सिमडेगा: गरजा-रेंगारी मुख्य पथ से कोनबेगी डैम तक लगभग तीन किलोमीटर लंबी सड़क की बीते करीब 15 सालों से मरमति नहीं हुई है. जिस कारण सड़क में जगह-जगह पत्थर निकल आये हैं. इसपर चलना लोगों के लिए मुश्किल हो गया है, दो पहाड़ों की खुबसूरत वादियों के बीच बसे कोनबेगी डैम बहुत ही दर्शनीय है. यहां हमेशा पर्यटक आते जाते रहते हैं और नए साल पर भी सैकड़ों लोग यहां पिकनिक मनाने हैं लेकिन सड़क खराब रहने के कारण कभी-कभी दुर्घटनाएं भी होती हैं. इसे लेकर युवकों ने श्रमदान कर सड़क बनाई.
4 युवकों ने की सड़क की मरम्मत
कोनबेगी के 4 युवकों अजय डुंगडुंग, विनय साहू, मुकेश साहू और पंचम बड़ाईक ने श्रमदान से करीब 3 किलोमीटर जर्जर सड़क को ठीक किया. युवकों के जज्बे को देखकर गांव के ही बिपिन कुमार प्रसाद ने अपनी ट्रैक्टर देकर इनका सहयोग किया. जिससे मोरम मिट्टी की आपूर्ति की गई. लगभग 2000 से अधिक जनसंख्या वाले इस कोनबेगी गांव में बीते 10 सालों में किसी भी अन्य योजना से सिर्फ कुछ एक जलमीनार, एक टोला में 100 मीटर पेवर ब्लॉक और 50 मीटर पीसीसी पथ बना है.
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वैज्ञानिकों का होता है आवागमन
ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई कि खोज कर रहे वैज्ञानिक सिद्धार्थ प्रसाद का घर इसी कोनबेगी गांव में होने के कारण यहां हमेशा राष्ट्रीय और अंतररास्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिकों का आवागमन होता रहता है. पिछले साल ही वीईसीसी के पूर्व निदेशक सहित 6 से अधिक वैज्ञानिक यहां आये थे. गांव की स्थिति देखकर उनकी मनस्थिति जिला के प्रति क्या हुई होगी कि जो खुद दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत है. पिछले माह ही ठेठईटांगर प्रमुख रेखा मिंज और प्रखंड बीडीओ मनोज कुमार ने दौरा कर गांव स्थिति का जायजा लिया था. इसके बावजूद परिस्थिति वैसी ही है.