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सिमडेगा में पोस्टल कर्मचारी, ग्रामीण डाक सेवक और पोस्टल पेंशनर की हड़ताल, आम लोग परेशान

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Published : Nov 26, 2020, 3:26 PM IST

केंद्रीय कर्मचारी परिसंघ के आह्वान पर पोस्टल कर्मचारी, ग्रामीण डाक सेवक और पोस्टल पेंशनर के कर्मचारियों ने राष्ट्रव्यापी एक दिवसीय हड़ताल की गई. उन्होंने सरकार से जल्द अपनी मांगों को लागू करने की अपील की है.

One day strike of Postal employees in Simdega
पोस्टल कर्मचारियों की हड़ताल

सिमडेगा: जिले में केंद्रीय कर्मचारी परिसंघ के आह्वान पर गुरुवार को राष्ट्रव्यापी एक दिवसीय हड़ताल की. हड़ताल में पोस्टल कर्मचारी, ग्रामीण डाक सेवक और पोस्टल पेंशनर के कर्मचारी शामिल हैं. यह हड़ताल केंद्र सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ किया गया है. हड़ताल के माध्यम से इन कर्मचारियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लागू करने की मांग की है, जिसमें नई पेंशन योजना को समाप्त कर पुराने और कर्मचारी हित वाली पेंशन योजना अविलंब लागू करने की मांग की है.

देखें पूरी खबर

हड़तालकर्मियों ने कर्मचारी संघ पर अनाधिकार रूप से हस्तक्षेप बंद करने, कोविड-19 महामारी के दौरान मृत कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा पर नौकरी और आउटसोर्सिंग से एजेंटों की भर्ती को अविलंब रोके जाने सहित कई मांगे की है. इसके अलावा अखिल भारतीय ग्रामीण डाक सेवक कर्मचारी संघ ने भी अपनी विभिन्न मांगों पर को सरकार से लागू करने की मांग की है, जिसमें जीडीएस कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिए जाने, 180 दिन का अवकाश संचय करने और अवकाश का नगद भुगतान करने, स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार, महंगाई भत्ता, समूह बीमा राशि बढ़ाए जाने सहित अन्य मांगे शामिल हैं. ग्रामीण डाक सेवकों का कहना है कि उनलोगों से काम तो पूरा लिया जाता हैं लेकिन भुगतान उसकी अपेक्षा काफी कम किया जाता है.

इसे भी पढे़ं:- सिमडेगाः माहवारी को लेकर कार्यशाला का आयोजन, दी गई महत्वपूर्ण जानकारी

मुख्य डाकघर के पोस्टमास्टर शिवशंकर ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार को उनकी मांगों को अविलंब लागू किया जाना चाहिए, जिससे सभी कर्मचारियों को लाभ मिल सके. उन्होंने हड़ताल से आम लोगों को हो रही असुविधा पर खेद जताया. वहीं, ग्रामीण डाक सेवक कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष मुरारी प्रसाद का कहना है कि सरकार कमलेश चंद्र कमेटी की रिपोर्ट को लागू करे और ग्रामीण डाक सेवकों को सातवां वेतनमान का लाभ दे.

सिमडेगा: जिले में केंद्रीय कर्मचारी परिसंघ के आह्वान पर गुरुवार को राष्ट्रव्यापी एक दिवसीय हड़ताल की. हड़ताल में पोस्टल कर्मचारी, ग्रामीण डाक सेवक और पोस्टल पेंशनर के कर्मचारी शामिल हैं. यह हड़ताल केंद्र सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ किया गया है. हड़ताल के माध्यम से इन कर्मचारियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लागू करने की मांग की है, जिसमें नई पेंशन योजना को समाप्त कर पुराने और कर्मचारी हित वाली पेंशन योजना अविलंब लागू करने की मांग की है.

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हड़तालकर्मियों ने कर्मचारी संघ पर अनाधिकार रूप से हस्तक्षेप बंद करने, कोविड-19 महामारी के दौरान मृत कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा पर नौकरी और आउटसोर्सिंग से एजेंटों की भर्ती को अविलंब रोके जाने सहित कई मांगे की है. इसके अलावा अखिल भारतीय ग्रामीण डाक सेवक कर्मचारी संघ ने भी अपनी विभिन्न मांगों पर को सरकार से लागू करने की मांग की है, जिसमें जीडीएस कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिए जाने, 180 दिन का अवकाश संचय करने और अवकाश का नगद भुगतान करने, स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार, महंगाई भत्ता, समूह बीमा राशि बढ़ाए जाने सहित अन्य मांगे शामिल हैं. ग्रामीण डाक सेवकों का कहना है कि उनलोगों से काम तो पूरा लिया जाता हैं लेकिन भुगतान उसकी अपेक्षा काफी कम किया जाता है.

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मुख्य डाकघर के पोस्टमास्टर शिवशंकर ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार को उनकी मांगों को अविलंब लागू किया जाना चाहिए, जिससे सभी कर्मचारियों को लाभ मिल सके. उन्होंने हड़ताल से आम लोगों को हो रही असुविधा पर खेद जताया. वहीं, ग्रामीण डाक सेवक कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष मुरारी प्रसाद का कहना है कि सरकार कमलेश चंद्र कमेटी की रिपोर्ट को लागू करे और ग्रामीण डाक सेवकों को सातवां वेतनमान का लाभ दे.

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