चाईबासाः राज्य के अत्यंत कमजोर जनजाति समूह के लोगों के लिए सरकार ने मुफ्त में 'चरण पादुका' स्कीम के तहत चप्पलें मुहैया करवाने की योजना बनायी है. इसपर स्वयं सहायता समूह की दीदियों ने उत्पादन शुरू कर दिया है.
मुख्यमंत्री ने की थी योजना की शुरूआत
'चरण पादुका' स्कीम का शुभारंभ मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जिले के पोड़ाहाट मेले में किया था. इसके बाद जिला प्रशासन ने नारी सशक्तिकरण और महिला रोजगार के उद्देश्य से स्वयं सहायता समूह की दीदियों को चप्पलों के निर्माण कार्य से जोड़ा है. सरकार की चरण पादुका योजना के तहत चप्पलें भी तैयार होंगी और महिलाओं को रोजगार भी प्राप्त हो सकेगा. इसके लिए एसीसी ट्रस्ट के साथ सीएसआर पार्टनर के रूप में एमओयू भी साइन किया गया है. चरण पादुका स्कीम के तहत पूरे राज्य के पीवीजीटी परिवार के सदस्यों के लिए ब्रांडेड चप्पलें इस जिले से भेजी जाएंगी. चरण पादुका योजना के तहत महिलाएं चाईबासा प्रखंड कार्यालय परिसर में चप्पलों का निर्माण कार्य मे जुट गई हैं.
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1 लाख जोड़ी चप्पलें तैयार करने का लक्ष्य
इस योजना के तहत प्रत्येक चप्पल के निर्माण पर एसीसी 3 रुपये और जिला प्रशासन की ओर से प्रतिदिन के हिसाब से 200 रुपये भुगतान किए जा रहे हैं. जिला प्रशासन ने इस योजना के तहत तिमाही 1 लाख जोड़ी चप्पलें तैयार करने का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए जिला प्रशासन ने चक्रधरपुर में एक विद्यालय का चयन किया है. वंहा चरण पादुका केंद्र खोल कर स्वयं सहायता समूहों की 60 महिलाओं को भी रोजगार दिया जाएगा और अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा कर राज्य के अत्यंत कमजोर जनजाति समूह के लोगों को मुफ्त में चप्पल देंगी.
योजना से महिलाओं में खुशी की लहर
सदर प्रखंड कार्यालय परिसर में चरण पादुका योजना के तहत चप्पलें तैयार कर रही दीदियां काफी खुश हैं. उनका कहना है कि इससे पहले उनके पास कोई काम नहीं था, परंतु अब वे अपने घर मे पति के साथ घर चलाने में हाथ बंटा रही हैं. उप विकास आयुक्त आदित्य रंजन ने बताया कि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पोड़ाहाट मेले में चरण पादुका योजना की शुरुआत की थी, जिसके बाद जिले में इस योजना की शुरुआत कर दी गई है. वर्तमान समय में सदर प्रखंड कार्यालय परिसर में स्वयं सहायता समुह की 90 महिलाओं को रोजगार से जोड़ते हुए इस योजना पर कार्य की शुरुआत कर दी गई है. उन्होंने कहा कि चाईबासा और चक्रधरपुर की स्वयं सहायता समूह की डेढ़ सौ महिलाएं प्रत्येक 3 माह में लगभग एक लाख चप्पल का निर्माण करेंगी और उनके द्वारा बनाई गई एक लाख चप्पलें राज्य के सभी आदिम जनजाति के लोगों को मुफ्त में दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि महिलाओं को भविष्य में भी रोजगार की दृष्टिकोण से चप्पलों का निर्माण कार्य के बाद महिलाओं को जूते बनाने के भी ट्रेनिंग दिए जाएंगे.