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मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा सरायकेला का यह ट्रेडिशनल हेल्थ केयर सेंटर, विदेशी डॉक्टर भी करते हैं मुफ्त इलाज

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Published : Jan 9, 2020, 10:13 AM IST

स्वास्थ्य के मामले में भले ही सरायकेला में पीएचसी, सीएचसी सदर और अनुमंडल स्तरीय अस्पताल मौजूद हैं, लेकिन डॉक्टरों की कमी के कारण आज ये सरकारी अस्पताल किसी काम के नहीं रह गए हैं. वैसे इन दिनों ट्रेडिशनल हेल्थ केयर का इलाके में काफी बोलबाला है. 10 बेड का यह अस्पताल इलाके के गरीबों के लिए वरदान बनता जा रहा है.

सरायकेला का यह ट्रेडिशनल हेल्थ केयर सेंटर
traditional health care center of Seraikela

सरायकेला: जिले का ईचागढ़ क्षेत्र भले ही राजनीतिक अखाड़े के केंद्र में रहा है, लेकिन सरकारी मशीनरी आज भी लचर है. हर चुनाव में क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन भ्रष्ट सिस्टम के कारण आज भी यह इलाका पिछड़ा ही है. आज भी यहां के लोगों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए बड़े शहरों पर निर्भर रहना पड़ता है.

देखें पूरी खबर

अमेरिका और इंग्लैंड के चिकित्सक मरीजों को देते हैं मुफ्त सेवा
सरायकेला के कुकडू प्रखंड के डाटम स्थित इस अस्पताल में एक्यूप्रेशर और नेचुरोपैथी पद्धति से शुगर, ब्लड प्रेशर, पैरालिसिस आदि गंभीर बीमारियों का सफलतापूर्वक तरीके से इलाज किया जा रहा है. यहां झारखंड, बिहार और बंगाल के कई जिलों से मरीज पहुंचते हैं और सफलतापूर्वक इलाज कराते हैं. इस अस्पताल की खासियत यह है कि यहां अमेरिका और इंग्लैंड के चिकित्सकों का दल समय-समय पर आकर निःशुल्क मरीजों को सेवा देते हैं.

ये भी पढ़ें-शहर की सड़कों की सूरत बिगाड़ने पर नगर परिषद और बिजली विभाग में ठनी, 50 लाख मांगी बैंक गारंटी

यहां की व्यवस्था से काफी संतुष्ट हैं मरीज
यहां इलाज करा रहे मरीज यहां की व्यवस्था से काफी संतुष्ट नजर आ रहे हैं. फिलहाल अमेरिकी डॉ साइमन और इंग्लैंड की महिला डॉ इवा नेज यहां मरीजों का इलाज करने पहुंचे हैं जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. दोनों चिकित्सक दिन रात यहां मरीजों की सेवा बगैर किसी भेदभाव के कर रहे हैं. अस्पताल के संस्थापक डॉ विश्वनाथ सिंह ने बताया कि 2010 से अमेरिका और अन्य देशों के चिकित्सकों के सहयोग से यह अस्पताल बगैर सरकारी सहयोग से चल रहा है.

योग पार्क का निर्माण
डॉ विश्वनाथ सिंह ने कहा कि विदेशी डॉक्टरों के सहयोग से अभी तक करीब 10 हजार मरीज यहां से स्वस्थ्य होकर जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि जल्द ही यहां और जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी. फिलहाल अस्पताल में योग पार्क का निर्माण कार्य चल रहा है. सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में एक ओर जहां सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं वहीं स्थानीय ग्रामीणों के लिए यह ट्रेडिशनल हेल्थ केयर किसी वरदान से कम नहीं है.

सरायकेला: जिले का ईचागढ़ क्षेत्र भले ही राजनीतिक अखाड़े के केंद्र में रहा है, लेकिन सरकारी मशीनरी आज भी लचर है. हर चुनाव में क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन भ्रष्ट सिस्टम के कारण आज भी यह इलाका पिछड़ा ही है. आज भी यहां के लोगों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए बड़े शहरों पर निर्भर रहना पड़ता है.

देखें पूरी खबर

अमेरिका और इंग्लैंड के चिकित्सक मरीजों को देते हैं मुफ्त सेवा
सरायकेला के कुकडू प्रखंड के डाटम स्थित इस अस्पताल में एक्यूप्रेशर और नेचुरोपैथी पद्धति से शुगर, ब्लड प्रेशर, पैरालिसिस आदि गंभीर बीमारियों का सफलतापूर्वक तरीके से इलाज किया जा रहा है. यहां झारखंड, बिहार और बंगाल के कई जिलों से मरीज पहुंचते हैं और सफलतापूर्वक इलाज कराते हैं. इस अस्पताल की खासियत यह है कि यहां अमेरिका और इंग्लैंड के चिकित्सकों का दल समय-समय पर आकर निःशुल्क मरीजों को सेवा देते हैं.

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यहां की व्यवस्था से काफी संतुष्ट हैं मरीज
यहां इलाज करा रहे मरीज यहां की व्यवस्था से काफी संतुष्ट नजर आ रहे हैं. फिलहाल अमेरिकी डॉ साइमन और इंग्लैंड की महिला डॉ इवा नेज यहां मरीजों का इलाज करने पहुंचे हैं जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. दोनों चिकित्सक दिन रात यहां मरीजों की सेवा बगैर किसी भेदभाव के कर रहे हैं. अस्पताल के संस्थापक डॉ विश्वनाथ सिंह ने बताया कि 2010 से अमेरिका और अन्य देशों के चिकित्सकों के सहयोग से यह अस्पताल बगैर सरकारी सहयोग से चल रहा है.

योग पार्क का निर्माण
डॉ विश्वनाथ सिंह ने कहा कि विदेशी डॉक्टरों के सहयोग से अभी तक करीब 10 हजार मरीज यहां से स्वस्थ्य होकर जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि जल्द ही यहां और जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी. फिलहाल अस्पताल में योग पार्क का निर्माण कार्य चल रहा है. सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में एक ओर जहां सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं वहीं स्थानीय ग्रामीणों के लिए यह ट्रेडिशनल हेल्थ केयर किसी वरदान से कम नहीं है.

Intro:सरायकेला जिले का ईचागढ़ क्षेत्र भले ही राजनीतिक अखाड़े का केंद्र बिंदु रही है. मगर सरकारी मशीनरी आज भी लाचार और बेबस है. हर चुनाव में क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के दावे किए जाते रहे हैं मगर भ्रष्ट सिस्टम के कारण आज भी यह ईलाका पिछड़ा ही है. आज भी यहां के लोगों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए बड़े शहरों पर निर्भर रहना पड़ता है. वहीं स्वास्थ्य के मामले में भले ही यहां पीएचसी, सीएचसी सदर और अनुमंडल स्तरीय अस्पताल मौजूद हैं मगर डॉक्टरों की कमी के कारण आज ये सरकारी अस्पताल किसी काम के नहीं रह गए हैं. वैसे इन दिनों ट्रेडिशनल हेल्थ केयर का इलाके में काफी बोलबाला है. दस बेड का यह अस्पताल इलाके के गरीबों के लिए वरदान बनता जा रहा है. Body:कुकड़ू प्रखंड के डाटम स्थित इस अस्पताल में एक्यूप्रेशर और नेचुरोपैथी पद्धति से शुगर, ब्लडप्रेशर, पैरालाइसिस आदि गम्भीर बीमारियों का सफलतापूर्वक तरीके से ईलाज किया जा रहा है. जहां रांची, सरायकेला, ओडिसा, पोटका, पटमदा और बंगाल के मरीज पहुंचते हैं और सफलतापूर्वक ईलाज कराते हैं. इस अस्पताल की खासियत ये है कि यहां निःशुल्क अमेरिका और इंग्लैंड के चिकित्सकों का दल समय समय पर आकर मरीजों को सेवा देते हैं. यहां ईलाज करा रहे मरीज यहां की व्यवस्था से काफी संतुष्ट नजर आ रहे हैं. फ़िलहाल अमेरिकी डॉक्टर साइमन और इंग्लैंड की महिला डॉक्टर इवा नेज यहां मरीजों का ईलाज करने पहुंची है जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. दोनों चिकित्सक दिन रात यहां मरीजों की सेवा करने में व्यस्त हैं, वो भी बगैर किसी भेदभाव के.

अस्पताल के संस्थापक डॉक्टर विश्वनाथ सिंह ने बताया कि 2010 से अमेरिका और अन्य देशों के चिकित्सकों के सहयोग से यह अस्पताल बगैर सरकारी सहयोग से चल रहा है. उन्होंने विदेशी डॉक्टरों के सहयोग की सराहना की, और कहा कि अबतक करीब दस हजार मरीज यहां से स्वस्थ्य होकर जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि जल्द ही यहां और जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी. फिलहाल अस्पताल में योग पार्क का निर्माण कार्य चल रहा है.Conclusion:सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में एक और जहां सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं वही स्थानीय ग्रामीणों के लिए यह ट्रेडिशनल हेल्थ केयर किसी वरदान से कम नहीं है जहां जरूरतमंद ग्रामीण अपने सहूलियत के अनुसार इलाज करवा रहे हैं

बाईट - डॉ. विश्वनाथ सिंह (संस्थापक)

बाईट – सुधीर कुमार , मरीज

बाइट- डॉ. इवा नेज , विदेशी डॉक्टर
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