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SPECIAL: निर्मम हत्याकांड के मंजर को आज भी नहीं भूला तिरूलडीह, याद कर कांप जाती है रूह - सरायकेला में सबसे बड़ी नक्सली घटना

सरायकेला के तिरूलडीह में आज के दिन 14 जून को करीब एक साल पहले हुई 5 पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या ने पूरे राज्य का दिल दहला कर रख दिया था. इस हत्याकांड को अब तक के सबसे बड़े नक्सली वारदात के रूप में देखा जाता है. लाल आतंक का यह खौफ आज भी यहां के लोगों में दिखाई देता है. पेश है ये खास रिपोर्ट.

one year of Tiruldih Kand Seraikela
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Published : Jun 14, 2020, 2:01 PM IST

सरायकेला: जिले के कुकड़ू हाट बाजार में 14 जून 2019 को हुए 5 पुलिसकर्मियों के निर्मम हत्याकांड को एक साल हो गए हैं. आज भी नक्सलियों के पुलिस के विरुद्ध दिए गए, इस हत्याकांड को जिले के सबसे बड़े नक्सली वारदात के रूप में देखा जाता है और यह घटना अब इतिहास के पन्नों में दर्ज है. लेकिन इस घटना के एक साल बीत जाने के बाद भी घटनास्थल से महज कुछ ही दूरी पर स्थित कुकड़ू थाना का संचालन शुरू नहीं होना सिस्टम पर बड़ा सवालिया निशान लगाता है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-रांची में सरेशाम गोली मारकर एक युवक की हत्या, कुख्यात अपराधी गेंदा सिंह का था शूटर

इस घटना में पुलिस के हौसले और उनका समर्पण खूब देखने को मिला लेकिन कहीं ना कहीं इस घटना के पीछे पुलिसकर्मियों को मिलने वाली सुविधाओं के घोर अभाव को भी एक महत्वपूर्ण कारण बताया जाता है. अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र में मिलने वाली सुविधाओं का अभाव आज भी जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बना हुआ है. कुकड़ू प्रखंड में सिर्फ एक थाना भवन की कमी के कारण यहां आए दिन होने वाली घटनाओं पर अंकुश लगाना पुलिस प्रशासन के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा सकता है.

निर्मम हत्याकांड की घटना

14 जून 2019 को शाम तकरीबन 4 बजे तिरूल्डीह थाना क्षेत्र के कुकड़ू हाट बाजार में क्षेत्र में पेट्रोलिंग गश्ती पूरी कर पांच पुलिसकर्मी हाट के पास एक दुकान के पास रुके हुए थे, तभी अचानक नक्सलियों ने योजना के मुताबिक एक-एक पुलिसकर्मी को तीन से चार नक्सलियों ने पकड़ लिया. इनमें से एक पुलिसकर्मी को मारने में खुद दो लाख के इनामी कुख्यात नक्सली महाराज प्रमाणिक भी शामिल था. इनके अलावा इस दस्ते में मंगल टोपनो, नैना और मनोज मुंडा शामिल थे.

घटना के अनुसार नैना और मनोज ने इन पुलिसकर्मियों को सबसे पहले पकड़ा, बाद में महाराज प्रमाणिक और मंगल टोपनो ने धारदार हथियार से हमला किया और फिर गोली मारकर इन पांचों पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी. इसके बाद इन नक्सलियों ने पुलिसकर्मियों के हथियार भी लूट लिए. इस घटना के बाद ढाई घंटों तक शहीद जवानों के शव सड़क पर ही पड़े थे. पुलिस अफसर घटनास्थल पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे. तब तकरीबन रात 8 बजे तत्कालीन कोल्हान डीआईजी के नेतृत्व में पुलिस फोर्स घटनास्थल पर पहुंची थी.

यह पुलिसकर्मी हुए थे शहीद

1. सहायक पुलिस निरीक्षक गोवर्धन पासवान

2. सहायक पुलिस निरीक्षक मनोधन हांसदा

3. सिपाही धनेश्वर पूर्ति

4. सिपाही युधिष्ठिर मालूवा

5. सिपाही डिब्रू पूर्ति

वहीं, इस घटना के फौरन बाद पुलिस पेट्रोलिंग वाहन चला रहे चालक सुखलाल कुदादा ने भागकर अपनी जान बचाई थी और तिरूल्डीह थाना पहुंचकर अन्य पुलिसकर्मियों को बाद में इस घटना की जानकारी प्रदान की थी.

एक से अधिक आरोपियों और नक्सलियों की हो चुकी है गिरफ्तारी

इस घटना के फौरन बाद सरायकेला जिले के तत्कालीन एसपी चंदन कुमार सिन्हा का तबादला हो गया था और जिले में कार्तिक एस नए पुलिस अधीक्षक बनाए गए थे, एसपी कार्तिक एस के नेतृत्व में जिला पुलिस ने इस मामले का खुलासा किया जिसमें कुख्यात नक्सली महाराज प्रमाणिक. माओवादी के केंद्रीय कमेटी के सदस्य अनल उर्फ रमेश दस्ते के सक्रिय सदस्य मौजूद थे, इस घटना में पुलिसकर्मियों की निर्ममहत्या के बाद लूटे गए हथियारों को नक्सलियों ने सारंडा के बीहड़ में पोलित ब्यूरो सदस्य किशन दा को सौंपे थे.

ये भी पढ़ें-चतरा: टीपीसी का सबजोनल कमांडर आशिक गंझू गिरफ्तार

कुकड़ू थाना शुरू नहीं होने से बना रहता है नक्सली वारदात का डर

कुकड़ू थाना भवन इस घटना से पहले शुरू हुआ होता तो शायद यह अप्रिय घटना घटित नहीं होती. वैसे जिस जगह यह घटना हुई है वहां वर्ष 2016 से ही थाना भवन बनकर तैयार है. कुकड़ू प्रखंड में कुल 9 पंचायत है और 44 गांव जहां आए दिन अप्रिय घटनाएं होती रहती है. यहां प्रखंड कार्यालय से कई बार चोरी की घटनाएं घटित हो चुकी हैं. बावजूद इसके यहां के लोगों को तिरूल्डीह थाने पर ही निर्भर रहना पड़ता है.

तत्कालीन डिप्टी सीएम और ईचागढ़ के पूर्व विधायक सुधीर महतो ने कुकड़ू प्रखंड में महज एक थाना भवन की आवश्यकता को देखते हुए प्रस्ताव लाया था. साल 2014 में तिरूल्डीह थाना के दबाव को कम करने के लिए कुकड़ू थाना के निर्माण को स्वीकृति मिली थी. वहीं रघुवर सरकार ने काम को आगे बढ़ाते हुए साल 2016 में थाना भवन निर्माण कार्य पूरा करवा दिया. लेकिन फिर सरकार के उदासीन रवैये के कारण अब तक थाना भवन का संचालन शुरू नहीं हो सका है. करोड़ों खर्च कर नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के मद्देनजर थाना तो बन गया लेकिन आज भी स्थानीय लोग थाना भवन संचालन की मांग करते आ रहे हैं.

कुकड़ू थाना का संचालन क्यों जरूरी

अतिनक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के साथ-साथ साल 2011 की जनगणना के अनुसार कुकड़ू प्रखंड की कुल आबादी 52 हजार 973 है, लेकिन वर्तमान में यहां की आबादी अब 65 हजार को भी पार कर चुकी है. बावजूद इसके यहां थाना भवन का संचालन शुरू नहीं हो सका है. यह क्षेत्र तिरूल्डीह थाना अंतर्गत पड़ता है जो कि यहां से तकरीबन 5 किलोमीटर दूर है. पास ही में दूसरा थाना नीमडीह है. यह भी कुकरू प्रखंड से लगभग 27 किलोमीटर दूर है. अगर ऐसे में कोई अप्रिय घटना और नक्सली वारदात होती है तो इस क्षेत्र के लोगों को प्रशासनिक सुरक्षा नहीं मिल पाती. करोड़ों की लागत से बना थाना भवन लोगों की सुरक्षा के लिए जरूर बना है, लेकिन फिलहाल यह बंद पड़ा है.

घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र और यहां के लोग आज भी सुरक्षा व्यवस्था के अभाव में जीने को मजबूर हैं. सिर्फ एक थाना भवन के अभाव में लोगों में डर बना रहता है. जिस हाट बाजार में 5 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारा गया था, वहां आज भी कोई दुकान नहीं खुलती, उस क्षेत्र के लोगों का आवागमन भी काफी कम होता है, ऐसे में सरकार का यह उदासीन रवैया लोगों में ना उम्मीद ही को भी बढ़ा रहा है.

सरायकेला: जिले के कुकड़ू हाट बाजार में 14 जून 2019 को हुए 5 पुलिसकर्मियों के निर्मम हत्याकांड को एक साल हो गए हैं. आज भी नक्सलियों के पुलिस के विरुद्ध दिए गए, इस हत्याकांड को जिले के सबसे बड़े नक्सली वारदात के रूप में देखा जाता है और यह घटना अब इतिहास के पन्नों में दर्ज है. लेकिन इस घटना के एक साल बीत जाने के बाद भी घटनास्थल से महज कुछ ही दूरी पर स्थित कुकड़ू थाना का संचालन शुरू नहीं होना सिस्टम पर बड़ा सवालिया निशान लगाता है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-रांची में सरेशाम गोली मारकर एक युवक की हत्या, कुख्यात अपराधी गेंदा सिंह का था शूटर

इस घटना में पुलिस के हौसले और उनका समर्पण खूब देखने को मिला लेकिन कहीं ना कहीं इस घटना के पीछे पुलिसकर्मियों को मिलने वाली सुविधाओं के घोर अभाव को भी एक महत्वपूर्ण कारण बताया जाता है. अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र में मिलने वाली सुविधाओं का अभाव आज भी जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बना हुआ है. कुकड़ू प्रखंड में सिर्फ एक थाना भवन की कमी के कारण यहां आए दिन होने वाली घटनाओं पर अंकुश लगाना पुलिस प्रशासन के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा सकता है.

निर्मम हत्याकांड की घटना

14 जून 2019 को शाम तकरीबन 4 बजे तिरूल्डीह थाना क्षेत्र के कुकड़ू हाट बाजार में क्षेत्र में पेट्रोलिंग गश्ती पूरी कर पांच पुलिसकर्मी हाट के पास एक दुकान के पास रुके हुए थे, तभी अचानक नक्सलियों ने योजना के मुताबिक एक-एक पुलिसकर्मी को तीन से चार नक्सलियों ने पकड़ लिया. इनमें से एक पुलिसकर्मी को मारने में खुद दो लाख के इनामी कुख्यात नक्सली महाराज प्रमाणिक भी शामिल था. इनके अलावा इस दस्ते में मंगल टोपनो, नैना और मनोज मुंडा शामिल थे.

घटना के अनुसार नैना और मनोज ने इन पुलिसकर्मियों को सबसे पहले पकड़ा, बाद में महाराज प्रमाणिक और मंगल टोपनो ने धारदार हथियार से हमला किया और फिर गोली मारकर इन पांचों पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी. इसके बाद इन नक्सलियों ने पुलिसकर्मियों के हथियार भी लूट लिए. इस घटना के बाद ढाई घंटों तक शहीद जवानों के शव सड़क पर ही पड़े थे. पुलिस अफसर घटनास्थल पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे. तब तकरीबन रात 8 बजे तत्कालीन कोल्हान डीआईजी के नेतृत्व में पुलिस फोर्स घटनास्थल पर पहुंची थी.

यह पुलिसकर्मी हुए थे शहीद

1. सहायक पुलिस निरीक्षक गोवर्धन पासवान

2. सहायक पुलिस निरीक्षक मनोधन हांसदा

3. सिपाही धनेश्वर पूर्ति

4. सिपाही युधिष्ठिर मालूवा

5. सिपाही डिब्रू पूर्ति

वहीं, इस घटना के फौरन बाद पुलिस पेट्रोलिंग वाहन चला रहे चालक सुखलाल कुदादा ने भागकर अपनी जान बचाई थी और तिरूल्डीह थाना पहुंचकर अन्य पुलिसकर्मियों को बाद में इस घटना की जानकारी प्रदान की थी.

एक से अधिक आरोपियों और नक्सलियों की हो चुकी है गिरफ्तारी

इस घटना के फौरन बाद सरायकेला जिले के तत्कालीन एसपी चंदन कुमार सिन्हा का तबादला हो गया था और जिले में कार्तिक एस नए पुलिस अधीक्षक बनाए गए थे, एसपी कार्तिक एस के नेतृत्व में जिला पुलिस ने इस मामले का खुलासा किया जिसमें कुख्यात नक्सली महाराज प्रमाणिक. माओवादी के केंद्रीय कमेटी के सदस्य अनल उर्फ रमेश दस्ते के सक्रिय सदस्य मौजूद थे, इस घटना में पुलिसकर्मियों की निर्ममहत्या के बाद लूटे गए हथियारों को नक्सलियों ने सारंडा के बीहड़ में पोलित ब्यूरो सदस्य किशन दा को सौंपे थे.

ये भी पढ़ें-चतरा: टीपीसी का सबजोनल कमांडर आशिक गंझू गिरफ्तार

कुकड़ू थाना शुरू नहीं होने से बना रहता है नक्सली वारदात का डर

कुकड़ू थाना भवन इस घटना से पहले शुरू हुआ होता तो शायद यह अप्रिय घटना घटित नहीं होती. वैसे जिस जगह यह घटना हुई है वहां वर्ष 2016 से ही थाना भवन बनकर तैयार है. कुकड़ू प्रखंड में कुल 9 पंचायत है और 44 गांव जहां आए दिन अप्रिय घटनाएं होती रहती है. यहां प्रखंड कार्यालय से कई बार चोरी की घटनाएं घटित हो चुकी हैं. बावजूद इसके यहां के लोगों को तिरूल्डीह थाने पर ही निर्भर रहना पड़ता है.

तत्कालीन डिप्टी सीएम और ईचागढ़ के पूर्व विधायक सुधीर महतो ने कुकड़ू प्रखंड में महज एक थाना भवन की आवश्यकता को देखते हुए प्रस्ताव लाया था. साल 2014 में तिरूल्डीह थाना के दबाव को कम करने के लिए कुकड़ू थाना के निर्माण को स्वीकृति मिली थी. वहीं रघुवर सरकार ने काम को आगे बढ़ाते हुए साल 2016 में थाना भवन निर्माण कार्य पूरा करवा दिया. लेकिन फिर सरकार के उदासीन रवैये के कारण अब तक थाना भवन का संचालन शुरू नहीं हो सका है. करोड़ों खर्च कर नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के मद्देनजर थाना तो बन गया लेकिन आज भी स्थानीय लोग थाना भवन संचालन की मांग करते आ रहे हैं.

कुकड़ू थाना का संचालन क्यों जरूरी

अतिनक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के साथ-साथ साल 2011 की जनगणना के अनुसार कुकड़ू प्रखंड की कुल आबादी 52 हजार 973 है, लेकिन वर्तमान में यहां की आबादी अब 65 हजार को भी पार कर चुकी है. बावजूद इसके यहां थाना भवन का संचालन शुरू नहीं हो सका है. यह क्षेत्र तिरूल्डीह थाना अंतर्गत पड़ता है जो कि यहां से तकरीबन 5 किलोमीटर दूर है. पास ही में दूसरा थाना नीमडीह है. यह भी कुकरू प्रखंड से लगभग 27 किलोमीटर दूर है. अगर ऐसे में कोई अप्रिय घटना और नक्सली वारदात होती है तो इस क्षेत्र के लोगों को प्रशासनिक सुरक्षा नहीं मिल पाती. करोड़ों की लागत से बना थाना भवन लोगों की सुरक्षा के लिए जरूर बना है, लेकिन फिलहाल यह बंद पड़ा है.

घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र और यहां के लोग आज भी सुरक्षा व्यवस्था के अभाव में जीने को मजबूर हैं. सिर्फ एक थाना भवन के अभाव में लोगों में डर बना रहता है. जिस हाट बाजार में 5 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारा गया था, वहां आज भी कोई दुकान नहीं खुलती, उस क्षेत्र के लोगों का आवागमन भी काफी कम होता है, ऐसे में सरकार का यह उदासीन रवैया लोगों में ना उम्मीद ही को भी बढ़ा रहा है.

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