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पिछले 5 सालों में ऑटोमोबाइल सेक्टर की सबसे बड़ी मंदी! बढ़ेगी बेरोजगारों की संख्या

औद्याोगिक क्षेत्र में इन दिनों ऑटोमोबाइल सेक्टर इन दिनों दोहरी मार का शिकार हो रहा है. इसका सीधा असर बेरोजगारों पर पड़ रहा. इससे कई औद्योगिक इकाइयां मंदी के कगार पर पहुंच गई हैं. जो आने वाल समय में एक बड़ी समस्या बन सकती है.

ऑटोमोबाइल सेक्टर में बढ़ रही मंदी
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Published : Jul 31, 2019, 10:09 AM IST

सरायकेला: जिले के औद्योगिक क्षेत्र के ऑटोमोबाइल सेक्टर इन दिनों दोहरी मार झेल रहा है. ऑटोमोबाइल सेक्टर में लगातार छाई मंदी के बाद अब उत्पादन प्रभावित हो रहा है तो वहीं रोजगार उपलब्धता में भी भारी गिरावट देखने को मिल रही है.

देखें पूरी खबर

मंदी की मार और कम हुए रोजगार का सबसे बड़ा खामियाजा बेरोजगार युवकों को झेलना पड़ रहा है. ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाए इस मंदी के कारण कई कल कारखानों पर ताले लग रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक अगले कुछ दिनों में 2 दर्जन से भी अधिक औद्योगिक इकाइयां मंदी के कारण बंद हो जाएंगी. जिससे निश्चित तौर पर कामगारों और मजदूरों के सामने बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बनकर उभरेगी.

चार हजार लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य
लगातार छाई मंदी और बेरोजगारी के बीच जिला नियोजन विभाग और राज्य श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग इस वित्तीय वर्ष में जिले में कुल 4027 लोगों को रोजगार मुहैया कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन एशिया के सबसे बड़े लघु उद्योग क्षेत्र सरायकेला औद्योगिक क्षेत्र में छाए इस मंदी से जिला नियोजन विभाग के इस लक्ष्य को पाना नामुमकिन ही नहीं बल्कि असंभव प्रतीत हो रहा है. विभाग नियोजन उपलब्ध कराने का दावा कर रहा है.

ये भी पढ़ें- नक्सलियों के शहीद सप्ताह को लेकर प्रशासन सख्त, SSP ने किया औचक निरीक्षण

पिछले 5 सालों की सबसे बड़ी मंदी
औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमी और उद्योगपति इस मंदी के मार के आगे विवश नजर आ रहे हैं. जानकारों का मानना हैं कि पिछले 5 सालों में कई बार मंदी ने दस्तक दी है, लेकिन इस बार आए मंदी का असर इतना बड़ा है कि छोटे उद्योगों को इससे उबरने में काफी वक्त लगेगा.

टाटा मोटर्स में ब्लॉक क्लोजर है बेरोजगारी का कारण
सरायकेला जिले का औद्योगिक क्षेत्र पूर्णता टाटा मोटर्स के काम पर आश्रित है, जबकि ऑटोमोबाइल क्षेत्र में वैश्विक मंदी के कारण टाटा मोटर्स भी इससे उबर पाने में असमर्थ दिख रहा है. नतीजतन इसका सीधा असर औद्योगिक क्षेत्र के छोटे-मोटे लघु उद्योग इकाइयों पर पड़ रहा है. इन से सबसे ज्यादा प्रभावित मजदूर और बेरोजगार लोग हो रहे हैं. स्थानीय उद्यमी मानते हैं कि अगर वक्त रहते सरकार मंदी से निपटने के उपाय नहीं ढूंढती है तो स्थिति भयंकर होगी.

सरायकेला: जिले के औद्योगिक क्षेत्र के ऑटोमोबाइल सेक्टर इन दिनों दोहरी मार झेल रहा है. ऑटोमोबाइल सेक्टर में लगातार छाई मंदी के बाद अब उत्पादन प्रभावित हो रहा है तो वहीं रोजगार उपलब्धता में भी भारी गिरावट देखने को मिल रही है.

देखें पूरी खबर

मंदी की मार और कम हुए रोजगार का सबसे बड़ा खामियाजा बेरोजगार युवकों को झेलना पड़ रहा है. ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाए इस मंदी के कारण कई कल कारखानों पर ताले लग रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक अगले कुछ दिनों में 2 दर्जन से भी अधिक औद्योगिक इकाइयां मंदी के कारण बंद हो जाएंगी. जिससे निश्चित तौर पर कामगारों और मजदूरों के सामने बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बनकर उभरेगी.

चार हजार लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य
लगातार छाई मंदी और बेरोजगारी के बीच जिला नियोजन विभाग और राज्य श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग इस वित्तीय वर्ष में जिले में कुल 4027 लोगों को रोजगार मुहैया कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन एशिया के सबसे बड़े लघु उद्योग क्षेत्र सरायकेला औद्योगिक क्षेत्र में छाए इस मंदी से जिला नियोजन विभाग के इस लक्ष्य को पाना नामुमकिन ही नहीं बल्कि असंभव प्रतीत हो रहा है. विभाग नियोजन उपलब्ध कराने का दावा कर रहा है.

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पिछले 5 सालों की सबसे बड़ी मंदी
औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमी और उद्योगपति इस मंदी के मार के आगे विवश नजर आ रहे हैं. जानकारों का मानना हैं कि पिछले 5 सालों में कई बार मंदी ने दस्तक दी है, लेकिन इस बार आए मंदी का असर इतना बड़ा है कि छोटे उद्योगों को इससे उबरने में काफी वक्त लगेगा.

टाटा मोटर्स में ब्लॉक क्लोजर है बेरोजगारी का कारण
सरायकेला जिले का औद्योगिक क्षेत्र पूर्णता टाटा मोटर्स के काम पर आश्रित है, जबकि ऑटोमोबाइल क्षेत्र में वैश्विक मंदी के कारण टाटा मोटर्स भी इससे उबर पाने में असमर्थ दिख रहा है. नतीजतन इसका सीधा असर औद्योगिक क्षेत्र के छोटे-मोटे लघु उद्योग इकाइयों पर पड़ रहा है. इन से सबसे ज्यादा प्रभावित मजदूर और बेरोजगार लोग हो रहे हैं. स्थानीय उद्यमी मानते हैं कि अगर वक्त रहते सरकार मंदी से निपटने के उपाय नहीं ढूंढती है तो स्थिति भयंकर होगी.

Intro:सरायकेला जिले के औद्योगिक क्षेत्र के ऑटोमोबाइल सेक्टर इन दिनों दोहरी मार झेल रहा है ।ऑटोमोबाइल सेक्टर में लगातार छाई मंदी के बाद अब उत्पादन प्रभावित हो रहा है तो वही रोजगार उपलब्धता में भी भारी गिरावट देखने को मिल रही है।


Body:मंदी की मार और कम हुए रोजगार का सबसे बड़ा खामियाजा बेरोजगार युवकों को झेलना पड़ रहा है, ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाए इस मंदी के कारण कई कल कारखानों पर ताले लग रहे हैं एक अनुमान के मुताबिक अगले कुछ दिनों में 2 दर्जन से भी अधिक औद्योगिक इकाइयां मंदी के कारण बंद हो जाएंगी जिससे निश्चित तौर पर कामगारों और मजदूरों के सामने बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बनकर उभरेगी।

चार हजार लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य।

लगातार छाई मंदी और बेरोजगारी के बीच जिला नियोजन विभाग और राज्य श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग इस वित्तीय वर्ष में जिले में कुल 4027 लोगों को रोजगार मुहैया कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है लेकिन एशिया के सबसे बड़े लघु उद्योग क्षेत्र सरायकेला औद्योगिक क्षेत्र में छाए इस मंदी से जिला नियोजन विभाग के इस लक्ष्य को पाना नामुमकिन ही नहीं बल्कि असंभव प्रतीत हो रहा है लेकिन विभाग नियोजन उपलब्ध कराने की पूरा दावा कर रहा है।

पिछले 5 सालों की सबसे बड़ी मंदी

औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमी और उद्योगपति इस मंदी के मार के आगे विवश नजर आ रहे हैं जानकार मानते हैं कि पिछले 5 सालों में कई बार मंदी ने दस्तक दी है लेकिन इस बार आए मंदी का असर इतना बड़ा है कि छोटे उद्योगों को इससे उबरने में काफी वक्त लगेगा।

टाटा मोटर्स में ब्लॉक क्लोजर है मंदी का प्रमुख कारण।

सरायकेला जिले का औद्योगिक क्षेत्र पूर्णता टाटा मोटर्स के काम पर आश्रित है , जबकि ऑटोमोबाइल क्षेत्र में वैश्विक मंदी के कारण टाटा मोटर्स भी इससे उबर पाने में असमर्थ दिख रहा है नतीजतन इसका सीधा असर औद्योगिक क्षेत्र के छोटे-मोटे लघु उद्योग इकाइयों पर पड़ रहा है और इन से सबसे ज्यादा प्रभावित मजदूर और बेरोजगार लोग हो रहे हैं। स्थानीय उद्यमी मानते हैं कि अगर वक्त रहते सरकार मंदी से निपटने के उपाय नहीं ढूंढती है तो स्थिति भयंकर होगी।


Conclusion:एक ओर मंदी का असर है तो दूसरी तरफ जिला नियोजन विभाग बेरोजगारों के लंबी फेहरिस्त को रोजगार उपलब्ध कराने में जुटा है ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या? मोमेंटम झारखंड और विदेशी निवेश के नाम पर सरकार डींगे हांक रही है जबकि जमीनी हकीकत तो कुछ और ही बयां कर रही है।

बाइट - अजय कुमार, जिला नियोजन पदाधिकारी।

बाइट- गंगा प्रसाद शर्मा , ऑटोमोबाइल उद्यमी

बाइट- दीपक कुमार , बेरोजगार युवक .
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