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सरायकेला: दलमा इको सेंसेटिव जोन में नियमों की अनदेखी, वन भूमि अतिक्रमण से मंडरा रहा वन्य जीवों पर खतरा

सरायकेला जिला के दलमा इको सेंसेटिव जोन में नियमों की अनदेखी किए जाने का मामला सामने आ रहा है. इसकी वजह से वन भूमि अतिक्रमण से वन्य जीवों पर खतरा मंडरा रहा है. इस मामले में वन क्षेत्र पदाधिकारियों को पत्र लिखकर जवाब मांगा गया है.

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Published : Jan 30, 2021, 1:21 PM IST

rules ignored in dalma eco sensitive zone in seraikela
दलमा इको सेंसिटिव जोन

सरायकेला: दलमा वन्य प्राणी अभयारण्य इको सेंसेटिव जोन के रूप में घोषित किया जा चुका है. बावजूद इसके हाल के दिनों में यहां लगातार इको सेंसेटिव जोन से जुड़े नियमों में जबरदस्त तरीके से फेरबदल किया जा रहा है. वन भूमि पर अतिक्रमण कर पर्यावरण से भी छेड़छाड़ किए जाने के कई मामले पूर्व में भी सामने आ चुके हैं. विगत दिनों प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में हुई निगरानी समिति की बैठक में इन सब मुद्दों से जुड़े कई बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी गई है.

देखें पूरी खबर
वन क्षेत्र पदाधिकारियों से मांगा गया जवाब
जिला प्रशासन की तरफ से इको सेंसेटिव दलमा जोन में सख्त नियम अनुपालन को लेकर वन क्षेत्र पदाधिकारियों को पत्र लिखकर जवाब मांगा गया है. इसके अलावा दलमा वन्य प्राणी अभ्यारण क्षेत्र में किए गए विकास कार्य, जैव विविधता संरक्षण, वनपथ मजबूतीकरण, अभयारण्य सौंदर्यकरण से संबंधित रिपोर्ट भी तलब किया गया है. गौरतलब है कि इको सेंसेटिव जोन का विस्तार किसी भी संरक्षित क्षेत्र के आसपास लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में किया जा सकता है, लेकिन महत्वपूर्ण खंडों और प्राकृतिक संयोजन के लिए 10 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को इको सेंसेटिव जोन में शामिल किया जाता है.


इसे भी पढ़ें-झारखंड के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन पहुंचे बाबा मंदिर, की पूजा अर्चना

अभयारण्य के वन्य जीवों पर मंडराता खतरा
दलमा वन्य प्राणी अभयारण्य समेत वन क्षेत्र में इको सेंसेटिव जोन से जुड़े नियमों से छेड़छाड़ किए जाने से वन्यजीव पर प्रतिकूल असर पड़ता है. अभयारण्य के जंगली हाथी समेत अन्य वन्य जीव जो अपने आश्रय और भोजन की तलाश में वन क्षेत्र में आसानी से विचरण करते हैं, सबसे ज्यादा खतरा और नुकसान उन्हें ही उठाना पड़ता है.

सरायकेला: दलमा वन्य प्राणी अभयारण्य इको सेंसेटिव जोन के रूप में घोषित किया जा चुका है. बावजूद इसके हाल के दिनों में यहां लगातार इको सेंसेटिव जोन से जुड़े नियमों में जबरदस्त तरीके से फेरबदल किया जा रहा है. वन भूमि पर अतिक्रमण कर पर्यावरण से भी छेड़छाड़ किए जाने के कई मामले पूर्व में भी सामने आ चुके हैं. विगत दिनों प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में हुई निगरानी समिति की बैठक में इन सब मुद्दों से जुड़े कई बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी गई है.

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वन क्षेत्र पदाधिकारियों से मांगा गया जवाब
जिला प्रशासन की तरफ से इको सेंसेटिव दलमा जोन में सख्त नियम अनुपालन को लेकर वन क्षेत्र पदाधिकारियों को पत्र लिखकर जवाब मांगा गया है. इसके अलावा दलमा वन्य प्राणी अभ्यारण क्षेत्र में किए गए विकास कार्य, जैव विविधता संरक्षण, वनपथ मजबूतीकरण, अभयारण्य सौंदर्यकरण से संबंधित रिपोर्ट भी तलब किया गया है. गौरतलब है कि इको सेंसेटिव जोन का विस्तार किसी भी संरक्षित क्षेत्र के आसपास लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में किया जा सकता है, लेकिन महत्वपूर्ण खंडों और प्राकृतिक संयोजन के लिए 10 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को इको सेंसेटिव जोन में शामिल किया जाता है.


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अभयारण्य के वन्य जीवों पर मंडराता खतरा
दलमा वन्य प्राणी अभयारण्य समेत वन क्षेत्र में इको सेंसेटिव जोन से जुड़े नियमों से छेड़छाड़ किए जाने से वन्यजीव पर प्रतिकूल असर पड़ता है. अभयारण्य के जंगली हाथी समेत अन्य वन्य जीव जो अपने आश्रय और भोजन की तलाश में वन क्षेत्र में आसानी से विचरण करते हैं, सबसे ज्यादा खतरा और नुकसान उन्हें ही उठाना पड़ता है.

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