सिमडेगा: लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो इसके लिए सदर अस्पताल के बड़े-बड़े भवन तो बनाए गए हैं, लेकिन इसमें मिलने वाली सुविधाएं आज भी नदारद हैं. कहने को तो यहां आउटडोर-इनडोर और इमरजेंसी सेवा जैसी सारी बड़ी-बड़ी लाइनें लिखी हुई हैं, लेकिन हकीकत सच से परे है. बीमार होने पर मरीजों को पड़ोसी जिले रांची और राउरकेला की ओर दौड़ लगानी पड़ती है. मामला थोड़ा सीरियस हो जाए तब तो रेफर होना लगभग तय है. हो भी क्यों ना स्वास्थ्य सुविधाएं भवनों से नहीं बल्कि वहां रहने वाले डॉक्टरों से मिलती हैं.
सिमडेगा सदर अस्पताल की बात करें तो लगभग आधे डॉक्टरों के भरोसे यहां कार्य हो रहे हैं. बता दें कि सदर अस्पताल में डॉक्टरों के 13 स्वीकृत पद हैं, जिसकी तुलना में 6 डॉक्टर ही कार्यरत हैं. खासकर सदर अस्पताल में तीन ही डॉक्टर कार्यरत हैं. जबकि 5 महिला डॉक्टर की नियुक्ति सदर अस्पताल में की गई है. दो महिला चिकित्सक बीते पांच-छह महीनों से बिना कारण बताए गायब हैं, जिनके खिलाफ सिविल सर्जन प्रमोद कुमार सिन्हा विभागीय पत्राचार भी कर चुके हैं.
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विशेषज्ञ चिकित्सक और टेक्नीशियन की कमी से सदर अस्पताल खुद ही बीमार है. ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिलने की उम्मीद करना बेमानी है. महिला डॉक्टर की कमी के कारण खासकर गर्भवती महिलाओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बीते दिनों में कई बार ऐसा देखा गया है कि जिन महिलाओं की डिलीवरी सदर अस्पताल में संभव है. उन्हें भी कई तरह के कॉम्प्लिकेशन बताकर बाहर रेफर कर दिया जाता है.
बता दें कि इसकी खबरें पूर्व में भी ईटीवी भारत में प्रमुखता के साथ प्रकाशित की जा चुकी है. इधर सदर अस्पताल में उपलब्ध कराए गए एंबुलेंस बिना रजिस्ट्रेशन के ही संचालित हैं. आपको बता दें कि फिलहाल तीन एंबुलेंस सदर अस्पताल में हैं. परंतु इन तीनों का रजिस्ट्रेशन महीनों बाद भी नहीं कराया गया है, जिससे पड़ोसी राज्य ओडिशा में कई बार फाइन भी भरना पड़ा है.