चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिले की मुख्य सड़कें लगभग ठीक हो गई हैं. छोटे बड़े वाहन चालक अपने वाहनों को फर्राटा से भगाते हुए नजर आते हैं. तेज रफ्तार की वजहा से दुर्घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है. यही कारण है कि सिंहभूम की सड़कें अक्सर खून से लाल हो रही हैं.
इन मुख्य मार्ग पर होते हैं हादसेमुख्य रूप से नेशनल हाइवे 75E जैंतगढ़ से रांची और हाटगंहरिया से बरायबुरू सड़क मार्ग पर सबसे ज्यादा दुर्घटना हो रही हैं. छोटे वाहन के साथ मोटरसाइकिल से हुई दुर्घटनाओं में दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है. इसके साथ-साथ चाईबासा जमशेदपुर, झींकपानी बाईपास मार्ग जहां तीन मुहानी सड़क पर आए दिन दुर्घटना का सबब बना रहता है. यहां कई बार वाहन भी आपस में टकरा चुके हैं. हालांकि, अब पुलिस की भी तैनाती की गई है. पुलिस को देख वाहनों की रफ्तार धीमी हुई है.
तेज रफ्तार बना दुर्घटना का सबबकुछ दुर्घटना बहुल स्थल के पास संकेत बोर्ड लगाए गए हैं. इसके बावजूद भी छोटे-बड़े वाहन चालकों को उन संकेत बोर्ड से कोई फर्क नहीं पड़ता है. उन्हें सड़कों पर फर्राटा भरते हुए अपनी मंजिल तक जल्द से जल्द पहुंचने से मात्र मतलब है, जिस कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं. चाईबासा बाईपास पर तीखे मोड़ होने के कारण कई बार एक वाहन दूसरे को ठीक से देख नहीं पाते ऐसे में हादसे का डर बना रहता है.
हाइवे पर होते हैं हादसेजिले में चाईबासा से हाट कमरिया नेशनल हाइवे 75 सड़क की हालत इतनी खराब है कि आए दिन इस सड़क पर दुर्घटनाएं होती रहती हैं. इसके अलावा सेरेंगसिया घाटी की कई तीखी मोड़, जगन्नाथपुर कॉलेज मोर जंगीपुर घाटी समेत अन्य जगह ऐसी हैं जिन पर प्रत्येक दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं.
सुरक्षा को लेकर होती है मासिक बैठकपश्चिम सिंहभूम जिला प्रशासन सड़क दुर्घटनाओं को कम करने को लेकर सुरक्षा की मासिक बैठक तो करती है, लेकिन सड़क पर हो रही दुर्घटनाओं को कम करने को लेकर पहल करती नजर नहीं आती. इसके अलावा जिले में कई जगहों पर खराब सड़कें भी दुर्घटना का कारण बन रही है. इसे लेकर परिवहन विभाग और सड़क सुरक्षा समिति लगातार अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने में लगी हुई है. इसके साथ ही विभाग की ओर से जुर्माना भी लगा कर चेतावनी दी जा रही है, लेकिन हादसों में कमी देखने को नहीं मिल रही है.
इसे भी पढ़ें-आंदोलन का 83वां दिन : प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने दिशा रवि की रिहाई की मांग कीनुक्कड़ नाटक से किया जाता है जागरूकआंकड़ों के मुताबिक जिले में नेशनल हाइवे पर 119 और स्टेट हाइवे में 12 और अन्य सड़कों पर 101 ब्लैक स्पॉट बनाए गए हैं. जिला परिवहन विभाग की तरफ से सड़क सुरक्षा माह के दौरान जिले के विभिन्न चौक चौराहों पर नुक्कड़ नाटक कर के लोगों को जागरूक करने का प्रयास भी किया जा रहा है. इसके साथ ही युवकों की तरफसे बिना हेलमेट के देखे जाने पर उन्हें फूलों की माला पहनाकर हेलमेट पहनने के लिए जागरूक भी कर रहे हैं.
सड़कें सही होने पर हो रहे हादसेंजिला परिवहन विभाग के कर्मचारी आनंद कुमार बताते हैं कि सड़कें चकाचक हो जाने के कारण दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ गई है. इसके साथ ही इन दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु दर भी बड़े हैं, लेकिन हमें इन मृत्यु दर को कम करना है. चाईबासा शहर में 7 ब्लैक स्पॉट बनाए गए थे. जिनका निवारण कर दिया गया है. आनंद कहते हैं कि एक्सीडेंट प्रोन जोन को भी चिन्हित किया जा रहा है, जहां दुर्घटना में 5 से अधिक लोगों की मौतें हुई है. लोगों से अपील की जाती रही है कि खुद सतर्क रहें और दुर्घटना खुद की गलती से नहीं दूसरों की गलती से भी हो जाती है. इसलिए परिवहन विभाग की तरफ से निर्देशित हेलमेट सीट बेल्ट आदि सुरक्षा के उपकरणों का इस्तेमाल अवश्य करें.
इतनी हो चुकी है दुर्घटनाएं
2018 में जिले में 215 दुर्घटनाएं हुई, जिसमें 154 लोगों की मौत हो गई
2019 में जिले में 234 दुर्घटनाएं हुई, जिसमें 181 की मौत हो गई
वंही 2020 में जिले में 220 दुर्घटनाएं हुई, जिसमें 186 लोगों की मौत हो चुकी है
वाहनों पर लगाए जाएंगे रिफ्लेक्टर
जिला परिवहन विभाग के कर्मचारी आनंद कुमार दुर्घटना होने का मुख्य कारण बताते हुए कहते हैं कि लोग सड़क किनारे खड़ी गाड़ियों में भी पीछे से टक्कर मार देते हैं. जिसे लेकर सरकार ने अभी नियम निकाला है कि जितनी भी गाड़ियों की फिटनेस होगी सभी वाहनों में पीछे की ओर रिफ्लेक्टर लगाए जाएंगे. दूसरा यहां ड्रंक एंड ड्राइव का मामला अक्सर देखा जाता है इस पर अगर रोकथाम की जाए तो दुर्घटनाओं और मृत्यु के आंकड़ों में कमी आएगी.
पुलिस लगातार चला रही चेकिंग अभियान
जिला परिवहन पदाधिकारी अजय तिर्की ने बताया कि अधिकतर घटनाएं हेलमेट नहीं पहनने और ड्रंक एंड ड्राइव के कारण होती हैं. दोनों ही चीजों में हम लोगों की तरफ से प्रयास किया जा रहा है कि सरकार के दिए गए निर्देशों के अनुसार कार्रवाई की जाए, ताकि दुर्घटनाओं में कमी आए. इसके अलावा पुलिस के सहयोग से जिले के प्रत्येक प्रखंड मुख्यालय में अभियान चलाकर लोगों पर कार्रवाई कर रहे हैं. साथ ही जिले में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वह हेलमेट और सीट बेल्ट का प्रयोग करें. ताकि लोग सतर्क हो जाएं वाहन नियम के अनुसार ही चलाएं, जिससे दुर्घटना में कमी आए. पुलिस की तरफ से जगह बदल-बदल कर वाहन चेकिंग अभियान चलाई जा रही है. अगर पिछले 1 वर्ष के आंकड़ों को देखा जाए तो लगभग 170 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं और इस दुर्घटनाओं में 100 से ऊपर लोगों की जान गंवानी पड़ी है.
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प्रमुख स्थान पर चलाया जाएगा अभियान
इस संबंध में जिला उपायुक्त अरवा राजकमल ने बताया कि लॉकडाउन खोले जाने के बाद देखा गया कि विगत वर्ष के आंकड़ों के बराबर दुर्घटनाओं की संख्या पहुंच रही है. दुर्घटनाओं को कम करने को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है. साथ ही तीखी मोड़ में मिरर लगाएं जाएंगे, ताकि लोग वंहा सतर्क होकर वाहन चलाएं. सड़क भी खराब होने के कारण कई बार दुर्घटनाएं होती हैं, कुछ जगह स्पीड ब्रेकर नहीं दिखने के कारण दुर्घटनाएं हो जाती हैं. इस क्षेत्र में दुर्घटनाएं दिसंबर माह के बाद माघे पर्व के दौरान होती है. विगत दिनों जिन जगहों पर अधिक दुर्घटनाएं हुई हैं उन स्थानों को चिन्हित कर वहां पर जागरूकता अभियान चलाएंगे. इसके साथ ही सड़क किनारे दुकान चलाने वाले दुकानदार आदि को भी वॉलिंटियर्स बनाते हुए फोन नंबर आदि मुहैया करवाया जाएगा. ताकि दुर्घटना होने पर 108 या फिर स्थानीय पदाधिकारियों को सूचना दे सकेंगे.