सिमडेगा: जिला प्रशासन के हरस्तर पर कई प्रयासों के बावजूद सड़क दुर्घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. जिले में आए दिन दुर्घटना में घायल और मौत की खबरें आती रहती हैं. हालांकि, जिला प्रशासन ने सड़क दुर्घटना कम करने के लिए कई प्रयास किए हैं, जिनमें ब्लैक-स्पॉट को चिन्हित करने के अलावा, सांकेतिक चिन्ह और रोड पर बंपर आदि बनाकर दुर्घटना को कम करने और इसके लिए लोगों को जागरुक किया जा रहा है. लॉकडाउन के शुरुआती महीनों में दुर्घटना में कमी तो आयी थी, लेकिन बाद के महीनों में दुर्घटना में काफी इजाफा हुआ है.
- वर्ष 2017 में कुल 111 सड़क दुर्घटनाएं हुईं थी, जिसमें 87 लोगों की मौत और 86 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे.
- वहीं साल 2018 में कुल 148 सड़क दुर्घटना के मामले सामने आए थे, जिसमें 106 लोगों की मौत और 170 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे.
- वर्ष 2019 में कुल 108 सड़क दुर्घटना के मामले सामने आए थे, जिसमें 97 लोगों की मौत हुई थी और 103 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे.
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इसके अलावा अगर 2020 की बात करें तो जनवरी से मई महीने तक सड़क दुर्घटना के 31 मामले सामने आए, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई. वहीं 19 लोग गंभीर रूप से घायल हुए.
हालांकि वर्ष 2020 में मौत का आंकड़ा जून के महीने में और बढ़ा है. सिमडेगा में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं ने जिला प्रशासन को चिंता में डाल दिया है. दुर्घटना में रोकथाम के लिए सड़क सुरक्षा समिति नए सिरे से ब्लैक-स्पॉट को चिन्हित कर रही है, जिसमें विशेष रूप से कोलेबिरा घाटी का निरीक्षण कर दुर्घटना के कारणों को ढूंढा जा रहा है.
जिले में सड़क दुर्घटना के आंकड़े | |||
वर्ष | दुर्घटना | मौत | घायल |
2017 | 111 | 87 | 86 |
2018 | 148 | 106 | 170 |
2019 | 108 | 97 | 103 |
2020 | 31 | 26 | 19 |
'जिले की अधिकांश सड़कें टेढ़ी-मेढ़ी'
वैसे सिमडेगा से गुजरने वाले एनएच 143 की खराब स्थिति भी दुर्घटना में बढ़ोतरी का एक मुख्य कारण है. वहीं परिवहन विभाग के आईटी मैनेजर ब्रजेश कुमार की मानें तो सिमडेगा जिले की अधिकांश सड़कें टेढी-मेढ़ी स्थिति में हैं और लॉकडाउन के दौरान बाहर से आने वाले वाहन चालकों को इसका अंदाजा नहीं रहता. इस कारण दुर्घटना में बढ़ोतरी होती है. वहीं टेढ़े-मेढे़ रास्ते के कारण अधिकांश वाहन चालक वाहन पर अपना नियंत्रण नहीं रख पाते हैं, जिससे दुर्घटना हो जाती है.