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खत्म होने की कगार पर है कोल्हान की लाइफलाइन, नालियों में तब्दील हुईं नदियां - etv bharat

कोल्हान में बहने वाली नदियां काफी प्रदूषित हो गई हैं. वजह है शहरी कचरे का इन नदियों में गिरना. अगर हालात ऐसे ही रहे तो जल्द ही वो दिन दूर नहीं जब इन नदियों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा.

दूषित पानी
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Published : Jul 5, 2019, 1:19 PM IST

सरायकेला: शहरी क्षेत्र के आवासीय कॉलोनी समेत औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले गंदे पानी ने नदियों के प्रदूषण स्तर को काफी बढ़ा दिया है. जिसके कारण नदियां अब धीरे-धीरे नालों में तब्दील हो रही हैं. साथ ही प्रदूषणस्तर भी बढ़ रहा है.

वीडियो देखें

नियंत्रण परिषद का दावा पुख्ता है इंतजाम

नदियों में बढ़ते प्रदूषण को लेकर प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने प्रदूषण रोकने के पुख्ता इंतजाम होने के दावे किए हैं. कोल्हान के एकमात्र प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय द्वारा शहरी समेत औद्योगिक क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में संयंत्र स्थापित होने की बात कही जा रही है. लेकिन इन सबसे अलग जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य है धीमा

शहरी समेत औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले गंदे पानी को ट्रीटमेंट कर नदी में बहाए जाने को लेकर सरकार ने ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण की योजना बनाई है, लेकिन धीमी गति होने के कारण अब तक यह योजना पूरी तरह धरातल पर नहीं उतरी है. नतीजतन नदियों में गंदा पानी धड़ल्ले से बहाया जा रहा है.

सरायकेला: शहरी क्षेत्र के आवासीय कॉलोनी समेत औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले गंदे पानी ने नदियों के प्रदूषण स्तर को काफी बढ़ा दिया है. जिसके कारण नदियां अब धीरे-धीरे नालों में तब्दील हो रही हैं. साथ ही प्रदूषणस्तर भी बढ़ रहा है.

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नियंत्रण परिषद का दावा पुख्ता है इंतजाम

नदियों में बढ़ते प्रदूषण को लेकर प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने प्रदूषण रोकने के पुख्ता इंतजाम होने के दावे किए हैं. कोल्हान के एकमात्र प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय द्वारा शहरी समेत औद्योगिक क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में संयंत्र स्थापित होने की बात कही जा रही है. लेकिन इन सबसे अलग जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य है धीमा

शहरी समेत औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले गंदे पानी को ट्रीटमेंट कर नदी में बहाए जाने को लेकर सरकार ने ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण की योजना बनाई है, लेकिन धीमी गति होने के कारण अब तक यह योजना पूरी तरह धरातल पर नहीं उतरी है. नतीजतन नदियों में गंदा पानी धड़ल्ले से बहाया जा रहा है.

Intro:सरायकेला के शहरी क्षेत्र से निकलने वाले गंदे पानी ने जिले के लाइफलाइन माने जाने वाले खरकई और स्वर्णरेखा नदी को लगातार प्रदूषित कर रही है । इधर नदियों पर लगातार प्रदूषण के बढ़ने से अब नदियों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है।


Body:शहरी क्षेत्र के आवासीय कॉलोनी और समेत औद्योगिक क्षेत्र से बहने वाले गंदे पानी ने नदियों के प्रदूषण स्तर को काफी बढ़ा दिया है । जिसके कारण नदिया अब धीरे-धीरे नालों में तब्दील हो रही हैं, वही सबसे ज्यादा खतरा औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले केमिकल युक्त गंदे पानी से है जो ना सिर्फ नदियों को प्रदूषित कर रहा है बल्कि नदी के तटीय क्षेत्रों को भी अपनी चपेट में ले रहा है।

नदियों में बढ़ते प्रदूषण को लेकर प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने प्रदूषण रोकने के पुख्ता इंतजाम होने के दावे किए हैं । कोल्हान के एकमात्र प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय द्वारा शहरी समेत औद्योगिक क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में संयंत्र स्थापित होने के दावे किए जा रहे हैं जिनके द्वारा गंदे पानी को ट्रीटमेंट कर नदी में पाया जा रहा है लेकिन इन सबसे अलग जमीनी हकीकत है कुछ और ही बयां करती है।

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य है धीमा।

शायरी समेत औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले गंदे पानी को ट्रीटमेंट कर नदी में बहाए जाने को लेकर सरकार ने ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण की योजना बनाई है लेकिन धीमी गति होने के कारण अब तक यह योजना पूरी तरह धरातल पर नहीं उतरी है नतीजतन नदियों में गंदा पानी धड़ल्ले से बहाया जा रहा रहा।





Conclusion:वक्त रहते यदि नदियों के प्रदूषण को कम नहीं किया गया तो नदियों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और इसका सीधा असर आम जनजीवन पर पड़ेगा । जब की स्थिति और भयावह हो जाएगी।

बाइट- सुरेश पासवान, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण परिषद्।
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