सरायकेला: भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए संपूर्ण लॉकडाउन का ऐलान है. डेढ़ माह से लॉकडाउन में देश के तकरीबन सभी क्षेत्र और सेक्टर प्रभावित हुए हैं. इस लॉकडाउन का असर सबसे अधिक औद्योगिक क्षेत्र और उद्योगों पर पड़ा है. डेढ़ महीने से कल-कारखाने बंद हैं. ऐसे में रोज कमाने वाले कामगार और औद्योगिक क्षेत्र के मजदूर इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. मजदूरों के सामने घर बैठने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. ऐसे में मजदूर अपना और अपने परिवार का पेट पालने में भी असमर्थ साबित हो रहे हैं.
स्मॉल इंडस्ट्रियल एरिया
सरायकेला-खरसावां जिले का औद्योगिक क्षेत्र आज भी एशिया के सबसे बड़े स्मॉल इंडस्ट्रियल एरिया के रूप में विख्यात है. सामान्य तौर पर यहां आम दिनों में छोटे, बड़े और मध्यम दर्जे के कुल 15 सौ उद्योगों में तकरीबन दो लाख के आसपास मजदूर काम किया करते हैं, लेकिन फिलहाल उद्योगों पर छाई मंदी और इस बीच संकट बन कर आए कोरोना संकट के कारण अधिकतर कंपनियों में ताला लगा है. कोरोना के खतरनाक संक्रमण के कहर से बचने के लिए यहां की कई कंपनियों ने काम करने वाले दो लाख स्थाई और अस्थाई मजदूर को छुट्टी दे दी है. ऐसे में अब मजदूर के साथ-साथ फैक्ट्री मालिक और उद्यमी भी खासा परेशान हैं.
दो लाख मजदूर हुए प्रभावित
लॉकडाउन के कारण उद्योगों में ताले लटके हैं. ऐसे में औद्योगिक क्षेत्र के दो लाख मजदूर काम से बैठा दिए गए है. आंकड़ों की अगर बात करें तो सरायकेला का औद्योगिक क्षेत्र ऑटोमोबाइल सेक्टर के ऑटो पार्ट्स का हब है. यहां टाटा मोटर्स पर आधारित हजारों उद्योग हैं, जो टाटा मोटर्स का पार्ट्स निर्माण करते हैं. हालांकि, इस बीच कुछ उद्योगों ने रेलवे और अन्य बड़े सेक्टर से जुड़ाव किया है.
औद्योगिक क्षेत्र में तीन दर्जे के उद्योग
- लार्ज सेक्टर
- मीडियम सेक्टर
- स्मॉल सेक्टर
इन तीन दर्जे के उद्योग में तकरीबन 15 सौ स्थाई और अस्थाई मजदूर काम करते हैं, जिनमें से स्थाई मजदूर वेतन पर हैं और अस्थाई मजदूर रोजाना की हाजिरी पर काम करते हैं. इसके अलावा श्रम विभाग द्वारा मजदूरों को भी तीन श्रेणी में बांटा गया है, जिसके तहत तीन भाग है.
- अति कुशल
- कुशल
- अकुशल
इन मजदूर को इनके श्रेणी के मुताबिक श्रम विभाग द्वारा तय न्यूनतम वेतन और दैनिक वेतनमान भी दिए जाते हैं, लेकिन इन सबके बीच इस राष्ट्रीय आपदा की घड़ी में मजदूरों के समक्ष भी भीषण संकट है और मजदूर अब धीरे-धीरे दाने-दाने को मोहताज हो रहे हैं.
डेढ़ माह से बिना काम के सबसे ज्यादा प्रभावित दैनिक वेतन भोगी यानी दिहाड़ी मजदूर हुए हैं. जिनकी संख्या औद्योगिक क्षेत्र में सबसे अधिक है. अनुमानित आंकड़ें के मुताबिक, डेढ़ लाख से भी अधिक मजदूरों का एक ऐसा वर्ग है, जो दिहाड़ी पर मजदूरी करता है और इस लॉकडाउन में यह वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित है.
भोजन की तलाश में गुजर रहे दिन
मजदूर वर्ग इस लॉकडाउन की अवधि में अपना और अपने परिवार के भरण-पोषण को लेकर लगातार जद्दोजहद कर रहे हैं. दिहाड़ी मजदूरों का एक ऐसा ही वर्ग औद्योगिक क्षेत्र में हमें देखने को मिला, जो सुबह से लेकर शाम तक भोजन की तलाश में जुटा है. लॉकडाउन में जहां भी भोजन या राशन मिल रहा है. ये मजदूर लंबी दूरी तय कर वहां जाते हैं और कुछ खाने का इंतजाम करते हैं.
सरकार करे मदद
औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगों के बंद होने से सिर्फ मजदूर ही प्रभावित नहीं है. कंपनी मालिक और उद्यमी भी लॉकडाउन में अच्छे खासे प्रभावित हुए हैं. कंपनी मालिक और उद्यमी लगातार सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. उद्यमियों ने सरकार से बैंकों के ऋण में राहत, बिजली बिल में पिछले और वर्तमान डीपीएस माफ करने साथ ही दूसरे राज्य से लेबर संबंधित राहत दिए जाने के मामलों का भी हवाला दिया है.
ये भी पढ़ें: लॉकडाउन इफेक्ट: बदलने लगा है जीने का तरीका, गाड़ी चलाने वाले सड़क पर बेच रहे सब्जी
हालांकि, इस बीच औद्योगिक क्षेत्र के कई कंपनियों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन के मुताबिक, उद्योग शुरू करने का की मांग रखी है. इस बीच 3 मई के बाद सरकार आगे क्या निर्णय लेती है. इस पर उद्यमियों की भी नजरें टिकी है. औद्योगिक क्षेत्र के सबसे बड़े उद्यमी संगठन एशिया के अध्यक्ष इंदर अग्रवाल ने बताया कि गृह मंत्रालय के नए गाइडलाइन के मुताबिक, उद्योगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए 30% मजदूरों को लेकर काम शुरू करना है. ऐसे में कई उद्योग इस तैयारी में भी जुट गए हैं. उद्यमी संगठन एशिया ने केंद्र सरकार से बड़े राहत पैकेज के घोषणा की मांग की है ताकि उद्योग बेहतर तरीके से संचालित हो सके.
15 दिनों की लगेगी ड्यूटी
लॉकडाउन की अवधि में कंपनियों में काम करने वाले मजदूरों को उद्योगों द्वारा भुगतान किए जाने की बात कही जा रही है, लेकिन गृह मंत्रालय के गाइडलाइन के मुताबिक 30% कामगार को ही कंपनियों में बुलाना है. ऐसे में उद्यमी संगठन एशिया ने सुझाव दिया है कि कंपनी में 15-15 दिनों की मजदूरों की ड्यूटी लगाई जाएगी ताकि धीरे-धीरे ही सही, लेकिन काम चलता रहे.
ये भी पढे़ं: रांची: हिंदपीढ़ी में एंबुलेंस पर हमला मामले में 4 गिरफ्तार
इधर, सरायकेला जिले के औद्योगिक क्षेत्र के रहने वाले जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो ने भी कहा है कि सरकार लॉकडाउन में मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए गंभीर है. इन्होंने कहा कि मजदूर देश के विकास में अग्रणी भूमिका अदा करते हैं. ऐसे में इनके बारे में सोचा जाना भी अति आवश्यक है. सांसद ने कहा कि सरकार जल्द ही मजदूरों और बीमार चल रहे उद्योगों के हितों को ध्यान में रखकर फैसला लेगी.
आज जब 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस है. वहीं, इस विषम परिस्थिति में औद्योगिक क्षेत्र के यह मजदूर फिलहाल अपने दशा और दिशा बदलने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. कह रहे हैं हम मेहनतकश इस दुनिया से जब अपना हिस्सा मांगेंगे, एक बाग नहीं, एक खेत नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे.