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वन विभाग वनोपज, खनिज संपदा पर शुल्क वसूलेगी, खनिजों के लिए तय हुआ शुल्क - चाईबासा में वन विभाग वनोपज और खनिज संपदा की शुल्क वसूली करेगा

चाईबासा में वन विभाग वनोपज और खनिज संपदा पर शुल्क वसूली करेगा. इसके लिए सरकार ने अलग-अलग खनिजों के लिए अलग-अलग शुल्क तय किया है. वन प्रमंडल के डीएफओ रजनीश कुमार ने बताया कि यह नियमावली अवैध परिवहन को रोकने के लिए है.

वन विभाग करेगा शुल्क जमा
Forest Department will collect fee
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Published : Jul 27, 2020, 5:26 PM IST

चाईबासा: वन विभाग वनोपज और खनिज संपदा पर शुल्क वसूली करेगा. इसके लिए सरकार ने अलग-अलग खनिजों के लिए अलग अलग शुल्क तय किया है. साथ ही वन क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण अपने निजी उपयोग के लिए जलावन का प्रयोग कर सकते हैं, इसके लिए उन्हें वन विभाग को कोई शुल्क नहीं देना होगा.

देखें पूरी खबर

सरकार के आदेश पर जुलाई माह से वन क्षेत्र से वनोपज और खनिज संपदा पर शुल्क वसूली करने के नए नियम लागू किये गए हैं. जिसे लेकर इन दिनों वन अधिकार कानून में सरकार के बदलाव करने का गलत संदेश सोशल मीडिया के माध्यम से खूब वायरल हो रहा है. जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि वनोपज और जलावन लकड़ियों का निजी उपयोग करने वाले ग्रामीणों को ट्रांजिट फीस देना पड़ेगा. वन विभाग को शुल्क नहीं देने की स्थिति में लोगों को जेल की हवा भी खानी पड़ेगी. इस आदेश को लेकर वन विभाग के प्रति लोगों में आक्रोश दिखने लगा है. जिसे लेकर लोगों में संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

क्या है डीएफओ का कहना

डीएफओ ने कहा कि सरकार ने वन अधिकार कानून में कोई बदलाव नहीं किये हैं, बल्कि अवैध खनिज संपदा और परिवहन पर रोक लगाने को लेकर नियमों में बदलाव किए गए हैं. सरकार के आदेश पर जुलाई महीने से वन क्षेत्र से वनोपज और खनिज संपदा पर शुल्क वसूली करने के नया नियम लागू किया गया है.

सरकार ने अवैध खनन और परिवहन के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम के तहत वन विभाग के अधिकार को बढ़ाया है. जिसके तहत अवैध खनन एवं परिवहन के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने और कानूनी कार्रवाई भी विभाग कर सकेगी. खदान पर प्रबंधनों को परिवहन लेकर वन प्रमंडल पदाधिकारी से आदेश भी लेना होगा.

प्रधान सचिव ने जारी किए निर्देश

झारखंड सरकार की प्रधान सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह ने 29 जून को प्रधान मुख्य वन संरक्षक झारखंड रांची ने उक्त आदेश जारी किया है. वन संरक्षक ने 1 जुलाई को तमाम मंडल के पदाधिकारियों समेत उच्च अधिकारियों को आदेश की प्रतिलिपि भेज दी है, आदेश जारी होने के बाद से ही ये नियम पूरे राज्य में प्रभावी हो गया है.

वन अधिकारी वनोपज का परिवार करने वाले वाहनों को रोक कर जांच एवं जरुरी कागजात की मांग कर सकते हैं. वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग झारखंड सरकार ने वनोपज (अभिवहन का विनीयमन) नियमावली 2020 के नियम से कि तहत शुल्क वसूली करेगी.

झारखंड वनोपज नियमावली 2000 के नियम 6 के प्रदत्त शक्तियों के आलोक में वनोपज परिवहन के लिए अनुज्ञा पत्र जारी करने के लिए निर्धारित शुल्क-

निर्धारित शुल्क के साथ वनोपज का नाम

1. लाइम स्टोन, डोलोमाईट, फायर क्ले, मैगजीन, कॉपर, लौह अयस्क, कोयला, बॉक्साइट, क्वार्टज, सिलिका सैंड, सोना अयस्क, कैलासाइट, शैल, स्लेट, सोप स्टोन, डायस्पोर, रॉक फारेस्ट, पायरो फिलाइट, काई नाइट, फल्सपार के लिए निर्धारित शुल्क 57 रुपये प्रति मीट्रिक टन


2. ग्रेनाइट, मार्बल, गिट्टी, पत्थर, बालू, मुरूम, मिट्टी के लिए निर्धारित शुल्क 35 रुपये प्रति घन मीटर

3. टिम्बर के लिए निर्धारित शुल्क 100 रुपये प्रति घन मीटर

4. जलावन के लिए निर्धारित शुल्क 25 रुपये प्रति घन मीटर

अवैध परिवहन को रोकने के लिए है ये नियमावली

सारंडा वन प्रमंडल के डीएफओ रजनीश कुमार ने बताया कि वनोपज को ले जाने के लिए ट्रांजिट फी की आवश्यकता होती है. मुख्यतः ट्रांजिट फी खनिज पदार्थों पर लगाया गया है. जिसमें डोलेमाईट, कोयला, लौह अयस्क, मैगनीज, ग्रेनाइट, मार्बल, जैसी खनिज संपदा पर शुल्क लगाया गया है. इसी तरह टिंबर और जलावन की लकड़ी पर भी शुल्क लगाया गया है, लेकिन गांव के ग्रामीण इसे दूसरी तरह से ना समझें. वह जलावन और टिंबर जो आरा मिल से कमर्शियल इस्तेमाल के लिए ले जाया जा रहा है, वैसे जलावन और टिंबर पर ही मात्र शुल्क लगाया जाएगा. वैसे जलावन या टिंबर जो वन अधिकार के तहत ग्रामीण अपने उपयोग के लिए करते हैं. उसके लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा. जहां कमर्शियल इस्तेमाल के लिए जलावन टिंबर ले जाया जा रहा है और ट्रांजिट परमिट की आवश्यकता है. उन्हें जलावन 25 रुपये घन मीटर शुल्क लगेगा. साथ ही टिंबर के लिए 100 रुपए घन मीटर जमा करना होगा. यह नियमावली अवैध परिवहन को रोकने के लिए है.

चाईबासा: वन विभाग वनोपज और खनिज संपदा पर शुल्क वसूली करेगा. इसके लिए सरकार ने अलग-अलग खनिजों के लिए अलग अलग शुल्क तय किया है. साथ ही वन क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण अपने निजी उपयोग के लिए जलावन का प्रयोग कर सकते हैं, इसके लिए उन्हें वन विभाग को कोई शुल्क नहीं देना होगा.

देखें पूरी खबर

सरकार के आदेश पर जुलाई माह से वन क्षेत्र से वनोपज और खनिज संपदा पर शुल्क वसूली करने के नए नियम लागू किये गए हैं. जिसे लेकर इन दिनों वन अधिकार कानून में सरकार के बदलाव करने का गलत संदेश सोशल मीडिया के माध्यम से खूब वायरल हो रहा है. जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि वनोपज और जलावन लकड़ियों का निजी उपयोग करने वाले ग्रामीणों को ट्रांजिट फीस देना पड़ेगा. वन विभाग को शुल्क नहीं देने की स्थिति में लोगों को जेल की हवा भी खानी पड़ेगी. इस आदेश को लेकर वन विभाग के प्रति लोगों में आक्रोश दिखने लगा है. जिसे लेकर लोगों में संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

क्या है डीएफओ का कहना

डीएफओ ने कहा कि सरकार ने वन अधिकार कानून में कोई बदलाव नहीं किये हैं, बल्कि अवैध खनिज संपदा और परिवहन पर रोक लगाने को लेकर नियमों में बदलाव किए गए हैं. सरकार के आदेश पर जुलाई महीने से वन क्षेत्र से वनोपज और खनिज संपदा पर शुल्क वसूली करने के नया नियम लागू किया गया है.

सरकार ने अवैध खनन और परिवहन के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम के तहत वन विभाग के अधिकार को बढ़ाया है. जिसके तहत अवैध खनन एवं परिवहन के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने और कानूनी कार्रवाई भी विभाग कर सकेगी. खदान पर प्रबंधनों को परिवहन लेकर वन प्रमंडल पदाधिकारी से आदेश भी लेना होगा.

प्रधान सचिव ने जारी किए निर्देश

झारखंड सरकार की प्रधान सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह ने 29 जून को प्रधान मुख्य वन संरक्षक झारखंड रांची ने उक्त आदेश जारी किया है. वन संरक्षक ने 1 जुलाई को तमाम मंडल के पदाधिकारियों समेत उच्च अधिकारियों को आदेश की प्रतिलिपि भेज दी है, आदेश जारी होने के बाद से ही ये नियम पूरे राज्य में प्रभावी हो गया है.

वन अधिकारी वनोपज का परिवार करने वाले वाहनों को रोक कर जांच एवं जरुरी कागजात की मांग कर सकते हैं. वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग झारखंड सरकार ने वनोपज (अभिवहन का विनीयमन) नियमावली 2020 के नियम से कि तहत शुल्क वसूली करेगी.

झारखंड वनोपज नियमावली 2000 के नियम 6 के प्रदत्त शक्तियों के आलोक में वनोपज परिवहन के लिए अनुज्ञा पत्र जारी करने के लिए निर्धारित शुल्क-

निर्धारित शुल्क के साथ वनोपज का नाम

1. लाइम स्टोन, डोलोमाईट, फायर क्ले, मैगजीन, कॉपर, लौह अयस्क, कोयला, बॉक्साइट, क्वार्टज, सिलिका सैंड, सोना अयस्क, कैलासाइट, शैल, स्लेट, सोप स्टोन, डायस्पोर, रॉक फारेस्ट, पायरो फिलाइट, काई नाइट, फल्सपार के लिए निर्धारित शुल्क 57 रुपये प्रति मीट्रिक टन


2. ग्रेनाइट, मार्बल, गिट्टी, पत्थर, बालू, मुरूम, मिट्टी के लिए निर्धारित शुल्क 35 रुपये प्रति घन मीटर

3. टिम्बर के लिए निर्धारित शुल्क 100 रुपये प्रति घन मीटर

4. जलावन के लिए निर्धारित शुल्क 25 रुपये प्रति घन मीटर

अवैध परिवहन को रोकने के लिए है ये नियमावली

सारंडा वन प्रमंडल के डीएफओ रजनीश कुमार ने बताया कि वनोपज को ले जाने के लिए ट्रांजिट फी की आवश्यकता होती है. मुख्यतः ट्रांजिट फी खनिज पदार्थों पर लगाया गया है. जिसमें डोलेमाईट, कोयला, लौह अयस्क, मैगनीज, ग्रेनाइट, मार्बल, जैसी खनिज संपदा पर शुल्क लगाया गया है. इसी तरह टिंबर और जलावन की लकड़ी पर भी शुल्क लगाया गया है, लेकिन गांव के ग्रामीण इसे दूसरी तरह से ना समझें. वह जलावन और टिंबर जो आरा मिल से कमर्शियल इस्तेमाल के लिए ले जाया जा रहा है, वैसे जलावन और टिंबर पर ही मात्र शुल्क लगाया जाएगा. वैसे जलावन या टिंबर जो वन अधिकार के तहत ग्रामीण अपने उपयोग के लिए करते हैं. उसके लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा. जहां कमर्शियल इस्तेमाल के लिए जलावन टिंबर ले जाया जा रहा है और ट्रांजिट परमिट की आवश्यकता है. उन्हें जलावन 25 रुपये घन मीटर शुल्क लगेगा. साथ ही टिंबर के लिए 100 रुपए घन मीटर जमा करना होगा. यह नियमावली अवैध परिवहन को रोकने के लिए है.

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