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झारखंडः 356 अंशकालिक शिक्षकों का भविष्य दांव पर, सरकार से लगाई स्थाईकरण की गुहार

झारखंड में 356 अंशकालिक शिक्षकों पर बेरोजगारी की तलवार लटकी है. चाईबासा में अंशकालिक शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बाल विकास व सामाजिक सुधार मंत्री जोबा मांझी को ज्ञापन सौंपा. शिक्षकों ने बताया कि विभाग, बिना किसी ठोस आधार पर शिक्षकों की सेवा समाप्त करने की तैयारी कर रहा है.

356 part time teacher demands for regularization in chaibasa
अंशकालिक शिक्षक
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Published : Sep 7, 2020, 5:14 PM IST

चाईबासा: झारखंड में 356 अंशकालिक शिक्षकों पर बेरोजगारी की तलवार लटकी है. इसको लेकर अंशकालिक शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल बाल विकास व समाजिक सुधार मंत्री जोबा मांझी से मिला और एक ज्ञापन सौंपा. इसमें अंशकालिक शिक्षकों ने मंत्री को बताया कि विभाग, बिना किसी ठोस आधार पर शिक्षकों की सेवा समाप्त करने की तैयारी कर रहा है, जबकि सरकार ने हर छह महीने में सेवा विस्तार करने का प्रावधान रखा है.

पांच सालों से सेवा दे रहे शिक्षकों पर बेरोजगारी की तलवार लटक रही है. जनजातीय समुदाय के बच्चों की निशुल्क आवासीय शिक्षा देने के लिए कल्याण विभाग ने प्रत्येक जिलों में जनजातीय आवासीय विद्यालय की स्थापना की गई थी, जिसमें पूरे राज्य में 356 अंशकालिक शिक्षकों की नियुक्ति 2015 की गई थी. कल्याण विभाग घंटी आधारित शिक्षक के रूप में तैनात हैं.

वहीं, विगत पांच सालों से नाममात्र के वेतन पर शिक्षा की अलख जगा रहे शिक्षकों पर अब बेरोजगार होने की स्थिति बनी हुई है, जबकि कोरोना काल में आपातकालीन छुट्टी के दौरान मार्च महीने से अगस्त महीने तक का कुल छह महीनों के वेतन का भुगतान भी नहीं किया गया है, जिससे शिक्षक अपने परिवार का भरणपोषण करने में असमर्थ हैं. वहीं, शिक्षकों का परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है.

इधर अंशकालिक शिक्षकों का सेवा विस्तार भी 14 जुलाई 2020 को समाप्त हो गया है, जिसको लेकर शिक्षक आशंकित हैं कि उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी. शिक्षकों की सेवा समाप्त होने की स्थिति में पश्चिम सिंहभूम जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संचालित पांच आवासीय विद्यालय जिसमें चाईबासा, छोटानागरा, थोलकोबाद, टेबो और कुंन्दुगुटू के करीब 350 छात्राओं की शिक्षा पर असर पडे़गा, साथ ही सुदूरवर्ती क्षेत्रों में बच्चे फिर एक बार शिक्षा से वंचित हो जाएंगे.

पढ़ें:राष्ट्रीय शिक्षा नीति सम्मेलन 2020: कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू और सीएम हेमंत सोरेन

नहीं होगी सेवा समाप्ति, सत्र में रखेंगे बात: जोबा मांझी

दूसरी ओर मंत्री जोबा मांझी ने अंशकालीन शिक्षकों को आश्वासन दिया है कि संबंधित विभाग के मंत्री और अधिकारियों से बात कर राज्य के शिक्षकों की सेवाएं विस्तार करने की बात की जाएगी. यह मामला शिक्षा और आवासीय विद्यालय के जनजातीय समुदाय के बच्चों का है. इसलिए इस पर सरकार भी गंभीर है. इस मामले को सत्र में भी रखा जाएगा और जल्द से जल्द मामले का समाधान कर लिया जाएगा. शिक्षकों को जल्द-जल्द से न्याय दिलाया जाएगा.

अंशकालिक शिक्षक संघ के सदस्य निरूप प्रधान ने बताया कि अनुसूचित जनजाति के आवासीय विद्यालय से अंशकालिक शिक्षकों की सेवा समाप्त होने पर शिक्षकों की कमी तो होगी, इसके अलावा बच्चों की शिक्षा पर भी बुरा प्रभाव पडे़गा. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि शिक्षकों का सेवा विस्तार किया जाए, साथ ही छह महीने का बकाया राशि का भुगतान किया जाए, जिससे हमारा परिवार भुखमरी की कगार पर न आए.

चाईबासा: झारखंड में 356 अंशकालिक शिक्षकों पर बेरोजगारी की तलवार लटकी है. इसको लेकर अंशकालिक शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल बाल विकास व समाजिक सुधार मंत्री जोबा मांझी से मिला और एक ज्ञापन सौंपा. इसमें अंशकालिक शिक्षकों ने मंत्री को बताया कि विभाग, बिना किसी ठोस आधार पर शिक्षकों की सेवा समाप्त करने की तैयारी कर रहा है, जबकि सरकार ने हर छह महीने में सेवा विस्तार करने का प्रावधान रखा है.

पांच सालों से सेवा दे रहे शिक्षकों पर बेरोजगारी की तलवार लटक रही है. जनजातीय समुदाय के बच्चों की निशुल्क आवासीय शिक्षा देने के लिए कल्याण विभाग ने प्रत्येक जिलों में जनजातीय आवासीय विद्यालय की स्थापना की गई थी, जिसमें पूरे राज्य में 356 अंशकालिक शिक्षकों की नियुक्ति 2015 की गई थी. कल्याण विभाग घंटी आधारित शिक्षक के रूप में तैनात हैं.

वहीं, विगत पांच सालों से नाममात्र के वेतन पर शिक्षा की अलख जगा रहे शिक्षकों पर अब बेरोजगार होने की स्थिति बनी हुई है, जबकि कोरोना काल में आपातकालीन छुट्टी के दौरान मार्च महीने से अगस्त महीने तक का कुल छह महीनों के वेतन का भुगतान भी नहीं किया गया है, जिससे शिक्षक अपने परिवार का भरणपोषण करने में असमर्थ हैं. वहीं, शिक्षकों का परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है.

इधर अंशकालिक शिक्षकों का सेवा विस्तार भी 14 जुलाई 2020 को समाप्त हो गया है, जिसको लेकर शिक्षक आशंकित हैं कि उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी. शिक्षकों की सेवा समाप्त होने की स्थिति में पश्चिम सिंहभूम जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संचालित पांच आवासीय विद्यालय जिसमें चाईबासा, छोटानागरा, थोलकोबाद, टेबो और कुंन्दुगुटू के करीब 350 छात्राओं की शिक्षा पर असर पडे़गा, साथ ही सुदूरवर्ती क्षेत्रों में बच्चे फिर एक बार शिक्षा से वंचित हो जाएंगे.

पढ़ें:राष्ट्रीय शिक्षा नीति सम्मेलन 2020: कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू और सीएम हेमंत सोरेन

नहीं होगी सेवा समाप्ति, सत्र में रखेंगे बात: जोबा मांझी

दूसरी ओर मंत्री जोबा मांझी ने अंशकालीन शिक्षकों को आश्वासन दिया है कि संबंधित विभाग के मंत्री और अधिकारियों से बात कर राज्य के शिक्षकों की सेवाएं विस्तार करने की बात की जाएगी. यह मामला शिक्षा और आवासीय विद्यालय के जनजातीय समुदाय के बच्चों का है. इसलिए इस पर सरकार भी गंभीर है. इस मामले को सत्र में भी रखा जाएगा और जल्द से जल्द मामले का समाधान कर लिया जाएगा. शिक्षकों को जल्द-जल्द से न्याय दिलाया जाएगा.

अंशकालिक शिक्षक संघ के सदस्य निरूप प्रधान ने बताया कि अनुसूचित जनजाति के आवासीय विद्यालय से अंशकालिक शिक्षकों की सेवा समाप्त होने पर शिक्षकों की कमी तो होगी, इसके अलावा बच्चों की शिक्षा पर भी बुरा प्रभाव पडे़गा. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि शिक्षकों का सेवा विस्तार किया जाए, साथ ही छह महीने का बकाया राशि का भुगतान किया जाए, जिससे हमारा परिवार भुखमरी की कगार पर न आए.

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