सरायकेला: जिले के सरायकेला स्थित को-ऑपरेटिव बैंक की शाखा में 33 करोड़ रुपए के घोटाले में सीआईडी ने बैंक के तत्कालीन कैशियर मनसाराम महतो को जमशेदपुर से गिरफ्तार कर जेल भेजा गया.
सीआईडी के कोल्हान डीएसपी अनिमेष गुप्ता के नेतृत्व में कैशियर मनसाराम को सरायकेला व्यवहार न्यायालय लाया गया. जहां मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पेश करते हुए मंसाराम को सरायकेला जेल भेज दिया गया है.
इससे पूर्व पिछले 22 मई को तत्कालीन ब्रांच मैनेजर सुनील कुमार सतपथी को भी सीआईडी ने गिरफ्तार किया था. पिछले वर्ष सरायकेला थाना में 33 करोड़ रुपए का लोन गलत तरीके से देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
क्या है मामला
को-ऑपरेटिव बैंक में साल 2011 से लेकर 2016 तक बैंक अधिकारियों की मदद से 33 करोड़ का लोन घोटाला हुआ है. विभागीय जांच के बाद इस मामले में अगस्त 2019 में सरायकेला के संजय डालमिया समेत अन्य बैंककर्मियों को ने यह लोन लिया था.
वहीं बैंक द्वारा मॉर्गेज रखे गए कागजातों से अधिक लोन राशि स्वीकृत कर दी गई थी. बाद में लोन एनपीए हो गया था. वहीं पूरे मामले में एक दर्जन से अधिक बैंक अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है. वहीं इसको लेकर पिछले साल 22 अगस्त 2019 को सरायकेला थाने में 38 करोड़ रुपए घोटाले की प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
प्राथमिकी के अनुसार बैंक से कुल 38 करोड़ रुपए लोन दिए गए थे. इसमें 33 करोड़ का लोन कारोबारी संजय कुमार डालमिया द्वारा लिया गया था. अन्य 4 करोड़ का लोन अन्य लोगों ने लिया था. वहीं लोन लेने वालों ने बैंक को पैसा नहीं लौटाया. इसके बाद पूरे मामले की जांच हुई.
जांच के बाद सरायकेला के शाखा प्रबंधक सुनील कुमार सतपथी, सहायक मदन लाल प्रजापति, तत्कालीन मैनेजर वीरेंद्र कुमार, क्षेत्रीय कार्यालय चाईबासा में पदस्थापित एजीएम, तत्कालीन लेखाकार शंकर बंदोपाध्याय, चाईबासा क्षेत्रीय कार्यालय के तत्कालीन एमडी मनोजनाथ शाहदेव, तत्कालीन एजीएम मुख्यालय संदीप सेन, सीईओ बृजेश्वर नाथ और संजय कुमार डालमिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
वहीं इस केस को बीते 2 मई को सीआईडी की टीम ने अपने हाथ में लिया था . इससे पहले यह मामला सरायकेला थाने में दर्ज था. इस केस की मॉनिटिरिंग सीआईडी के अपर पुलिस महानिदेशक अनिल पाल्टा कर रहे हैं और जांच अधिकारी सीआईडी के कोल्हान प्रमंडल के डीएसपी अनिमेष गुप्ता हैं.
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सरायकेला के झारखंड को-ऑपरेटिव ब्रांच से करीब 33 करोड़ रुपए की अनियमितता और अवैध तरीके से ऋण स्वीकृत किया गया था. इस दौरान मनसाराम महतो कैशियर के पद पर कार्यरत थे. मनसाराम महतो द्वारा मैनेजर के साथ मिलकर डीएमई मद की पूरी राशि अवैध तरीके से निकासी की गयी.
करीब 33 करोड़ में से 1.10 करोड़ रुपये के ऋण की चेक से निकासी की गयी थी. इसमें मनसाराम की आईडी इस्तेमाल हुई थी. इस आधार पर मनसाराम महतो को गिरफ्तार किया गया.