सरायकेला: छह साल तक साल दर साल जिले में बढ़ रहा मत्स्य (मछली)उत्पादन कोरोना की दूसरी लहर की भेंट चढ़ गया. 2014-15 में सालाना 8200 मीट्रिक टन से 2019-20 में 18700 मीट्रिक टन तक बढ़ा उत्पादन 2020-21 में गिरकर 11150 मीट्रिक टन तक रह गया. हालांकि मत्स्य पालन विभाग की मदद से जिले में 7 सालों में 63,620 मैट्रिक टन मत्स्य उत्पादन में सफलता मिली है.
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सरकारी और निजी तालाबों में होता है मछली पालन
सरायकेला जिले में 5 बड़े जलाशय(Reservoir) हैं, वहीं 511 सरकारी और 4700 निजी तालाब हैं. जिले में इन तालाबों में बड़े पैमाने पर मछली का उत्पादन हो रहा है. उत्पादन बढ़ाने के लिए जिला मत्स्य विभाग नए-नए तकनीक का भी सहारा लेता है. जिले में कई स्थानों पर आंध्रप्रदेश की तकनीक को अपनाया जाता है और जिले में उत्पादित मछलियों को बेचने के लिए बाहरी राज्यों में भी भेजा जाता है.
इसके अलावा राज्य सरकार के कल्याणकारी योजनाओं(welfare schemes) से भी मत्स्य पालन(Fisheries) और उत्पादन को लगातार गति प्रदान की जा रही है. इसका अच्छा असर देखने को मिला है. पिछले सात साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले में सिर्फ 2020-21 में ही पिछले साल के मुकाबले मत्स्य उत्पादन में गिरावट आई है.
वर्ष मछली उत्पादन (टन में) 2014-15 8,200 2015-16 9,300 2016-17 11, 995 2017-18 15, 250 2018-19 18, 500 2019-20 18, 700 2020-21 11,150
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जीरा उत्पादन में भी तरक्की
सरायकेला न केवल मत्स्य उत्पादन में आगे बढ़ रहा है. बल्कि मछली के जीरा उत्पादन में भी जिला प्रगति कर रहा है. जीरा उत्पादन(cumin production) मामले में भी जिला मत्स्य विभाग लोगों को आत्म निर्भर बना रहा है. जिले में लगभग आठ हजार हैचरी बनाई गई है. जहां बड़े पैमाने पर जीरे से मत्स्य उत्पादन कराया जा रहा है, मत्स्य विभाग की ओर से प्रदान किए गए आंकड़े के मुताबिक जिले में कुल 32 करोड़ मछली के जीरे का उत्पादन होता है.