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तीन बच्चियों की मौत के बाद जागा प्रशासन, जल्द ही बदलेगी गौरीडूबा गांव की तस्वीर

सिमडेगा के गौरीडूबा और कंदाबेड़ा गांव में व्याप्त समस्याओं पर लगातार कवरेज देकर ईटीवी भारत ने तीन मासूम बच्चियों की मौत की खबर प्रमुखता के साथ दिखाई थी, जिसके बाद जिला प्रशासन और शासन को वास्तविक जानकारी से अवगत कराया, जिसके बाद अब जाकर इन दोनों गांव के लोगों के दिन बदलने वाले हैं.

people will get network connectivity in simdega
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Published : Oct 23, 2020, 3:58 PM IST

सिमडेगा: जिला मुख्यालय से करीब 46 किलोमीटर दूर बीहड़ जंगलों और पहाड़ों के बीच स्थित गौरीडूबा और कंदाबेड़ा गांव की तस्वीर अब जल्द ही बदलने वाली है. इसे लेकर जिला प्रशासन ने सर्वे का काम शुरू कर दिया है. गांव की मूलभूत जरूरतों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाएगा, जिसके लिए अंचल निरीक्षक और राजस्व कर्मचारी ने गांव जाकर क्षेत्र का भ्रमण किया और ग्रामीणों से बात कर उनकी जरूरतों की पूरी जानकारी ली.

जानकारी देते उपायुक्त
क्या कहते हैं उपायुक्त

उपायुक्त सुशांत गौरव ने कहा कि नेटवर्क कनेक्टिविटी के लिए कंपनियों से बात कर टावर स्थापित करने की बात कही है. साथ ही सुदूरवर्ती एरिया होने के कारण छोटे-छोटे स्तर पर पीसीसी पथ का निर्माण कर सड़क सुविधा बहाल करने के पहल की जाएगी. इसके अलावा पीड़ित परिवार को जल्द मुआवजा दिया जा सके. इसके लिए जिला प्रशासन प्रयासरत है.

ये भी पढे़ं: सीएम सोरेन ने पीएम को लिखा पत्र, कहा-पैसे काटने के तरीके से हूं आहत, राज्य के हक से कराया अवगत

सांप डसने से तीन बच्चियों की मौत

तीन मासूम बच्चियों को 19 अक्टूबर की सुबह परिजनों की ओर से खटिया और कंधे पर ढोकर 7 किलोमीटर पथरीली पहाड़ी भरे रास्तों से होकर पैदल सड़क तक लाया गया था, जिसके बाद वाहन के माध्यम से उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने तीनों बच्चियों को मृत घोषित कर दिया था. यदि पक्की सड़क होती, तो समय रहते इन बच्चियों का इलाज हो जाता और जान बच सकती थी. इन बच्चियों की मौत ने इंसानियत और मानवता को झकझोर कर रख दिया. इस घटना ने सरकारी व्यवस्थाओं की पोल खोल दी, जो बताती है कि आज भी झारखंड के सुदूरवर्ती गांव की वास्तविक स्थिति कैसी है.

सिमडेगा: जिला मुख्यालय से करीब 46 किलोमीटर दूर बीहड़ जंगलों और पहाड़ों के बीच स्थित गौरीडूबा और कंदाबेड़ा गांव की तस्वीर अब जल्द ही बदलने वाली है. इसे लेकर जिला प्रशासन ने सर्वे का काम शुरू कर दिया है. गांव की मूलभूत जरूरतों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाएगा, जिसके लिए अंचल निरीक्षक और राजस्व कर्मचारी ने गांव जाकर क्षेत्र का भ्रमण किया और ग्रामीणों से बात कर उनकी जरूरतों की पूरी जानकारी ली.

जानकारी देते उपायुक्त
क्या कहते हैं उपायुक्त

उपायुक्त सुशांत गौरव ने कहा कि नेटवर्क कनेक्टिविटी के लिए कंपनियों से बात कर टावर स्थापित करने की बात कही है. साथ ही सुदूरवर्ती एरिया होने के कारण छोटे-छोटे स्तर पर पीसीसी पथ का निर्माण कर सड़क सुविधा बहाल करने के पहल की जाएगी. इसके अलावा पीड़ित परिवार को जल्द मुआवजा दिया जा सके. इसके लिए जिला प्रशासन प्रयासरत है.

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सांप डसने से तीन बच्चियों की मौत

तीन मासूम बच्चियों को 19 अक्टूबर की सुबह परिजनों की ओर से खटिया और कंधे पर ढोकर 7 किलोमीटर पथरीली पहाड़ी भरे रास्तों से होकर पैदल सड़क तक लाया गया था, जिसके बाद वाहन के माध्यम से उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने तीनों बच्चियों को मृत घोषित कर दिया था. यदि पक्की सड़क होती, तो समय रहते इन बच्चियों का इलाज हो जाता और जान बच सकती थी. इन बच्चियों की मौत ने इंसानियत और मानवता को झकझोर कर रख दिया. इस घटना ने सरकारी व्यवस्थाओं की पोल खोल दी, जो बताती है कि आज भी झारखंड के सुदूरवर्ती गांव की वास्तविक स्थिति कैसी है.

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