चाईबासाः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट चाईबासा मेडिकल कॉलेज की योजना का ऑनलाइन शिलान्यास पिछले साल किया था. शिलान्यास के बाद से अब तक इस योजना को धरातल पर नहीं उतारा गया है. योजना स्थानीय लोगों के विरोध और झारखंड सरकार की फाइली कवायदों में उलझ कर रह गई है. 3 सौ करोड़ की लागत से बनने वाली चाईबासा मेडिकल कॉलेज का काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है.
6 महीने गुजर गए हैं इसके बावजूद भी जमीनी स्तर पर 1 इंच भी मेडिकल कॉलेज का काम आगे नहीं बढ़ रहा है. लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद भी योजना के काम शुरू होने में संशय है. इसके पूर्व क्षेत्र में 2 पावर ग्रिड स्थापित किए गए हैं. ग्रामीणों की मानें तो उस वक्त भी उनके साथ कई लुभावने वादे किए गए थे लेकिन अधिकारियों ने उन्हें ठगा है.
इससे भी गंभीर बात ये है कि गांव के निकट स्टेट बिजली ग्रिड तो है पर गांव में बिजली नहीं रहती. इस बार पीएम मोदी ने अपने सपनों को साकार करने के लिए विकास और मेडिकल शिक्षा देने के नाम पर इस गांव के पास लगभग 78 एकड़ क्षेत्रफल में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की पहल की. बड़े धूमधाम से मुख्यमंत्री रघुवर दास की मौजूदगी में बीते साल 23 सितंबर को मीडिया और अखबारों में जमकर प्रचार प्रसार भी किया गया. लोगों को लगा की क्षेत्र और राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन जिस तरह से मेडिकल कॉलेज फाइली कवायदों में उलझ कर रह गया है.
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मोदी सरकार की जुमलेबाजी और पब्लिसिटी स्टंट
इधर, लोकसभा चुनाव के इस दौर में स्थानीय विधायक दीपक बिरुवा की मानें तो मोदी सरकार ने जुमलेबाजी और पब्लिसिटी स्टंट के तौर पर इस योजना को धरातल पर उतारने को लेकर बयान बाजी थी. जो शिलान्यास केवल पब्लिसिटी स्टंट बनकर रह गया है.
प्रधानमंत्री मोदी की योजना पर स्थानीय सांसद लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार की शुरू की गई योजनाओं को लेकर क्षेत्र में काफी तेजी से विकास का काम हो रहा है. मेडिकल कॉलेज योजना को लेकर झारखंड सरकार भी काफी गंभीर है.