चाईबासा: डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्मार्ट इंडिया, हेल्थ फॉर ऑल के बीच लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य सेवा तक उपलब्ध नहीं होना, मौजूदा हाईटेक व्यवस्था को आईना दिखाने के लिए काफी हैं. राज्य और केंद्र सरकार स्वास्थ्य सेवा को आम लोगों तक पहुंचाने का दावा तो कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.
दरअसल, पश्चिम सिंहभूम जिले के नोवामुंडी प्रखंड की 18 पंचायतों के 74 गांव में रह रहे लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के मद्देनजर साल 1990 में 30 बेड वाला एक रेफरल अस्पताल बड़ाजामदा में सरकार की ओर से बनाया गया. हालांकि ये अस्पताल विभाग की हीलाहवाली के चलते खंडहर में तब्दील हो गया है.
लापरवाह और हांफती सरकारी व्यवस्था की वजह से इस जर्जर अस्पताल के कर्मी और डॉक्टर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लोगों का इलाज करने लगे. हालांकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी ग्रामीणों का बिना इलाज किए उन्हें जान के लिए कह दिया जाता है. इससे बेबस होकर लोग निजी क्लीनिक में जाने के लिए मजबूर हैं. हालांकि रेफरल अस्पताल के डॉ बेग का कहना है कि अस्पताल आने वाले सभी मरीजों का इलाज होता है और उनको दवाएं भी दी जाती हैं.