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लॉकडाउन की मार और राशन डीलरों की मनमानी झेल रहे ग्रामीण, अनाज उधार मांगकर पेट भरने को विवश - Bolba Block Simdega

सिमडेगा में गरीबों को अनाज नहीं मिल पा रहा है. लॉकडाउन की मार और राशन डीलरों की मनमानी से जरूरतमंद लोग अनाज उधार मांगकर पेट भरने को विवश है. वहीं, डीलर ने ग्रामीणों से राशन कार्ड बनवाने को लेकर पैसे भी लिए हैं पर अब तक कार्ड नहीं बना है.

poor people not getting food grains in Simdega
अनाज उधार मांगकर पेट भरने को विवश ग्रामीण
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Published : Apr 1, 2020, 11:36 AM IST

सिमडेगा: एक तरफ लॉकडाउन की मार और डीलरों की मनमानी ऐसे में गरीबों को अनाज नहीं मिल पा रहा है. मामला बोलबा प्रखंड के पाकरबहार गंझूटोली का है, जहां गरीब परिवार पेट भरने के लिए अनाज उधार मांगकर पेट भरने को विवश है. पाकरबहार निवासी पुत्री देवी ने बताया कि घर पर अनाज का एक दाना भी नहीं है. फिलहाल वो अपने परिजनों से अनाज उधार ले रही है. जिससे उसके परिवार का पेट भर रहा है. पुत्री देवी के पति ट्रैक्टर चालक हैं. लॉकडाउन के कारण कमाई नहीं हो रही है जिससे वो अनाज खरीद सकें.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-राजधानी एक्सप्रेस कोच नंबर B1 से 16 मार्च को रांची आने वाले लोग करवाएं जांच, DC ने की अपील

उन्होंने बताया कि 1 साल पहले ही राशन कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन दिया गया था लेकिन इतने समय बीतने के बाद भी राशन कार्ड नहीं मिल सका. इतना ही नहीं राशन कार्ड बनवाने के नाम पर डीलर ने एक हजार की नगद राशि पुत्री देवी से ली है. वहीं, दूसरा मामले में लोहरा टोली निवासी संतोषी देवी ने बताया कि डीलर ने कार्ड बनाने के नाम पर उससे भी 1500 रुपए की राशि ली थी.

इधर लोहरा टोली के अन्य ग्रामीणों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण उनकी भी स्थिति काफी दयनीय है. अगर जल्द ही स्थानीय प्रशासन की ओर से पहल नहीं की गई तो सबके घरों में भूखे मरने की नौबत आ जाएगी. गौरतलब है कि बोलबा प्रखंड मुख्यालय में 31 मार्च को ही राशन का वितरण किया गया है. सूत्रों की माने तो राशन की लाइन में अधिकांश ऐसे सक्षम व्यक्ति देखे गए जिनका पक्का मकान, मोटरसाइकिल और चार पहिया वाहन आदि हैं.

वहीं, बोलबा बीडीओ ज्ञानमणि एक्का मामले पर गोल-मटोल जवाब देते नजर आए. उन्होंने कहा कि राशन डीलरों को 1 महीने पहले ही कार्डधारी की सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था, लेकिन आज तक सूची कार्यालय में जमा नहीं की गई है. उन्होंने कहा राशन जरूरतमंदों को दी जानी है न की आर्थिक संपन्न व्यक्ति को.

सिमडेगा: एक तरफ लॉकडाउन की मार और डीलरों की मनमानी ऐसे में गरीबों को अनाज नहीं मिल पा रहा है. मामला बोलबा प्रखंड के पाकरबहार गंझूटोली का है, जहां गरीब परिवार पेट भरने के लिए अनाज उधार मांगकर पेट भरने को विवश है. पाकरबहार निवासी पुत्री देवी ने बताया कि घर पर अनाज का एक दाना भी नहीं है. फिलहाल वो अपने परिजनों से अनाज उधार ले रही है. जिससे उसके परिवार का पेट भर रहा है. पुत्री देवी के पति ट्रैक्टर चालक हैं. लॉकडाउन के कारण कमाई नहीं हो रही है जिससे वो अनाज खरीद सकें.

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उन्होंने बताया कि 1 साल पहले ही राशन कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन दिया गया था लेकिन इतने समय बीतने के बाद भी राशन कार्ड नहीं मिल सका. इतना ही नहीं राशन कार्ड बनवाने के नाम पर डीलर ने एक हजार की नगद राशि पुत्री देवी से ली है. वहीं, दूसरा मामले में लोहरा टोली निवासी संतोषी देवी ने बताया कि डीलर ने कार्ड बनाने के नाम पर उससे भी 1500 रुपए की राशि ली थी.

इधर लोहरा टोली के अन्य ग्रामीणों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण उनकी भी स्थिति काफी दयनीय है. अगर जल्द ही स्थानीय प्रशासन की ओर से पहल नहीं की गई तो सबके घरों में भूखे मरने की नौबत आ जाएगी. गौरतलब है कि बोलबा प्रखंड मुख्यालय में 31 मार्च को ही राशन का वितरण किया गया है. सूत्रों की माने तो राशन की लाइन में अधिकांश ऐसे सक्षम व्यक्ति देखे गए जिनका पक्का मकान, मोटरसाइकिल और चार पहिया वाहन आदि हैं.

वहीं, बोलबा बीडीओ ज्ञानमणि एक्का मामले पर गोल-मटोल जवाब देते नजर आए. उन्होंने कहा कि राशन डीलरों को 1 महीने पहले ही कार्डधारी की सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था, लेकिन आज तक सूची कार्यालय में जमा नहीं की गई है. उन्होंने कहा राशन जरूरतमंदों को दी जानी है न की आर्थिक संपन्न व्यक्ति को.

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