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World Environment Day: सालों से जंगल की सुरक्षा में जुटी हैं जमुना टुडू, नाम से ही जंगल माफिया खाते हैं खौफ

पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया प्रखंड की रहने वाली जमुना टुडू जंगल की सुरक्षा में जुटी है. उन्होंने मुटुरखाम गांव के बंजर पहाड़ी को साल के जंगलों से हरा-भरा कर दिया है. जमुना टुडू ने जंगलों की रक्षा के लिए वन संरक्षण सह प्रबंधन महासमिति का भी गठन किया है.

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Published : Jun 5, 2022, 11:36 AM IST

घाटशिला: पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया प्रखंड की सोनाहातु पंचायत स्थित मुटुरखाम बेड़ाडीह टोले में रहने वालीं पद्मश्री जमुना टुडू आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. देश में उन्हें लेडी टार्जन के नाम से जाना जाता है. वर्षों से जमुना टुडू जंगल की सुरक्षा में जुटी हैं. उन्होंने पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया प्रखंड अंतर्गत मुटुरखाम गांव के बंजर पहाड़ी को साल के जंगलों से हरा-भरा कर दिया है. पेड़ों को बचाने को लेकर उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं. पद्मश्री का सम्मान भी मिला. इसके बावजूद जमुना यहीं नहीं रुकीं, पूरे क्षेत्र में पेड़-पौधों की हरियाली रहे, इसके लिए उन्होंने वन संरक्षण सह प्रबंधन महासमिति कोल्हान का गठन किया. इसमें सैकड़ों वन सुरक्षा समितियों को जोड़ा गया. आज उन समितियों की ओर से पूरे कोल्हान के जंगलों की रक्षा की जा रही है.

ये भी पढे़ं:- World Environment Day: पर्यावरण प्रेमी है कोडरमा के प्रधान न्यायाधीश, अथक प्रयास से बंजर जमीन में खिलाया फूल

वन माफियाओं से लिया दुश्मनी मोल: एक समय ऐसा भी आया कि जमुना टुडू को जंगल की रक्षा के लिए हथियार भी उठाना पड़ा. जमुना ने चार महिलाओं को साथ जोड़कर जंगल को कटाई से बचाने के लिए वन माफिया से भिड़ गईं. 2004 में वन रक्षक समिति बनायी, जिससे गांव की 60 महिलाएं जुड़ीं. अब 300 महिलाओं का ग्रुप है. उनके इस साहस को देखते हुए क्षेत्र के लोग उन्हें लेडी टार्जन कहने लगे. प्रति वर्ष गर्मी के मौसम में शरारती तत्वों द्वारा जंगल के सूखे पत्तों में आग लगा दिये जाने से जंगलों को काफी क्षति पहुंच रही थी. जमुना ने वन विभाग के सहयोग से इन पर पाबंदी लगाने का काम किया. जंगलों में पोस्टर लगाकर आग लगाने वालों पर जुर्माना सहित तमाम कड़ी कार्रवाई का 'संदेश दिया. जिसका परिणाम यह हुआ कि इस वर्ष चाकुलिया के जंगल आगजनी से बच गये. जमुना जंगलों को बचाने के साथ-साथ हाथियों से ग्रामीणों की सुरक्षा को लेकर भी काम कर रही हैं.

बेटी के जन्म पर घर में लगाएं पौधे: जमुना टुडू अब तक हजारों पौधे लगवा चुकी हैं. पौधे लगाने की परंपरा बनी रहे, इसके लिए उन्होंने क्षेत्र में एक नयी परंपरा की शुरुआत की है. लोगों को संदेश दिया कि बेटी के जन्म पर अपने घर में कम से कम पांच पौधे लगाएं. उनके इस संदेश का लोगों पर काफी असर हुआ. बेटियों के जन्म पर पौधे लगाने शुरू कर दिये. यहां तक कि जन्मदिन पर उपहार के रूप में पौधे दिये जाने लगे हैं. पद्मश्री जमुना टुडू फिलहाल चाकुलिया नगर पंचायत के काकडीशोल में रहती हैं. इस वर्ष भी वे पर्यावरण दिवस मनाने में जुटी है. 5 जून से 20 जून तक चाकुलिया प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न जंगलों में वन सुरक्षा समितियों की ओर से पर्यावरण दिवस का आयोजन कर पौधों को लगाने का काम किया जायेगा.

घाटशिला: पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया प्रखंड की सोनाहातु पंचायत स्थित मुटुरखाम बेड़ाडीह टोले में रहने वालीं पद्मश्री जमुना टुडू आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. देश में उन्हें लेडी टार्जन के नाम से जाना जाता है. वर्षों से जमुना टुडू जंगल की सुरक्षा में जुटी हैं. उन्होंने पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया प्रखंड अंतर्गत मुटुरखाम गांव के बंजर पहाड़ी को साल के जंगलों से हरा-भरा कर दिया है. पेड़ों को बचाने को लेकर उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं. पद्मश्री का सम्मान भी मिला. इसके बावजूद जमुना यहीं नहीं रुकीं, पूरे क्षेत्र में पेड़-पौधों की हरियाली रहे, इसके लिए उन्होंने वन संरक्षण सह प्रबंधन महासमिति कोल्हान का गठन किया. इसमें सैकड़ों वन सुरक्षा समितियों को जोड़ा गया. आज उन समितियों की ओर से पूरे कोल्हान के जंगलों की रक्षा की जा रही है.

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वन माफियाओं से लिया दुश्मनी मोल: एक समय ऐसा भी आया कि जमुना टुडू को जंगल की रक्षा के लिए हथियार भी उठाना पड़ा. जमुना ने चार महिलाओं को साथ जोड़कर जंगल को कटाई से बचाने के लिए वन माफिया से भिड़ गईं. 2004 में वन रक्षक समिति बनायी, जिससे गांव की 60 महिलाएं जुड़ीं. अब 300 महिलाओं का ग्रुप है. उनके इस साहस को देखते हुए क्षेत्र के लोग उन्हें लेडी टार्जन कहने लगे. प्रति वर्ष गर्मी के मौसम में शरारती तत्वों द्वारा जंगल के सूखे पत्तों में आग लगा दिये जाने से जंगलों को काफी क्षति पहुंच रही थी. जमुना ने वन विभाग के सहयोग से इन पर पाबंदी लगाने का काम किया. जंगलों में पोस्टर लगाकर आग लगाने वालों पर जुर्माना सहित तमाम कड़ी कार्रवाई का 'संदेश दिया. जिसका परिणाम यह हुआ कि इस वर्ष चाकुलिया के जंगल आगजनी से बच गये. जमुना जंगलों को बचाने के साथ-साथ हाथियों से ग्रामीणों की सुरक्षा को लेकर भी काम कर रही हैं.

बेटी के जन्म पर घर में लगाएं पौधे: जमुना टुडू अब तक हजारों पौधे लगवा चुकी हैं. पौधे लगाने की परंपरा बनी रहे, इसके लिए उन्होंने क्षेत्र में एक नयी परंपरा की शुरुआत की है. लोगों को संदेश दिया कि बेटी के जन्म पर अपने घर में कम से कम पांच पौधे लगाएं. उनके इस संदेश का लोगों पर काफी असर हुआ. बेटियों के जन्म पर पौधे लगाने शुरू कर दिये. यहां तक कि जन्मदिन पर उपहार के रूप में पौधे दिये जाने लगे हैं. पद्मश्री जमुना टुडू फिलहाल चाकुलिया नगर पंचायत के काकडीशोल में रहती हैं. इस वर्ष भी वे पर्यावरण दिवस मनाने में जुटी है. 5 जून से 20 जून तक चाकुलिया प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न जंगलों में वन सुरक्षा समितियों की ओर से पर्यावरण दिवस का आयोजन कर पौधों को लगाने का काम किया जायेगा.

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