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पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट 'ड्रीम' ही रह गया, 6 महीने बाद भी एक इंच आगे नहीं बढ़ा है काम

300 करोड़ की लागत वाली पीएम मोदी की ड्रीम प्रोजेक्ट चाईबासा मेडिकल कॉलेज, विरोध और फाइली कवायदों में उलझा है. 6 माह गुजरने के बाद भी इसके काम में कोई प्रगति नहीं हुई है.

पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट 'ड्रीम' ही रह गया
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Published : Apr 12, 2019, 10:24 PM IST

चाईबासाः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट चाईबासा मेडिकल कॉलेज की योजना का ऑनलाइन शिलान्यास पिछले साल किया था. शिलान्यास के बाद से अब तक इस योजना को धरातल पर नहीं उतारा गया है. योजना स्थानीय लोगों के विरोध और झारखंड सरकार की फाइली कवायदों में उलझ कर रह गई है. 3 सौ करोड़ की लागत से बनने वाली चाईबासा मेडिकल कॉलेज का काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है.

पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट 'ड्रीम' ही रह गया

6 महीने गुजर गए हैं इसके बावजूद भी जमीनी स्तर पर 1 इंच भी मेडिकल कॉलेज का काम आगे नहीं बढ़ रहा है. लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद भी योजना के काम शुरू होने में संशय है. इसके पूर्व क्षेत्र में 2 पावर ग्रिड स्थापित किए गए हैं. ग्रामीणों की मानें तो उस वक्त भी उनके साथ कई लुभावने वादे किए गए थे लेकिन अधिकारियों ने उन्हें ठगा है.

इससे भी गंभीर बात ये है कि गांव के निकट स्टेट बिजली ग्रिड तो है पर गांव में बिजली नहीं रहती. इस बार पीएम मोदी ने अपने सपनों को साकार करने के लिए विकास और मेडिकल शिक्षा देने के नाम पर इस गांव के पास लगभग 78 एकड़ क्षेत्रफल में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की पहल की. बड़े धूमधाम से मुख्यमंत्री रघुवर दास की मौजूदगी में बीते साल 23 सितंबर को मीडिया और अखबारों में जमकर प्रचार प्रसार भी किया गया. लोगों को लगा की क्षेत्र और राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन जिस तरह से मेडिकल कॉलेज फाइली कवायदों में उलझ कर रह गया है.

ये भी पढ़ें- रांचीः धोखाधड़ी मामले में 22 अप्रैल को होगी सुनवाई, अभिनेत्री अमीषा पटेल हैं आरोपी

मोदी सरकार की जुमलेबाजी और पब्लिसिटी स्टंट
इधर, लोकसभा चुनाव के इस दौर में स्थानीय विधायक दीपक बिरुवा की मानें तो मोदी सरकार ने जुमलेबाजी और पब्लिसिटी स्टंट के तौर पर इस योजना को धरातल पर उतारने को लेकर बयान बाजी थी. जो शिलान्यास केवल पब्लिसिटी स्टंट बनकर रह गया है.

प्रधानमंत्री मोदी की योजना पर स्थानीय सांसद लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार की शुरू की गई योजनाओं को लेकर क्षेत्र में काफी तेजी से विकास का काम हो रहा है. मेडिकल कॉलेज योजना को लेकर झारखंड सरकार भी काफी गंभीर है.

चाईबासाः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट चाईबासा मेडिकल कॉलेज की योजना का ऑनलाइन शिलान्यास पिछले साल किया था. शिलान्यास के बाद से अब तक इस योजना को धरातल पर नहीं उतारा गया है. योजना स्थानीय लोगों के विरोध और झारखंड सरकार की फाइली कवायदों में उलझ कर रह गई है. 3 सौ करोड़ की लागत से बनने वाली चाईबासा मेडिकल कॉलेज का काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है.

पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट 'ड्रीम' ही रह गया

6 महीने गुजर गए हैं इसके बावजूद भी जमीनी स्तर पर 1 इंच भी मेडिकल कॉलेज का काम आगे नहीं बढ़ रहा है. लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद भी योजना के काम शुरू होने में संशय है. इसके पूर्व क्षेत्र में 2 पावर ग्रिड स्थापित किए गए हैं. ग्रामीणों की मानें तो उस वक्त भी उनके साथ कई लुभावने वादे किए गए थे लेकिन अधिकारियों ने उन्हें ठगा है.

इससे भी गंभीर बात ये है कि गांव के निकट स्टेट बिजली ग्रिड तो है पर गांव में बिजली नहीं रहती. इस बार पीएम मोदी ने अपने सपनों को साकार करने के लिए विकास और मेडिकल शिक्षा देने के नाम पर इस गांव के पास लगभग 78 एकड़ क्षेत्रफल में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की पहल की. बड़े धूमधाम से मुख्यमंत्री रघुवर दास की मौजूदगी में बीते साल 23 सितंबर को मीडिया और अखबारों में जमकर प्रचार प्रसार भी किया गया. लोगों को लगा की क्षेत्र और राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन जिस तरह से मेडिकल कॉलेज फाइली कवायदों में उलझ कर रह गया है.

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मोदी सरकार की जुमलेबाजी और पब्लिसिटी स्टंट
इधर, लोकसभा चुनाव के इस दौर में स्थानीय विधायक दीपक बिरुवा की मानें तो मोदी सरकार ने जुमलेबाजी और पब्लिसिटी स्टंट के तौर पर इस योजना को धरातल पर उतारने को लेकर बयान बाजी थी. जो शिलान्यास केवल पब्लिसिटी स्टंट बनकर रह गया है.

प्रधानमंत्री मोदी की योजना पर स्थानीय सांसद लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार की शुरू की गई योजनाओं को लेकर क्षेत्र में काफी तेजी से विकास का काम हो रहा है. मेडिकल कॉलेज योजना को लेकर झारखंड सरकार भी काफी गंभीर है.

Intro:चाईबासा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट और उनके हाथों हुए चाईबासा मेडिकल कॉलेज की योजना का ऑनलाइन शिलान्यास स्थानीय लोगों के विरोध और झारखंड सरकार की फाइली कवायदो में उलझ कर रह गई है। 300 करोड़ की लागत से बनने वाली चाईबासा मेडिकल कॉलेज 23 सितंबर 2018 को पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों ऑनलाइन शिलान्यास संपन्न हुआ था।
परंतु 6 माह गुजर जाने के बावजूद भी जमीनी स्तर पर 1 इंच भी मेडिकल कॉलेज का काम आगे नहीं बढ़ रहा है।





Body:लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद भी योजना का कार्य आरंभ होने पर संशय -
इसके पूर्व क्षेत्र में 2 पावर ग्रिड स्थापित किए गए हैं ग्रामीणों की मानें तो उस वक्त भी उनके साथ कई लोग लुभावने वादे किए गए थे । लेकिन अधिकारियों के द्वारा उन्हें ठग दिया गया। हद तो तब हो गई गांव के समीप स्टेट बिजली ग्रिड तो है पर गांव में ही बिजली नहीं रहती है। इस बार पीएम मोदी द्वारा अपने सपनों को साकार करने के लिए विकास और मेडिकल शिक्षा देने के नाम पर इस गांव के पास लगभग 78 एकड़ क्षेत्रफल में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की पहल की गई है। बड़े ही धूमधाम से मुख्यमंत्री रघुवर दास की मौजूदगी में विगत वर्ष 23 सितंबर को मीडिया एवं अखबारों में जमकर प्रचार प्रसार भी किया गया था। लोगों को भी यह लगने लगा था कि या क्षेत्र और राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। लेकिन जिस प्रकार से यह मेडिकल कॉलेज फाइली कवायदो में उलझ कर रह गया है। इससे सरकार की नीति और नियत में खोट नजर आने लगी है। लोग अपनी शर्तों पर मेडिकल कॉलेज निर्माण करने की अनुमति देने की बात करने लगे हैं।

मोदी सरकार की जुमलेबाजी एवं पब्लिसिटी स्टंट -
इधर, लोकसभा चुनाव के इस दौर में स्थानीय विधायक दीपक बिरुवा की मानें तो मोदी सरकार द्वारा जुमलेबाजी एवं पब्लिसिटी स्टंट के तौर पर इस योजना को धरातल पर उतारने को लेकर बयान बाजी और पहल की थी। लेकिन शिलान्यास केवल पब्लिसिटी स्टंट बनकर रह गया है। जमीनी स्तर पर इसका क्या मतलब है यह लोकसभा चुनाव के बाद गहनता पूर्वक अध्ययन करने की जरूरत है। कुल मिलाकर विधायक दीपक बिरूवा ने इस योजना को भी विकास के नाम पर जनता के आंखों पर धूल झोंकने के लिए आई वास के बराबर बताया।



Conclusion:मेडिकल कॉलेज योजना को लेकर झारखंड सरकार भी काफी गंभीर -
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजना को लेकर स्थानीय सांसद लक्ष्मण गिलुवा की मानें तो राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं को लेकर क्षेत्र में काफी तेजी से विकास का काम हो रहा है। मेडिकल कॉलेज योजना को लेकर झारखंड सरकार भी काफी गंभीर है और चुनाव संपन्न होने के बाद इसे पूर्ण करने के लिए पूरी ताकत झोंकने की बात भी कही है। वहीं पर्दे के पीछे से स्थानीय विधायक पर विरोध की राजनीति करने का भी आरोप जड़ दिया है। इनकी माने तो हर जगह की तरह केंद्रीय योजनाओं का गठबंधन के द्वारा विरोध किया जाता है। इसी कड़ी में स्थानीय विधायक दीपक बिरूवा भी अपनी विरोध की राजनीति का धर्म निभाने का हक अदा कर रहे हैं।

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