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सरायकेला के इन लड्डूओं के लाखों हैं मुरीद, जिसने चखा एक बार, वह कभी नहीं भूलता इसका स्वाद

पर्व-त्यौहार का मौसम हो या शादी-विवाह का अवसर, हर खुशियों के मौके पर सरायकेला का प्रसिद्ध लड्डू दिलों को जोड़ने का काम कर रहा है. कहा जाता है कि जब भी कोई सरायकेला आता है तो यहां के लड्डू का स्वाद जरूर लेता है.

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लड्डू
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Published : Mar 2, 2020, 10:10 AM IST

Updated : Mar 2, 2020, 10:28 AM IST

सरायकेला: यूं तो कोल्हान प्रमंडल का सरायकेला-खरसावां जिला अपने छऊ नृत्य कला और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है. लेकिन यहां बनने वाला लड्डू भी काफी प्रसिद्ध है, जिस प्रकार छऊ नृत्य कला अपने इतिहास को संजोए है, ठीक उसी तरह सरायकेला का सुप्रसिद्ध लड्डू भी अपने रोचक इतिहास को बयां करता है.

देखें पूरी खबर

बेसन से सेव से बनता है लड्डू

झारखंड के सरायकेला जिले का लड्डू यूं तो पूरे कोल्हान क्षेत्र में प्रसिद्ध है, लेकिन अब धीरे-धीरे अपने स्वाद का जलवा झारखंड के अलावा अन्य राज्यों में भी बिखेर रहा है. कहा जाता है कि जब भी कोई सरायकेला आता है तो यहां के लड्डू का स्वाद जरूर लेता है और यदि वह ऐसा नहीं कर पाता तो उसकी यात्रा मानो अधूरी ही रह जाती है. सरायकेला के इस लड्डू के इतिहास के बारे में जानकार बताते हैं कि सरायकेला स्टेट की स्थापना उड़ीसा राज्य में हुई थी. तब इष्ट देवी मां पाऊड़ी की पूजा में पहली बार इस लड्डू का प्रयोग हुआ था, कहां जाता है कि मोदक परिवार की एक वृद्ध महिला बेसन से सेव तैयार कर इसके लड्डू को बनाकर इष्ट देवी के लिए प्रसाद के रूप में इसे तैयार करती थी.

दूसरी जगह नहीं बन पाता ऐसा लड्डू

इसके बाद प्रसाद का यह लड्डू इतना प्रसिद्ध हुआ कि यह मंदिर के प्रसाद से बाहर निकलकर बाजार तक जा पहुंचा. जहां हर आम और खास इसके स्वाद को चखने लगे, बाजार में आने के बाद पहली बार पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले से आए कारीगरों ने बेसन का सेव तैयार करने के बाद इसे बनाया. कहावत है कि सरायकेला के पानी में एक विशेष गुण है जिसके कारण इन लड्डुओं का स्वाद बढ़ जाता है, वहीं कई अन्य स्थानों पर भी इस लड्डू को बनाने का भरसक प्रयास किया गया लेकिन वह स्वाद इसमें नहीं आ सका.

ये भी पढ़ें- चांद बन गए हैं नकवी! 4 साल बाद हुए दीदार

हाल में बढ़े लड्डूओं के दाम

सुप्रसिद्ध सरायकेला का लड्डू हाल के दिनों में महंगा हो गया है, पहले जहां साधारण लड्डू 180 रूपये प्रति किलोग्राम था वह अब बढ़कर 200 रूपये प्रति किलोग्राम हो गया है. वहीं स्पेशल लड्डू जो 200 रूपये प्रति किलोग्राम था वह बढ़कर अब 250 रूपये तक हो गया है. बताया जाता है बीते वर्ष केरल में बाढ़ आने के बाद मसाले और इलायची के दामों में अचानक भारी इजाफा हुआ है. बड़ी महंगाई के कारण लड्डू की सामग्री में इस्तेमाल होने वाले इलायची, चीनी समेत बेसन और तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने के कारण लड्डू के व्यापारियों ने मजबूरन दाम बढ़ाए हैं.

स्थानीय रोजगार को दे रहा बढ़ावा

सरायकेला का लड्डू अब प्रसिद्ध होने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भरपूर रोजगार भी मुहैया करा रहा है. सरायकेला नगर क्षेत्र की तकरीबन 40 फीसदी आबादी लड्डू के रोजगार से जुड़ी हुई है, प्रति महीने सामान्य स्थिति में सरायकेला के लड्डू की बिक्री 15 से 20 टन और विशेष आयोजनों में इसकी बिक्री 40 से 50 टन तक बढ़ जाती है. इसे लेकर क्षेत्र के सैकड़ों लोगों को इससे रोजगार मिलता है, जबकि वर्तमान में सरायकेला में 40 से भी अधिक लड्डू की दुकानें संचालित है लेकिन इनमें से एक-दो ही पुरानी और प्रसिद्ध है. एक और जहां सभी मिठाइयों की ब्रांडिंग हो रही है, वहीं सरायकेला का प्रसिद्ध लड्डू आज भी बिना ब्रांडिंग के विख्यात है, बिना ब्रांडिंग के लोगों के बीच में प्रसिद्ध यह लड्डू ऐतिहासिक है और वर्तमान समय में भी इसके मुरीद कम नहीं हो रहे हैं.

सरायकेला: यूं तो कोल्हान प्रमंडल का सरायकेला-खरसावां जिला अपने छऊ नृत्य कला और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है. लेकिन यहां बनने वाला लड्डू भी काफी प्रसिद्ध है, जिस प्रकार छऊ नृत्य कला अपने इतिहास को संजोए है, ठीक उसी तरह सरायकेला का सुप्रसिद्ध लड्डू भी अपने रोचक इतिहास को बयां करता है.

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बेसन से सेव से बनता है लड्डू

झारखंड के सरायकेला जिले का लड्डू यूं तो पूरे कोल्हान क्षेत्र में प्रसिद्ध है, लेकिन अब धीरे-धीरे अपने स्वाद का जलवा झारखंड के अलावा अन्य राज्यों में भी बिखेर रहा है. कहा जाता है कि जब भी कोई सरायकेला आता है तो यहां के लड्डू का स्वाद जरूर लेता है और यदि वह ऐसा नहीं कर पाता तो उसकी यात्रा मानो अधूरी ही रह जाती है. सरायकेला के इस लड्डू के इतिहास के बारे में जानकार बताते हैं कि सरायकेला स्टेट की स्थापना उड़ीसा राज्य में हुई थी. तब इष्ट देवी मां पाऊड़ी की पूजा में पहली बार इस लड्डू का प्रयोग हुआ था, कहां जाता है कि मोदक परिवार की एक वृद्ध महिला बेसन से सेव तैयार कर इसके लड्डू को बनाकर इष्ट देवी के लिए प्रसाद के रूप में इसे तैयार करती थी.

दूसरी जगह नहीं बन पाता ऐसा लड्डू

इसके बाद प्रसाद का यह लड्डू इतना प्रसिद्ध हुआ कि यह मंदिर के प्रसाद से बाहर निकलकर बाजार तक जा पहुंचा. जहां हर आम और खास इसके स्वाद को चखने लगे, बाजार में आने के बाद पहली बार पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले से आए कारीगरों ने बेसन का सेव तैयार करने के बाद इसे बनाया. कहावत है कि सरायकेला के पानी में एक विशेष गुण है जिसके कारण इन लड्डुओं का स्वाद बढ़ जाता है, वहीं कई अन्य स्थानों पर भी इस लड्डू को बनाने का भरसक प्रयास किया गया लेकिन वह स्वाद इसमें नहीं आ सका.

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हाल में बढ़े लड्डूओं के दाम

सुप्रसिद्ध सरायकेला का लड्डू हाल के दिनों में महंगा हो गया है, पहले जहां साधारण लड्डू 180 रूपये प्रति किलोग्राम था वह अब बढ़कर 200 रूपये प्रति किलोग्राम हो गया है. वहीं स्पेशल लड्डू जो 200 रूपये प्रति किलोग्राम था वह बढ़कर अब 250 रूपये तक हो गया है. बताया जाता है बीते वर्ष केरल में बाढ़ आने के बाद मसाले और इलायची के दामों में अचानक भारी इजाफा हुआ है. बड़ी महंगाई के कारण लड्डू की सामग्री में इस्तेमाल होने वाले इलायची, चीनी समेत बेसन और तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने के कारण लड्डू के व्यापारियों ने मजबूरन दाम बढ़ाए हैं.

स्थानीय रोजगार को दे रहा बढ़ावा

सरायकेला का लड्डू अब प्रसिद्ध होने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भरपूर रोजगार भी मुहैया करा रहा है. सरायकेला नगर क्षेत्र की तकरीबन 40 फीसदी आबादी लड्डू के रोजगार से जुड़ी हुई है, प्रति महीने सामान्य स्थिति में सरायकेला के लड्डू की बिक्री 15 से 20 टन और विशेष आयोजनों में इसकी बिक्री 40 से 50 टन तक बढ़ जाती है. इसे लेकर क्षेत्र के सैकड़ों लोगों को इससे रोजगार मिलता है, जबकि वर्तमान में सरायकेला में 40 से भी अधिक लड्डू की दुकानें संचालित है लेकिन इनमें से एक-दो ही पुरानी और प्रसिद्ध है. एक और जहां सभी मिठाइयों की ब्रांडिंग हो रही है, वहीं सरायकेला का प्रसिद्ध लड्डू आज भी बिना ब्रांडिंग के विख्यात है, बिना ब्रांडिंग के लोगों के बीच में प्रसिद्ध यह लड्डू ऐतिहासिक है और वर्तमान समय में भी इसके मुरीद कम नहीं हो रहे हैं.

Last Updated : Mar 2, 2020, 10:28 AM IST
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