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इस पॉलिटेक्निक कॉलेज पर छाए संकट के बादल, मान्यता पर लटकी AICTE की तलवार - झारखंड समाचार

विभागीय उदासीनता के कारण सरायकेला का राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के अस्तितत्व पर अब संकट के बादल छाते नजर आ रहे हैं. भवन जर्जर होने के साथ ही इसकी मान्यता पर भी तलवार लटक रही है.

पॉलिटेक्निक कॉलेज
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Published : Aug 1, 2019, 12:15 PM IST

सरायकेला: कभी कोल्हान का गौरव कहे जाने वाला राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज अब अपने वजूद से ही जूझता दिख रहा है. जबकि कॉलेज को एआईसीटीई से प्राप्त मान्यता लेकर भी संकट कम होते नहीं दिख रहे हैं. राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के जर्जर हो चले मुख्य भवन और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी देखी जा रही है.

देखें पूरे खबर

दरअसल, तकरीबन 6 माह पूर्व एआईसीटीई द्वारा कॉलेज के एडमिशन पर रोक लगा दी गई थी. सीटों की संख्या भी शून्य कर दी गई थी, जिसका प्रमुख और एकमात्र कारण कॉलेज में घोर संसाधनों के अभाव को बताया गया था. इससे पूर्व कॉलेज के स्थानांतरण खूंटी जिले में किए जाने को लेकर भी छात्र और कॉलेज प्रबंधन में संशय की स्थिति थी. फिलहाल कॉलेज स्थानांतरण का मामला तो टल गया है लेकिन मान्यता बरकरार रखने को लेकर जद्दोजहद जारी है.

ये भी पढ़ें- झारखंड में पीट-पीटकर एक की हत्या, घर में चोरी की कर रहा था कोशिश

संसाधनों के घोर कमी के कारण एआईसीटीई ने लिया था निर्णय
राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के जर्जर हो चले मुख्य भवन और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण एआईसीटीई द्वारा सीटों की संख्या शून्य कर दी गई थी. हालांकि एआईसीटीई द्वारा इस सत्र में एडमिशन से रोक हटा ली गई है. अगले कुछ दिनों में ही एआईसीटीई टीम एक बार फिर कॉलेज परिसर और भवन का निरीक्षण किया जाएगा. जिसके बाद अंतिम निर्णय या सहमति बनेगी. इससे पूर्व तक कॉलेज के मान्यता को लेकर संशय बरकरार है.

निरीक्षण के बाद सरकार को साौंपेगी रिपोर्ट
कॉलेज के प्राचार्य वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि अगस्त में एआईसीटीई की टीम निरीक्षण को आने वाली है. जिसके बाद टीम निरीक्षण के उपरांत सरकार और उच्च तकनीकी शिक्षा विभाग को रिपोर्ट तलब करेगी. राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज पर छाए संकट के बादल कम होने का नाम नहीं ले रहे तो वहीं दूसरी तरफ अब कॉलेज के मान्यता को लेकर भी एआईसीटीई की तलवार गर्दन पर झूल रही है. ऐसे में वक्त रहते सरकार और तकनीकी शिक्षा विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो कॉलेज के साथ छात्रों का भविष्य भी अंधकारमय होने में वक्त नहीं लगेगा.

सरायकेला: कभी कोल्हान का गौरव कहे जाने वाला राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज अब अपने वजूद से ही जूझता दिख रहा है. जबकि कॉलेज को एआईसीटीई से प्राप्त मान्यता लेकर भी संकट कम होते नहीं दिख रहे हैं. राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के जर्जर हो चले मुख्य भवन और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी देखी जा रही है.

देखें पूरे खबर

दरअसल, तकरीबन 6 माह पूर्व एआईसीटीई द्वारा कॉलेज के एडमिशन पर रोक लगा दी गई थी. सीटों की संख्या भी शून्य कर दी गई थी, जिसका प्रमुख और एकमात्र कारण कॉलेज में घोर संसाधनों के अभाव को बताया गया था. इससे पूर्व कॉलेज के स्थानांतरण खूंटी जिले में किए जाने को लेकर भी छात्र और कॉलेज प्रबंधन में संशय की स्थिति थी. फिलहाल कॉलेज स्थानांतरण का मामला तो टल गया है लेकिन मान्यता बरकरार रखने को लेकर जद्दोजहद जारी है.

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संसाधनों के घोर कमी के कारण एआईसीटीई ने लिया था निर्णय
राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के जर्जर हो चले मुख्य भवन और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण एआईसीटीई द्वारा सीटों की संख्या शून्य कर दी गई थी. हालांकि एआईसीटीई द्वारा इस सत्र में एडमिशन से रोक हटा ली गई है. अगले कुछ दिनों में ही एआईसीटीई टीम एक बार फिर कॉलेज परिसर और भवन का निरीक्षण किया जाएगा. जिसके बाद अंतिम निर्णय या सहमति बनेगी. इससे पूर्व तक कॉलेज के मान्यता को लेकर संशय बरकरार है.

निरीक्षण के बाद सरकार को साौंपेगी रिपोर्ट
कॉलेज के प्राचार्य वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि अगस्त में एआईसीटीई की टीम निरीक्षण को आने वाली है. जिसके बाद टीम निरीक्षण के उपरांत सरकार और उच्च तकनीकी शिक्षा विभाग को रिपोर्ट तलब करेगी. राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज पर छाए संकट के बादल कम होने का नाम नहीं ले रहे तो वहीं दूसरी तरफ अब कॉलेज के मान्यता को लेकर भी एआईसीटीई की तलवार गर्दन पर झूल रही है. ऐसे में वक्त रहते सरकार और तकनीकी शिक्षा विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो कॉलेज के साथ छात्रों का भविष्य भी अंधकारमय होने में वक्त नहीं लगेगा.

Intro:कभी कोल्हान का गौरव कहे जाने वाला सरायकेला जिले का राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज अब अपने वजूद से ही जूझता दिख रहा है, जबकि कॉलेज को एआईसीटीई से प्राप्त मान्यता लेकर भी संकट कम होते नहीं दिख रहे हैं।


Body:दरअसल तकरीबन 6 माह पूर्व एआईसीटीई द्वारा कॉलेज के एडमिशन पर रोक लगा दी गई थी और सीटों की संख्या भी शून्य कर दी गई थी जिसका प्रमुख और एकमात्र कारण कॉलेज में घोर संसाधनों के अभाव को बताया गया था। इससे पूर्व कॉलेज के स्थानांतरण खूंटी जिले में किए जाने को लेकर भी छात्र और कॉलेज प्रबंधन में संशय की स्थिति थी । फिलहाल कॉलेज स्थानांतरण का मामला तो टल गया है लेकिन, मान्यता बरकरार रखने को लेकर जद्दोजहद जारी है।

संसाधनों के घोर कमी के कारण एआईसीटीई ने लिया था निर्णय।

राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के जर्जर हो चले मुख्य भवन और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण एआईसीटीई द्वारा सीटों की
संख्या शून्य कर दी गई थी , हालांकि एआईसीटीई द्वारा इस सत्र में एडमिशन से रोक हटा ली गई है लेकिन अगले कुछ दिनों में ही एआईसीटीई टीम एक बार फिर कॉलेज परिसर और भवन का निरीक्षण किया जाएगा जिसके बाद अंतिम निर्णय या सहमति बनेगी। इससे पूर्व तक कॉलेज के मान्यता को लेकर संशय बरकरार है।

कॉलेज के प्राचार्य वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि जुलाई से अगस्त के बीच एआईसीटीई की टीम निरीक्षण को आने वाली है, जिसके बाद टीम निरीक्षण के उपरांत सरकार और उच्च तकनीकी शिक्षा विभाग को रिपोर्ट तलब करेगी।


Conclusion:राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज पर छाए संकट के बादल कम होने का नाम नहीं ले रहे तो वहीं दूसरी तरफ अब कॉलेज के मान्यता को लेकर भी एआईसीटीई की तलवार मानो गर्दन पर झूल रही है। ऐसे में वक्त रहते सरकार और तकनीकी शिक्षा विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो कॉलेज के साथ छात्रों का भविष्य भी अंधकारमय होने में वक्त नहीं लगेगा।

बाइट- वीरेंद्र प्रसाद , प्राचार्य , राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज ।
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