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दिव्यांग विद्यालय को सीआरपीएफ के कब्जे से मुक्त कराने के लिए हाई कोर्ट में पीआइएल, पढाई शुरू करवाने का आग्रह - सीआरपीएफ के कब्जे में दिव्यांग विद्यालय

झारखंड हाई कोर्ट में सरायकेला में नवनिर्मित दिव्यांग विद्यालय को सीआरपीएफ के कब्जे से मुक्त कराने को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि दिव्यांग विद्यालय को डीसी के आदेश से 7 सितंबर 2010 को सीआरपीएफ 196 बटालियन हेडक्वार्टर की कंपनी को अस्थायी तौर पर रहने के लिए दे दिया गया था. इस भवन में अब तक सीआरपीएफ रह रही है.

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झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Oct 2, 2020, 9:25 PM IST

रांची: सरायकेला में नवनिर्मित दिव्यांग विद्यालय को सीआरपीएफ के कब्जे से मुक्त कराने को लेकर झारखंड हाइ कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. प्रार्थी अरूण कुमार सिंह की ओर से अधिवक्ता अनुप अग्रवाल ने यह याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2010 से पहले महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के ओर से ग्राम दुगनी, गम्हरिया प्रखंड के सरायकेला में दिव्यांग विद्यालय का निर्माण कराया गया था, लेकिन इस विद्यालय को संचालित करने के लिए वहां शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई.

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याचिका में कहा गया है कि दिव्यांग विद्यालय को डीसी के आदेश से 7 सितंबर 2010 को सीआरपीएफ 196 बटालियन हेडक्वार्टर की कंपनी को अस्थायी तौर पर रहने के लिए दे दिया गया था. इस भवन में अब तक सीआरपीएफ के जवान रह रहे हैं, जबकि वर्ष 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक में कहा था कि जब तक इस तरह के स्कूल में स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होती है तब तक अनुबंध पर शिक्षकों की बहाली कर स्कूलों को चलाया जाए. प्रार्थी ने सरायकेला में दिव्यांग विद्यालय सीआरपीएफ के कब्जे से मुक्त कराने और उसमें पढाई शुरू करवाने का आग्रह हाई कोर्ट से किया है.

रांची: सरायकेला में नवनिर्मित दिव्यांग विद्यालय को सीआरपीएफ के कब्जे से मुक्त कराने को लेकर झारखंड हाइ कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. प्रार्थी अरूण कुमार सिंह की ओर से अधिवक्ता अनुप अग्रवाल ने यह याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2010 से पहले महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के ओर से ग्राम दुगनी, गम्हरिया प्रखंड के सरायकेला में दिव्यांग विद्यालय का निर्माण कराया गया था, लेकिन इस विद्यालय को संचालित करने के लिए वहां शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई.

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याचिका में कहा गया है कि दिव्यांग विद्यालय को डीसी के आदेश से 7 सितंबर 2010 को सीआरपीएफ 196 बटालियन हेडक्वार्टर की कंपनी को अस्थायी तौर पर रहने के लिए दे दिया गया था. इस भवन में अब तक सीआरपीएफ के जवान रह रहे हैं, जबकि वर्ष 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक में कहा था कि जब तक इस तरह के स्कूल में स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होती है तब तक अनुबंध पर शिक्षकों की बहाली कर स्कूलों को चलाया जाए. प्रार्थी ने सरायकेला में दिव्यांग विद्यालय सीआरपीएफ के कब्जे से मुक्त कराने और उसमें पढाई शुरू करवाने का आग्रह हाई कोर्ट से किया है.

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