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चाईबासाः 6 लौह अयस्क खदानें बंद होने से राजस्व में कमी, अप्रैल में मिले केवल 55 करोड़

पश्चिम सिंहभूम जिले की 6 खदानें 31 मार्च को बंद हो गईं हैं, जिससे झारखंड सरकार को काफी नुकसान हुआ है. 31 मार्च को जिले की छह खदानों की लीज अवधि समाप्त होने के बाद प्रतिमाह सरकार को मिलने वाली राजस्व में भारी कमी आई है.

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लौह अयस्क खदानें बंद होने से राजस्व में कमी
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Published : Sep 16, 2020, 4:58 PM IST

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिले की कुल 6 खदानों के बंद होने से खदानों से मिलने वाले राजस्व में कमी आ गई है. 31 मार्च को जिले की छह खदानों की लीज अवधि समाप्त होने के बाद प्रतिमाह सरकार को मिलने वाली राजस्व में भारी कमी आई है.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढे़ं:- चाईबासा: 31 अक्टूबर तक 10 वृहत जलापूर्ति योजना का निर्माण, डीसी ने दिया निर्देश

जिला खनन पदाधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि खदानें बंद होने से पहले हर महीने 100 करोड़ रुपए से भी अधिक राशि राजस्व के रूप में प्राप्ति होती थी, लेकिन खदानों की लीज समाप्ति होने के बाद खनन कार्य पूरी तरह से ठप हो चुका है, साथ ही कोरोना संक्रमण काल के कारण लौह अयस्क के व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

खदानों के उत्पादन और डिस्पैच पर भी इसका बुरा असर देखने को मिल रहा है, जिसके कारण राजस्व का भी घाटा हुआ है. उन्होंने बताया कि अप्रैल में मात्र 55 करोड़ रुपए का ही राजस्व प्राप्त हो पाया था, उस महीने में लगभग 50 प्रतिशत राजस्व का नुकसान सरकार को उठाना पड़ा, यही कारण है कि कोरोना काल में छूट मिलने के बाद भी क्षेत्र में कम खदाने ही संचालित हैं, जिनसें मात्र 90 करोड़ रुपए प्रतिमाह सरकार को राजस्व के रूप में प्राप्त हो रहे हैं.

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिले की कुल 6 खदानों के बंद होने से खदानों से मिलने वाले राजस्व में कमी आ गई है. 31 मार्च को जिले की छह खदानों की लीज अवधि समाप्त होने के बाद प्रतिमाह सरकार को मिलने वाली राजस्व में भारी कमी आई है.

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जिला खनन पदाधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि खदानें बंद होने से पहले हर महीने 100 करोड़ रुपए से भी अधिक राशि राजस्व के रूप में प्राप्ति होती थी, लेकिन खदानों की लीज समाप्ति होने के बाद खनन कार्य पूरी तरह से ठप हो चुका है, साथ ही कोरोना संक्रमण काल के कारण लौह अयस्क के व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

खदानों के उत्पादन और डिस्पैच पर भी इसका बुरा असर देखने को मिल रहा है, जिसके कारण राजस्व का भी घाटा हुआ है. उन्होंने बताया कि अप्रैल में मात्र 55 करोड़ रुपए का ही राजस्व प्राप्त हो पाया था, उस महीने में लगभग 50 प्रतिशत राजस्व का नुकसान सरकार को उठाना पड़ा, यही कारण है कि कोरोना काल में छूट मिलने के बाद भी क्षेत्र में कम खदाने ही संचालित हैं, जिनसें मात्र 90 करोड़ रुपए प्रतिमाह सरकार को राजस्व के रूप में प्राप्त हो रहे हैं.

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