सरायकेला: चांडिल के दलमा के वन्य प्राणी आश्रयणी की 67 वर्षीय चंपा हथनी की मौत रविवार को इलाज के क्रम में हो (Sick Elephant Dies In Dalma Sanctuary)गई. चंपा की मौत से आश्रयणी में गम का माहौल है. गौरतलब है कि अर्थराइटिस से पीड़ित चंपा दो दिन पूर्व बीमार होकर गिर गई थी. उसका इलाज वन विभाग और पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा किया जा रहा था. काफी मेहनत के बाद भी पशु चिकित्सकों की टीम बीमार चंपा को नहीं बचा सकी. इधर, चंपा की मौत के बाद अब उसकी साथी हथिनी रजनी अकेली हो गई है.
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धनबाद से रेस्क्यू कर चंपा को लाया गया था दलमाः इस संबंध में दलमा अभ्यारण्य के रेंजर दिनेश चंद्र ने बताया कि पालतू हथनी चंपा को रेस्क्यू कर धनबाद से दलमा अभ्यारण लाया गया था. तभी से चंपा की तबीयत ठीक नहीं रहती थी. दिनेश चंद्रा ने बताया कि विगत चार महीने से अर्थराइटिस से पीड़ित होने के चलते चंपा के पैर में तकलीफ थी और वह हाल के दिनों में चलने फिरने में भी असमर्थ (Champa Suffering From Arthritis) थी. बीमारी बढ़ने पर उसकी मौत हो गई. उन्होंने बताया कि वन विभाग ने वरीय अधिकारियों से निर्देश प्राप्त कर डॉक्टरों की टीम गठित कर चंपा का इलाज लगातार किया जा रहा था. चंपा की उम्र भी काफी हो चली थी, जिसके चलते भी उसकी तबीयत ठीक नहीं रहती थी.
पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी कर चंपा को दफनाया गयाः दलमा अभ्यारण क्षेत्र में ही मृत हथनी चंपा का डॉक्टरों की टीम द्वारा पोस्टमार्टम किया गया. इसके बाद जमीन के अंदर उसे दफना दिया गया.इस मौके पर दलमा अभ्यारण के अधिकारी और पशु चिकित्सक की टीम भी मौजूद थी.
दलमा में चंपा को जंजीरों से बांध कर रखा गया थाःगौरतलब हो कि दलमा में चंपा को जंजीरों से बांध कर रखा गया (Champa Was Chained) था. जिसे मुक्त कराने के लिए संयुक्त ग्राम सभा मंच की ओर से कुछ दिन पहले पद यात्रा निकाली गई थी. इस पद यात्रा में सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए थे.पारंपरिक शस्त्रों के साथ हाथों में बैनर-पोस्टर लेकर ग्रामीणों ने हथिनी को जंजीरों से मुक्त करने की मांग की थी. ग्रामीणों ने कहा था कि आदिवासी संस्कृति के अनुसार यह अनुचित है. ग्रामीणों ने पदयात्रा के माध्यम से पूछा था कि आखिर किस अपराध में हथनी को जंजीरों से बांधा गया है. बताते चलें कि चंपा के साथ रजनी नामक हथनी को भी जंजीरों में कैद कर रखा गया था.