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चाईबासा में जमीन विवाद मामला: रैयतों के हक की लड़ाई लड़ेंगे विधायक दीपक बिरुवा, रिपोर्ट तैयार करने का दिया आदेश

चाईबासा में रैयतों और एसीसी कंपनी के बीच विवाद चल रहा है. इसको लेकर विधायक दीपक बिरुवा ने पहल की. रैयतों के साथ अंचल अधिकारी की बैठक हुई. बैठख में लोगों ने विधायक और अधिकारी के सामने अपना पक्ष रखा. विधायक ने कहा कि इस लड़ाई में वे रैयतों के साथ हैं.

dispute between ryots and acc company in chaibasa
रैयतों-एसीसी कंपनी विवाद मामला
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Published : Mar 26, 2021, 1:07 AM IST

Updated : Mar 26, 2021, 3:04 AM IST

चाईबासा: झींकपानी स्थित एसीसी कंपनी और टोन्टो प्रखंड के दोकट्टा, राजंका, कोंदवा रैयतों के जमीन सीमांकन विवाद को लेकर विधायक दीपक बिरुवा की पहल पर गुरुवार को दोकट्टा के बाईगुटू में अहम बैठक हुई. इस दौरान दोकट्टा, कोंदवा, चालगी, हेस्सा सुरनियां, डाउडांगुवा और राजंका गांव के रैयतों के साथ टोन्टो अंचलाधिकारी भी मौजूद रहे. इस बैठक में लोगों ने विधायक और अंचलाधिकारी के सामने अपना पक्ष रखा. रैयतों ने एकमत से कहा कि एसीसी कंपनी ने रैयतों को धोखा दिया है. पहले भी अधिग्रहित जमीन के एवज में आज तक 84 लोगों को नौकरी नहीं मिली. रैयतों ने कंपनी को जमीन नहीं देने का आह्वान किया.

यह भी पढ़ें: मधुपुर विधानसभा उपचुनाव: BJP ने गंगा नारायण सिंह को दिया टिकट, झामुमो के हफीजुल अंसारी को देंगे टक्कर

इस मामले में विधायक दीपक बिरुवा ने कहा कि रैयतों की इस लड़ाई में वे उनके साथ हैं. एफ-1 और एफ-2 के रैयत जो अभी भी लगान देते हैं, कंपनी ने गलत ढंग से उन रैयतों के साथ लीज किया था. एसीसी कंपनी पहले अपने एग्रीमेंट के अनुसार 84 रैयतों को तीन पीढ़ी नौकरी देगी, तब ही एफ-3 के लीज एक्सटेंशन पर बात होगी. विधायक ने इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए अंचलाधिकारी को तीनों गांव के मुंडा तथा रैयतों के साथ बैठक कर पूरे साक्ष्य के साथ रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया. विधायक ने रैयतों का कानूनी पक्ष और अधिकार पर गौर करते हुए रैयतों और मुंडाओं को जिला स्तरीय बैठक करने की जानकारी दी.

कंपनी ने नौकरी के नाम पर ठगा

रैयतों ने कहा कि एग्रीमेंट के अनुसार 84 रैयतों को नौकरी देनी थी. लेकिन, कंपनी ने 29 रैयत को 10 हजार रुपए के एवज में काम पर रखा. इसके बाद जब कंपनी का काम निकल गया तो सभी को काम से हटा दिया गया.

नियम का पालन नहीं कर रही कंपनी

कोंदवा के मुंडा मुकेश हेस्सा ने कहा कि MMDR-1957 के अनुसार खनन के बाद गहरा गड्ढा को भरकर समतल करना होता है. लेकिन, कंपनी खनन बाद वैसे ही गड्ढे को छोड़ दे रही है. इससे जलस्तर भी काफी कम हो गया है. नीमडीह के मुंडा मानकीन्द्र बालमुचू ने कहा कि लीज शर्त पर राज्यादेश पारित है कि अगर जिस उद्देश्य के लिए भूमि अधिग्रहण किया गया है और 12 माह में काम नहीं होता है, तो लीज स्वत: रद्द होगी और रैयतों को उनका जमीन वापस करना होगा. लेकिन कंपनी ने ऐसा नहीं किया.

चाईबासा: झींकपानी स्थित एसीसी कंपनी और टोन्टो प्रखंड के दोकट्टा, राजंका, कोंदवा रैयतों के जमीन सीमांकन विवाद को लेकर विधायक दीपक बिरुवा की पहल पर गुरुवार को दोकट्टा के बाईगुटू में अहम बैठक हुई. इस दौरान दोकट्टा, कोंदवा, चालगी, हेस्सा सुरनियां, डाउडांगुवा और राजंका गांव के रैयतों के साथ टोन्टो अंचलाधिकारी भी मौजूद रहे. इस बैठक में लोगों ने विधायक और अंचलाधिकारी के सामने अपना पक्ष रखा. रैयतों ने एकमत से कहा कि एसीसी कंपनी ने रैयतों को धोखा दिया है. पहले भी अधिग्रहित जमीन के एवज में आज तक 84 लोगों को नौकरी नहीं मिली. रैयतों ने कंपनी को जमीन नहीं देने का आह्वान किया.

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इस मामले में विधायक दीपक बिरुवा ने कहा कि रैयतों की इस लड़ाई में वे उनके साथ हैं. एफ-1 और एफ-2 के रैयत जो अभी भी लगान देते हैं, कंपनी ने गलत ढंग से उन रैयतों के साथ लीज किया था. एसीसी कंपनी पहले अपने एग्रीमेंट के अनुसार 84 रैयतों को तीन पीढ़ी नौकरी देगी, तब ही एफ-3 के लीज एक्सटेंशन पर बात होगी. विधायक ने इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए अंचलाधिकारी को तीनों गांव के मुंडा तथा रैयतों के साथ बैठक कर पूरे साक्ष्य के साथ रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया. विधायक ने रैयतों का कानूनी पक्ष और अधिकार पर गौर करते हुए रैयतों और मुंडाओं को जिला स्तरीय बैठक करने की जानकारी दी.

कंपनी ने नौकरी के नाम पर ठगा

रैयतों ने कहा कि एग्रीमेंट के अनुसार 84 रैयतों को नौकरी देनी थी. लेकिन, कंपनी ने 29 रैयत को 10 हजार रुपए के एवज में काम पर रखा. इसके बाद जब कंपनी का काम निकल गया तो सभी को काम से हटा दिया गया.

नियम का पालन नहीं कर रही कंपनी

कोंदवा के मुंडा मुकेश हेस्सा ने कहा कि MMDR-1957 के अनुसार खनन के बाद गहरा गड्ढा को भरकर समतल करना होता है. लेकिन, कंपनी खनन बाद वैसे ही गड्ढे को छोड़ दे रही है. इससे जलस्तर भी काफी कम हो गया है. नीमडीह के मुंडा मानकीन्द्र बालमुचू ने कहा कि लीज शर्त पर राज्यादेश पारित है कि अगर जिस उद्देश्य के लिए भूमि अधिग्रहण किया गया है और 12 माह में काम नहीं होता है, तो लीज स्वत: रद्द होगी और रैयतों को उनका जमीन वापस करना होगा. लेकिन कंपनी ने ऐसा नहीं किया.

Last Updated : Mar 26, 2021, 3:04 AM IST
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