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सरायकेला: राशन दुकानों की निगरानी नहीं कर रहे शिक्षक, सरकार के निर्देशों का साफ तौर पर उल्लंघन

लॉकडाउन में जरूरतमंदों को राशन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरायकेला जिले में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन शुरू किया गया है. इस मिशन में सरकारी शिक्षकों को साफ तौर पर राशन दुकानों की निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन वे इस जिम्मेदारी को नहीं निभा रहे हैं.

राशन दुकानों
राशन दुकानों
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Published : May 4, 2020, 10:54 AM IST

Updated : May 4, 2020, 3:11 PM IST

सरायकेला: कोविड-19 संक्रमण के बीच केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंद लोगों को राशन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन शुरू किया गया है. इसके तहत लोगों को 10-10 किलो अनाज उपलब्ध कराया जा रहा है. पीएम राष्ट्रीय खाद्य मिशन के तहत जरूरतमंद लोगों को अप्रैल और मई महीने का खाद्यान्न एक साथ उपलब्ध कराया जाएगा.

राशन दुकानों की निगरानी नहीं कर रहे शिक्षक.

इस योजना की शुरूआत 1 मई से सरायकेला खरसावां जिले में हो चुकी है, जबकि इस योजना की निगरानी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों द्वारा की जानी है, लेकिन योजना के शुरुआती दिनों से ही शिक्षक इन सरकारी राशन दुकानों से नदारद है.

सरकारी शिक्षकों के समक्ष करना है खाद्यान्न का वितरण

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत राशनकार्ड और राशनकार्ड के लिए आवेदन देने वाले सभी लोगों को खाद्यान्न और अनाज उपलब्ध कराया जाना हैं.

इस व्यवस्था के तहत यह खाद्यान्न केंद्र सरकार के निर्देश पर बांटा जा रहा है. इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा प्रति व्यक्ति पांच-पांच किलो अनाज पहले ही राशनकार्ड धारकों को दिए जा चुका है.

इस बीच प्रधानमंत्री खाद्य मिशन के तहत राशनकार्ड धारकों और जरूरतमंद लोगों को जो राशन उपलब्ध कराना है उसकी निगरानी के लिए सभी सरकारी राशन दुकानों पर संबंधित सरकारी शिक्षक जिनकी प्रतिनियुक्ति की गई है उनका रहना अति आवश्यक है.

इसके अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधि जैसे मुखिया पंचायत सदस्य वार्ड मेंबर भी दुकानों पर मौजूद रहेंगे. साथ ही आंगनबाड़ी सेविका सहायिका भी इस कार्य की निगरानी करेगी, जिसके तहत मुख्य रूप से यह देखना है कि राशन दुकानदार द्वारा किसी भी प्रकार की राशि जरूरतमंद से नहीं लिया जाना है, जबकि उन्हें प्रति व्यक्ति 10 किलो अनाज उपलब्ध कराना है.

खाद्यान्न के लिए राज्य सरकार से मिले 45 लाख रुपए

लॉकडाउन के दौरान जिले में सभी जरूरतमंद लोगों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राशन उपलब्ध कराए जाने को लेकर झारखंड राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम लिमिटेड द्वारा जिले को लाभुकों को चावल उपलब्ध कराने के लिए दो माह के लिए कुल 45 लाख की राशि उपलब्ध कराई गई है.

यह भी पढ़ेंः झारखंड: कोरोना मरीजों की संख्या हुई 115, तीन की मौत, देश भर में अबतक 1373 की गई जान

जबकि वर्तमान में कुल 16 सौ क्विंटल चावल जिले के सभी बीडीओ को आवंटित कर दिया गया है और चयनित लाभुकों को एक साथ अप्रैल और मई महीने के लिए खाद्यान्न उपलब्ध कराए जा रहा है.

लेकिन इस योजना के शुरुआती दौर में ही खामियां झलकने लगी हैं, योजना के शुरू हुए तकरीबन 3 दिन बीत चुके हैं ,लेकिन कई सरकारी राशन दुकानों पर प्रतिनियुक्त किए गए शिक्षक गायब रह रहे हैं, जबकि कहीं जनप्रतिनिधि मौजूद हैं, तो कहीं सिर्फ आंगनबाड़ी सेविका इस कार्य को देखरेख कर रही हैं. ऐसे में इस महत्वाकांक्षी योजना में कमी अब साफ झलकने लगी है.

सरायकेला: कोविड-19 संक्रमण के बीच केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंद लोगों को राशन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन शुरू किया गया है. इसके तहत लोगों को 10-10 किलो अनाज उपलब्ध कराया जा रहा है. पीएम राष्ट्रीय खाद्य मिशन के तहत जरूरतमंद लोगों को अप्रैल और मई महीने का खाद्यान्न एक साथ उपलब्ध कराया जाएगा.

राशन दुकानों की निगरानी नहीं कर रहे शिक्षक.

इस योजना की शुरूआत 1 मई से सरायकेला खरसावां जिले में हो चुकी है, जबकि इस योजना की निगरानी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों द्वारा की जानी है, लेकिन योजना के शुरुआती दिनों से ही शिक्षक इन सरकारी राशन दुकानों से नदारद है.

सरकारी शिक्षकों के समक्ष करना है खाद्यान्न का वितरण

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत राशनकार्ड और राशनकार्ड के लिए आवेदन देने वाले सभी लोगों को खाद्यान्न और अनाज उपलब्ध कराया जाना हैं.

इस व्यवस्था के तहत यह खाद्यान्न केंद्र सरकार के निर्देश पर बांटा जा रहा है. इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा प्रति व्यक्ति पांच-पांच किलो अनाज पहले ही राशनकार्ड धारकों को दिए जा चुका है.

इस बीच प्रधानमंत्री खाद्य मिशन के तहत राशनकार्ड धारकों और जरूरतमंद लोगों को जो राशन उपलब्ध कराना है उसकी निगरानी के लिए सभी सरकारी राशन दुकानों पर संबंधित सरकारी शिक्षक जिनकी प्रतिनियुक्ति की गई है उनका रहना अति आवश्यक है.

इसके अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधि जैसे मुखिया पंचायत सदस्य वार्ड मेंबर भी दुकानों पर मौजूद रहेंगे. साथ ही आंगनबाड़ी सेविका सहायिका भी इस कार्य की निगरानी करेगी, जिसके तहत मुख्य रूप से यह देखना है कि राशन दुकानदार द्वारा किसी भी प्रकार की राशि जरूरतमंद से नहीं लिया जाना है, जबकि उन्हें प्रति व्यक्ति 10 किलो अनाज उपलब्ध कराना है.

खाद्यान्न के लिए राज्य सरकार से मिले 45 लाख रुपए

लॉकडाउन के दौरान जिले में सभी जरूरतमंद लोगों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राशन उपलब्ध कराए जाने को लेकर झारखंड राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम लिमिटेड द्वारा जिले को लाभुकों को चावल उपलब्ध कराने के लिए दो माह के लिए कुल 45 लाख की राशि उपलब्ध कराई गई है.

यह भी पढ़ेंः झारखंड: कोरोना मरीजों की संख्या हुई 115, तीन की मौत, देश भर में अबतक 1373 की गई जान

जबकि वर्तमान में कुल 16 सौ क्विंटल चावल जिले के सभी बीडीओ को आवंटित कर दिया गया है और चयनित लाभुकों को एक साथ अप्रैल और मई महीने के लिए खाद्यान्न उपलब्ध कराए जा रहा है.

लेकिन इस योजना के शुरुआती दौर में ही खामियां झलकने लगी हैं, योजना के शुरू हुए तकरीबन 3 दिन बीत चुके हैं ,लेकिन कई सरकारी राशन दुकानों पर प्रतिनियुक्त किए गए शिक्षक गायब रह रहे हैं, जबकि कहीं जनप्रतिनिधि मौजूद हैं, तो कहीं सिर्फ आंगनबाड़ी सेविका इस कार्य को देखरेख कर रही हैं. ऐसे में इस महत्वाकांक्षी योजना में कमी अब साफ झलकने लगी है.

Last Updated : May 4, 2020, 3:11 PM IST
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