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कोरोना से मुक्ति के लिए ग्रामीणों ने कराया सामूहिक मुंडन, कहा- कोरोना वारियर्स के प्रति दिखाया सम्मान - कोरोना से मुक्ति के लिए ग्रामीण युवाओं ने कराया सामूहिक मुंडन

लॉकडाउन के बीच ग्रामीण क्षेत्र के लोग पूजा-पाठ के साथ कोरोना से बचाव को लेकर टोटका का भी खूब सहारा ले रहे हैं. सरायकेला में युवाओं ने सामूहिक मुंडन कराया, उनका कहना है कि उन लोगों ने लॉकडाउन में कोरोना वारियर्स के रूप में जंग लड़ रहे डॉक्टर, पुलिसकर्मी के सम्मान में यह मुंडन कराया है और अपने बालों को उनके जज्बे के आगे समर्पित कर दी है.

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युवाओं ने कराया सामूहिक मुंडन
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Published : Apr 21, 2020, 8:37 PM IST

सरायकेला: वैश्विक महामारी और राष्ट्रीय आपदा कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर जहां पूरी दुनिया सुरक्षा के उपाय कर रही है, वहीं देश में जारी लॉकडाउन के बीच ग्रामीण क्षेत्र के लोग पूजा-पाठ के साथ कोरोना से बचाव को लेकर टोटका का भी खूब सहारा ले रहे हैं. ताजा मामला सरायकेला जिले के चांडिल प्रखंड के हारूडीह गांव का है, जहां 40 से 50 युवाओं ने कोरोना से मुक्ति के लिए सामूहिक मुंडन कराया.

देखें पूरी खबर

कोरोना के संक्रमण के बचाव को लेकर हारूडीह गांव के युवकों और छात्रों ने लगातार दो दिनों से सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए अलग-अलग स्थानों पर मुंडन कराया. इन छात्रों को विश्वास है कि देश और दुनिया में जो कोरोना वायरस का संक्रमण है और इस वायरस के कारण जो संकट उत्पन्न हुआ है, वह जल्द खत्म हो जाएगा और एक बार फिर लोगों की जिंदगी सामान्य होगी. हालांकि गांव के युवक इस सामूहिक मुंडन कार्यक्रम को टोटका बताने से इनकार करते हैं. गांव के छात्र अमित महतो ने बताया कि कोरोना संकट को टालने गांव के सभी युवा और छात्रों ने अलग-अलग स्थान पर सामूहिक रूप से मुंडन कराए जाने का निर्णय लिया. इसके साथ ही युवाओं ने लॉकडाउन में कोरोना वारियर्स के रूप में जंग लड़ रहे डॉक्टर, पुलिसकर्मी के सम्मान में यह मुंडन कराया है और अपने बालों को उनके जज्बे के आगे समर्पण कर दिया है.

ये भी पढ़ें- निंदनीय है पालघर की घटना, आरोपियों की जल्द से जल्द मिले कड़ी सजा: विद्युत वरण महतो


जानकारी के अनुसार जब भी गांव या आसपास के क्षेत्र में कोई संकट या विपदा आती है तो ग्रामीण इसी तरह एकजुट होकर पूजा पाठ करते हैं और इस विपदा को टालने सामूहिक रूप से मुंडन कराते हैं. बताया जाता है कि ग्रामीणों के पूर्वज संकट और महामारी के समय मुंडन कराते थे. उसी परंपरा और विश्वास को आज भी इन युवाओं ने अपनाया है. इधर, गांव की महिलाओं ने भी गांव के हरि मंदिर में पूजा अर्चना की ताकि यह संकट जल्द से जल्द टले. हालांकि ग्रामीण इस सामूहिक मुंडन को टोटका नहीं मानते और इन्होंने अपने पूर्वजों की परंपरा को ही अपनाने का दावा किया है, लेकिन इस सामूहिक मुंडन में कहीं न कहीं लोगों का अंधविश्वास भी बखूबी झलकता है.

सरायकेला: वैश्विक महामारी और राष्ट्रीय आपदा कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर जहां पूरी दुनिया सुरक्षा के उपाय कर रही है, वहीं देश में जारी लॉकडाउन के बीच ग्रामीण क्षेत्र के लोग पूजा-पाठ के साथ कोरोना से बचाव को लेकर टोटका का भी खूब सहारा ले रहे हैं. ताजा मामला सरायकेला जिले के चांडिल प्रखंड के हारूडीह गांव का है, जहां 40 से 50 युवाओं ने कोरोना से मुक्ति के लिए सामूहिक मुंडन कराया.

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कोरोना के संक्रमण के बचाव को लेकर हारूडीह गांव के युवकों और छात्रों ने लगातार दो दिनों से सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए अलग-अलग स्थानों पर मुंडन कराया. इन छात्रों को विश्वास है कि देश और दुनिया में जो कोरोना वायरस का संक्रमण है और इस वायरस के कारण जो संकट उत्पन्न हुआ है, वह जल्द खत्म हो जाएगा और एक बार फिर लोगों की जिंदगी सामान्य होगी. हालांकि गांव के युवक इस सामूहिक मुंडन कार्यक्रम को टोटका बताने से इनकार करते हैं. गांव के छात्र अमित महतो ने बताया कि कोरोना संकट को टालने गांव के सभी युवा और छात्रों ने अलग-अलग स्थान पर सामूहिक रूप से मुंडन कराए जाने का निर्णय लिया. इसके साथ ही युवाओं ने लॉकडाउन में कोरोना वारियर्स के रूप में जंग लड़ रहे डॉक्टर, पुलिसकर्मी के सम्मान में यह मुंडन कराया है और अपने बालों को उनके जज्बे के आगे समर्पण कर दिया है.

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जानकारी के अनुसार जब भी गांव या आसपास के क्षेत्र में कोई संकट या विपदा आती है तो ग्रामीण इसी तरह एकजुट होकर पूजा पाठ करते हैं और इस विपदा को टालने सामूहिक रूप से मुंडन कराते हैं. बताया जाता है कि ग्रामीणों के पूर्वज संकट और महामारी के समय मुंडन कराते थे. उसी परंपरा और विश्वास को आज भी इन युवाओं ने अपनाया है. इधर, गांव की महिलाओं ने भी गांव के हरि मंदिर में पूजा अर्चना की ताकि यह संकट जल्द से जल्द टले. हालांकि ग्रामीण इस सामूहिक मुंडन को टोटका नहीं मानते और इन्होंने अपने पूर्वजों की परंपरा को ही अपनाने का दावा किया है, लेकिन इस सामूहिक मुंडन में कहीं न कहीं लोगों का अंधविश्वास भी बखूबी झलकता है.

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