सरायकेला,खरसावां: प्रभु जगन्नाथ के नेत्र उत्सव सह नव यौवन रूप के दर्शन के मौके पर पुरोहितों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा अर्चना की. जय जगन्नाथ की जयघोष, शंखध्वनि और पारंपरिक उलध्वनी (हुलहुली) के बीच चतुर्था मूर्ति के अलौकिक नव यौवन रुप के दर्शन भी हुए. मौके पर पूजा के साथ-साथ हवन किया गया. साथ ही चतुर्था मूर्ति को मिष्ठान्न और अन्न भोग चढ़ाया गया.
सभी जगन्नाथ मंदिरों के खोले गए कपाट
एक पखवाड़े के बाद खरसावां और हरिभंजा जिले के सभी जगन्नाथ मंदिर के कपाट खुले. कोरोना के कारण 14 दिनों तक मंदिर के अणसर गृह में इलाजरत चतुर्था मूर्ति ( प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा और सुदर्शन) स्वस्थ्य हो कर नए कलेवर में दर्शन दिए. इसे प्रभु के नव यौवन रूप कहा जाता है. मालूम हो कि पांच जून को स्नान पूर्णिमा पर 108 कलश पानी से स्नान करने के कारण चतुर्था मूर्ति बीमार हो गई थी. 14 दिनों तक अणसर गृह में प्रभु की गुप्त सेवा की गई. देशी नुस्खा पर आधारित जुड़ी-बूटी से तैयार दवा पिलाकर इलाज किया गया.
प्रभु जगन्नाथ के नेत्र उत्सव पर भी दिखा कोविड-19 का असर
प्रभु जगन्नाथ के नेत्र उत्सव में भी कोविड-19 का असर दिखने को मिला. सरकार के सभी दिशा निर्देशों का पालन किया गया. मंदिरों में पूजा के दौरान भी भक्त नहीं पहुंचे. सिर्फ एक-दो श्रद्धालु ही पूजा में देखे गए. श्रद्धालुओं ने घर से ही पूजा अर्चना कर मन्नत मांगी है. मंदिरों में पूजा के दौरान सिर्फ पुरोहित और एक-दो श्रद्धालु ही नजर आए. पूजा अर्चना में भी सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन किया गया. यहां तक की पुरोहित भी फेस मास्क लगा कर पूजा करते नजर आए. हर वर्ष आयोजित होने वाली भंडारे का भी इस वर्ष आयोजन नहीं हुआ.
रथ यात्रा पर नहीं होगा मेले का आयोजन
खरसावां में इस वर्ष रथ यात्रा पर मेला का आयोजन नहीं होगा. खरसावां सीओ मुकेश कुमार मछुवा ने निर्देश पर खरसावां में लाउड स्पीकर के जरिए इस संबंध में प्रचार प्रसार किया गया. कोविड-19 को लेकर इस संबंध में निर्देश जारी किया गया है.