता

जेल के अंदर रहने वाले कैदियों के अक्सर जेल में रहकर भी अपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता सामने आती रही है. इसके साथ कुछ महीने पहले छापेमारी के दौरान जेल से मोबाइल सिम कार्ड भी बरामद हुई थी. इसका मुख्य कारण जेल की सुरक्षा में लगे कर्मचारियों की कमी होना है. कारामंडल चाईबासा में कई हार्डकोर नक्सली बंद है. कुछ हार्डकोर नक्सलियों को दूसरे जेलों में शिफ्ट भी किया गया है.

कैदियों की बढ़ती क्षमता के अनुसार नहीं हो रही व्यवस्था

चाईबासा कारा मंडल में पुरुष कैदियों के साथ महिला कैदी की भी संख्या में बढ़ोतरी हुई है. खाना पकाने से लेकर वार्ड की पहरेदारी तक चाईबासा कारा मंडल में पुलिसकर्मियों की क्षमता कम है. चाईबासा कारा मंडल की क्षमता 621 कैदियों की है, जबकि वर्तमान समय में महिला पुरुष मिलाकर लगभग 1 हजार से अधिक कैदी बंद हैं.

ये भी पढ़ें- लोहरदगा में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़, 3 नक्सली मारे गए

जेल में ओवरक्राउडिंग की स्थिति

जेल अधीक्षक जितेंद्र कुमार ने बताया कि जेल में ओवरक्राउडिंग की स्थिति है. वर्तमान समय में कैदियों की संख्या 960 है. इसके लिए चक्रधरपुर में एक सब डिविजनल जेल का निर्माण करवाया जा रहा है. जिसकी क्षमता 325 कैदियों की होगी. उन्होंने बताया कि चाईबासा कारा मंडल की क्षमता बढ़ाने के लिए वरीय पदाधिकारियों के साथ बातचीत चल रही है. जेल में क्षमता से अधिक कैदियों के बंद होना सुरक्षा की दृष्टि से चिंतनीय विषय है.

जितेंद्र कुमार ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि कैदियों को रखने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. चाईबासा कारा मंडल में 621 कैदियों की क्षमता है लेकिन 960 कैदियों को रखा जा रहा है. ऐसी स्थिति में सुरक्षाकर्मियों की जरूरत तो है लेकिन बहाली प्रक्रिया काफी धीमी है.

चाईबासाः पश्चिम सिंहभूम में दो बार जेल ब्रेक की घटना हो चुकी है. जिसके बावजूद चाईबासा कारामंडल सुरक्षा और कैदियों की क्षमता के अनुसार जेल की पुख्ता इंतजाम नहीं है. चाईबासा कारा मंडल में कैदियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. लेकिन सुरक्षा सहित अन्य व्यवस्थाओं में कमी को अब तक पूरा नहीं किया जा सका है.

देखें पूरी खबर

बता दें कि पश्चिम सिंहभूम राज्य के अत्यंत नक्सल प्रभावित इलाकों की श्रेणी में शामिल है. जहां नक्सलियों का वर्चस्व रह चुका है. यहां नक्सलियों ने कई घटनाओं को भी अंजाम दिया है. जिला पुलिस बल की कार्रवाई के दौरान सारंडा व पोड़ाहाट के जंगलों से कई उग्रवादी और नक्सलियों को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है. गिरफ्तार नक्सलियों के साथ शातिर अपराधियों को भी चाईबासा कारामंडल में रखा गया है.

नक्सली दो बार दे चुके हैं जेल ब्रेक घटना को अंजाम

कारामंडल में बंद नक्सलियों ने दो बार जेल ब्रेक कांड की घटना को अंजाम दिया है. पहली बार 2011 में और दूसरी बार 2014 में जेल ब्रेक करने में नक्सलियों का हाथ था. पहले जेल तोड़कर भागने वालों में हार्डकोर माओवादी संदीप दा शामिल था. उस समय जेल के ही 3 गार्ड ने जेलब्रेक में मदद कर सभी को भगाने में सहयोग किया था. जिसके बावजूद भी जेल की सुरक्षा व्यवस्था की पुख्ता इंतजाम के लिए जेल में पुलिस बल पर्याप्त नहीं है.

जेल में बंद कैदियों की अपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता

जेल के अंदर रहने वाले कैदियों के अक्सर जेल में रहकर भी अपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता सामने आती रही है. इसके साथ कुछ महीने पहले छापेमारी के दौरान जेल से मोबाइल सिम कार्ड भी बरामद हुई थी. इसका मुख्य कारण जेल की सुरक्षा में लगे कर्मचारियों की कमी होना है. कारामंडल चाईबासा में कई हार्डकोर नक्सली बंद है. कुछ हार्डकोर नक्सलियों को दूसरे जेलों में शिफ्ट भी किया गया है.

कैदियों की बढ़ती क्षमता के अनुसार नहीं हो रही व्यवस्था

चाईबासा कारा मंडल में पुरुष कैदियों के साथ महिला कैदी की भी संख्या में बढ़ोतरी हुई है. खाना पकाने से लेकर वार्ड की पहरेदारी तक चाईबासा कारा मंडल में पुलिसकर्मियों की क्षमता कम है. चाईबासा कारा मंडल की क्षमता 621 कैदियों की है, जबकि वर्तमान समय में महिला पुरुष मिलाकर लगभग 1 हजार से अधिक कैदी बंद हैं.

ये भी पढ़ें- लोहरदगा में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़, 3 नक्सली मारे गए

जेल में ओवरक्राउडिंग की स्थिति

जेल अधीक्षक जितेंद्र कुमार ने बताया कि जेल में ओवरक्राउडिंग की स्थिति है. वर्तमान समय में कैदियों की संख्या 960 है. इसके लिए चक्रधरपुर में एक सब डिविजनल जेल का निर्माण करवाया जा रहा है. जिसकी क्षमता 325 कैदियों की होगी. उन्होंने बताया कि चाईबासा कारा मंडल की क्षमता बढ़ाने के लिए वरीय पदाधिकारियों के साथ बातचीत चल रही है. जेल में क्षमता से अधिक कैदियों के बंद होना सुरक्षा की दृष्टि से चिंतनीय विषय है.

जितेंद्र कुमार ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि कैदियों को रखने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. चाईबासा कारा मंडल में 621 कैदियों की क्षमता है लेकिन 960 कैदियों को रखा जा रहा है. ऐसी स्थिति में सुरक्षाकर्मियों की जरूरत तो है लेकिन बहाली प्रक्रिया काफी धीमी है.

Intro:चाईबासा। पश्चिम सिंहभूम जिले के में कई बार जेल ब्रेक कांड की घटना होने के बावजूद चाईबासा कारामंडल सुरक्षा एवं कैदियों की क्षमता के अनुसार जेल की पुख्ता इंतजाम जेल प्रशासन नहीं हो सकी है। चाईबासा कारा मंडल मैं कैदियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन सुरक्षा सहित अन्य व्यवस्थाओं में कमी को अब तक पूरा नहीं किया जा सका है।


Body:बता दें कि पश्चिम सिंहभूम जिला राज्य के अत्यंत नक्सल प्रभावित इलाकों की श्रेणी में शामिल है जहां नक्सलियों का वर्चस्व रह चुका है। साथ ही नक्सलियों ने कई घटनाओं को भी अंजाम दिया है। जिला पुलिस बल की कार्रवाई के दौरान सारंडा व पोड़ाहाट के जंगलों से कई उग्रवादी एवं नक्सलियों को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है। गिरफ्तार नक्सलियों के साथ शातिर अपराधियों को भी चाईबासा कारामंडल में रखा गया है।

नक्सली दो बार दे चुके हैं जेल ब्रेक घटना को अंजाम-
कारामंडल में बंद नक्सलियों ने दो बार जेल ब्रेक कांड की घटना को अंजाम दे चुके हैं। पहली बार 2011 में और दूसरी बात 2014 में जेल ब्रेक करने में नक्सलियों का हाथ था पहले जेल तोड़कर भागने वालों में हार्डकोर माओवादी संदीप दा शामिल था। उस समय जेल के ही 3 गार्ड ने जेलब्रेक में मदद कर सभी को भगाने में सहयोग किया था। उसके बाद तीसरी बार जेलब्रेक घटना को अंजाम देने की तैयारी में लग चुके थे। तब तक पुलिस को इसकी भनक पड़ गई और नक्सलियों के सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया गया। परंतु उसके बावजूद भी जेल की सुरक्षा व्यवस्था की पुख्ता इंतजाम के लिए जेल में पुलिस बल पर्याप्त नहीं है।

घटना के बाद हार्डकोर नक्सलियों को अन्यत्र जेलों में किया गया शिफ्ट -
कारामंडल चाईबासा में कई हार्डकोर नक्सली बंद है कुछ हार्डकोर नक्सलियों को अन्यत्र जेलों में शिफ्ट भी किया गया है और कुछ हार्डकोर नक्सली व शातिर अपराधी भी कारामंडल में बंद है।

जेल में बंद कैदियों की अपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता-
जेल के अंदर रहने वाले कैदियों के अकसर जेल में रहकर भी अपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता सामने आती रही है इसके साथ साथ कुछ माह पूर्व छापेमारी के दौरान जेल से मोबाइल सिम कार्ड भी बरामद होती रही है। इसका मुख्य कारण जेल की सुरक्षा में लगे कर्मचारियों की कमी होना है।

कैदियों की बढ़ती क्षमता के अनुसार नही बढ़ रही व्यवस्था -
चाईबासा कारा मंडल में पुरुष कैदियों के साथ साथ महिला कैदी की भी संख्या में बढ़ोतरी हुई है। वही खाना पकाने से लेकर वार्ड की पहरेदारी तक चाईबासा कारा मंडल में पुलिसकर्मियों की क्षमता कम है। चाईबासा कारा मंडल की क्षमता 621 कैदियों की है जबकि वर्तमान समय में महिला पुरुष मिलाकर लगभग 1000 से अधिक कैदी बंद हैं।

जेल में ओवरक्राउडिंग की स्थिति -
जेल अधीक्षक जितेंद्र कुमार ने बताया कि तारामंडल में ओवरक्राउडिंग की स्थिति है वर्तमान समय में कैदियों की संख्या 960 है इसके लिए हम लोग चक्रधरपुर में एक सब डिविजनल जेल का निर्माण करवा रहे हैं जिसकी क्षमता 325 कैदियों की होगी। चाईबासा कारा मंडल की क्षमता बढ़ाने को लेकर वरीय पदाधिकारियों के साथ बातचीत चल रही है जेल में क्षमता से अधिक कैदियों के बंद होने से सुरक्षा की दृष्टि से चिंतनीय विषय है ही उसके बावजूद हम किसी भी तरह से इसकी व्यवस्था कर लेंगे। परंतु कैदियों को रखने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है चाईबासा कारा मंडल में 621 कैदियों की क्षमता है परंतु हम लोग 960 कैदियों को रख रहे हैं ऐसी स्थिति में हमें सुरक्षाकर्मियों की जरूरत तो है ही परंतु बहाली प्रक्रिया काफी धीमी है और जेल में कैदियों की संख्या बढ़ती जा रही है।




Conclusion:जेल में क्षमता से अधिक कैदियों के होने से सुरक्षा को लेकर हालात काफी चिंताजनक है जेल में बढ़ती कैदियों की संख्या से जेल प्रशासन की चिंता भी बढ़ रही है ऐसे में जेल की सुरक्षा व्यवस्था में लगे सुरक्षाकर्मियों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हुई तो वह दिन दूर नहीं कि फिर एक बार बड़ी घटना घट सकती है।
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