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खोखले दावों की खुली पोल, 4 सालों से अधर में अटका है IT पार्क का काम - सरायकेला में 4 सालों से IT पार्क का कार्य लंबित

सरायकेला के आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र स्थित श्री डूंगरी से सटे जियाडा क्षेत्र में बनने वाला आईटी पार्क महज डेढ़ साल के भीतर तैयार हो जाना था, लेकिन 4 साल बीतने पर भी आईटी पार्क प्रोजेक्ट अब भी लंबित है. जिसके कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

4 सालों से अधर में अटका है IT पार्क का कार्य
4 सालों से अधर में अटका है IT पार्क का कार्य
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Published : Oct 20, 2020, 7:11 PM IST

सरायकेला: झारखंड राज्य को इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी बनाने और राज्य को आईटी हब के रूप में डेवलप करने के उद्देश्य से तकरीबन 4 साल पूर्व की सरकार ने झारखंड के तीन अलग-अलग जिलों में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क निर्माण की योजना बनाई थी. 18 जून वर्ष 2016 में सरायकेला जिले के आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र स्थित श्री डूंगरी से सटे जियाडा क्षेत्र में सरायकेला, देवघर और बोकारो जिला में बनने वाले 3 इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी पार्क की का शिलान्यास किया गया. तीन आईटी पार्क में धनबाद के सिंदरी में आईटी पार्क बनकर तैयार किया गया, वहीं बोकारो जिले में बनने वाले आईटी पार्क के लिए एमओयू किया गया था, जबकि सरायकेला के औद्योगिक क्षेत्र में बनने वाला यह आईटी पार्क महज डेढ़ साल के भीतर तैयार हो जाना था, लेकिन 4 साल बीतने पर भी आईटी पार्क प्रोजेक्ट अब भी लंबित है.

देखें स्पेशल स्टोरी

70 प्रतिशत कार्य पूरा

वर्ष 2016 में तत्कालीन केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद और तत्कालीन झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास की ओर से भव्य समारोह आयोजित कर इस आईटी पार्क की आधारशिला रखी गई थी, 20 करोड़ की लागत से बनने वाला यह आईटी पार्क 3 एकड़ जमीन पर प्रस्तावित है, वहीं 65,000 स्क्वायर फीट पर तीन मंजिला भवन का निर्माण तो करा दिया गया है. लेकिन अब भी आईटी पार्क शुरू होने में भवन निर्माण के क्षेत्र में कई कार्य होने बाकी हैं. हालांकि, काम कर रही एजेंसी का दावा है कि 70% कार्य पूरा हो चुका है और जल्द ही आईटी पार्क निर्माण कार्य और प्रोजेक्ट से जुड़े सभी कार्य 1 साल के अंदर पूर्ण कर लिए जाएंगे. लेकिन फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा.

ये भी पढ़ें- चोरों ने इंजीनियर के घर में दिखाई कलाकारी, लाखों के जेवरात ले उड़े


दिसंबर 2017 तक पूर्ण होना था प्रोजेक्ट

आधारशिला रखे जाने के बाद डेढ़ साल के अंदर यानी दिसंबर 2017 तक आईटी पार्क भवन निर्माण पूरा किया जाना था. आज 4 साल से भी अधिक समय बीतने को है, लेकिन केवल आईटी पार्क ढांचे को ही खड़ा किया जा सका है, राज्य को आईटी हब बनाने के उद्देश्य से सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी. इसके तहत राज्य भर में हजारों और इस आईटी पार्क से तकरीबन 20, 200 लोगों के लिए रोजगार का सृजन किया जाना था. लेकिन योजना 4 वर्षों में ठंडे बस्ते में चली गई है. बिल्डिंग कार्य कर रहे निजी एजेंसी की ओर से कार्य में ढिलाई बरतने के कारण योजना में पटरी हो गई है.

भवन निर्माण निगम की देखरेख में काम

सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क निर्माण की आधारशिला रखे जाने के साथ निर्माण कार्य निजी एजेंसी की ओर से वर्ष 2016 में शुरू किया गया था. इस बीच राज्य में भवन निर्माण निगम का गठन किया गया. जिसके बाद सभी बड़े प्रोजेक्ट और भवन निर्माण से जुड़े कार्य भवन निर्माण निगम को सुपुर्द किए गए. लिहाजा इस आईटी पार्क का कार्य 2018 में भवन निर्माण विभाग को प्राप्त हुआ और अब तक भवन निर्माण विभाग के देखरेख में कार्य किया जा रहा है, फिलहाल भवन निर्माण निगम के पूर्वी सिंहभूम जिला की ओर से सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क निर्माण कार्य का देखरेख किया जा रहा है.

क्या कहते हैं कार्यपालक अभियंता

भवन निर्माण निगम के कार्यपालक अभियंता उज्जवल नाग ने बताया कि बिल्डिंग निर्माण प्रोजेक्ट की लागत समय बीतने के बाद भी नहीं बढ़ाई गई है और कार्य कर रहे निजी एजेंसी की लापरवाही बरतने के कारण प्रोजेक्ट अधूरा है. उन्होंने बताया है कि विभाग कार्य कर रहे एजेंसी से जुर्माना भी वसूलेंगी. वहीं वर्ष 2014 में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क का डीपीआर तैयार किया गया, जिसके बाद योजना धरातल पर लाने के साथ वर्ष 2016 में एग्रीमेंट के अनुसार कार्य आबंटन भी किया गया. भवन निर्माण निगम का दावा है कि फंड की किल्लत नहीं है. इसके बावजूद निजी एजेंसी ने कार्य धीमा किया है.

सॉफ्टवेयर पार्क तैयार होने का इंतजार

औद्योगिक क्षेत्र में प्रस्तावित सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क में निवेश को कई नामी-गिरामी सॉफ्टवेयर कंपनियां तैयार हैं. सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया के अपर निदेशक सिद्धार्थ कुमार ने बताया है कि कोल्हान समेत झारखंड के लिए यह सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने बताया कि कोल्हान में कई नामी-गिरामी और विदेशी आईटी कंपनियां निवेश को तैयार हैं. पहले ही जमशेदपुर शहर में टीसीएस, विप्रो ,आईबीएम जैसे बड़े आईटी कंपनियां ऑपरेशन चला रही है, लिहाजा यदि यह सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क समय पर पूरा होता है, तो यहां कई बड़ी आईटी कंपनियां स्थापित होंगी और आईटी क्षेत्र में युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार भी मिलेगा.

एसटीपीआई निर्माण से पूर्व ही अतिक्रमण की जद

सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क अभी पूरी तरह बनकर तैयार भी नहीं हो सका है. इसके चारदीवारी से सटे मुख्य रास्ते पर अतिक्रमण भी किया जा चुका है. पार्क से सटे घनी आबादी वाला बस्ती होने के कारण कुछ लोगों की ओर से मुख्य रास्ते के पास ही भूमि पर जबरन अतिक्रमण कर जमीन की घेराबंदी की गई है. इधर जिला प्रशासन के संज्ञान में मामला आया है जिस पर जियाडा से राय मशवरा कर लेकर आगे कार्रवाई भी की जाएगी.

पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन ठग गिरोह के पांच सदस्य गिरफ्तार, पाकिस्तान से जुड़े तार



जियाडा आईटी पार्क क्षेत्र स्थापित होंगी 13 कंपनियां

सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ़ इंडिया से सटे इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर के पास झारखंड औद्योगिक क्षेत्रीय विकास प्राधिकार, जियाडा की ओर से एक अलग आईटी पार्क निर्माण की योजना बनाई गई है. इसके तहत जियाडा ने 13 अलग-अलग कंपनियों को आईटी कंपनी स्थापित के उद्देश्य से जमीन भी आबंटित कर दिया है. हालांकि, अब तक इनमें से केवल एक आईटी साइंट कंपनी ने हीं निर्माण कार्य में दिलचस्पी दिखाई है, आईटी साइंट कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर सुमंत सिंह ने बताया कि जियाडा आईटी पार्क में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में आईटी कंपनियां जमीन आबंटित होने के बाद भी बिल्डिंग निर्माण कार्य शुरू नहीं कर पा रही हैं. ऐसे में आईटी कंपनियों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि सैकड़ों लोगों को रोजगार देने वाला कंपनी आज किराए में चल रही है, यदि जियाडा क्षेत्र को विकसित करे तो सभी कंपनियां जल्द से जल्द निवेश के साथ कार्य शुरू करेंगे और स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकेगा.

ऑटोमोबाइल उद्योगों पर निर्भरता कम

एशिया महादेश में स्मॉल इंडस्ट्रियल एरिया के रूप में विख्यात आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र आज ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए जाना जाता है, 13सौ से भी अधिक कंपनियां आज ऑटोमोबाइल सेक्टर और टाटा मोटर्स पर निर्भर हैं, स्थानीय उद्यमी भी मानते हैं कि यदि औद्योगिक क्षेत्र को आईटी हब के रूप में विकसित किया जाए, तो ऑटोमोबाइल सेक्टर पर आधारित उद्योगों की निर्भरता कम होगी और आईटी निवेश के साथ औद्योगिक क्षेत्र का विकास संभव हो पाएगा.

युवा आईटी एक्सपोर्ट के पास सीमित विकल्प

औद्योगिक क्षेत्र समेत कोल्हान के अन्य जिलों में छोटे-छोटे आईटी कंपनियां अपना ऑपरेशन चला रही है, जिनमें कई युवा लोगों को रोजगार प्राप्त है. ये युवा मानते हैं कि सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क यदि समय से शुरू हो जाए तो, अधिक से अधिक कंपनियां यहां स्थापित होंगी और क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों के पास रोजगार के अवसर के साथ-साथ बेहतरीन विकल्प भी उपलब्ध होंगे, वहीं आईटी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद स्थानीय युवाओं को यहां रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाता, ऐसे में यहां के युवा वर्ग को महानगरों का मुंह देखना पड़ता है और रोजगार की तलाश में युवा वर्ग का पलायन भी होता है.

इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से आईटी पार्क निर्माण और स्थापना की योजना बनाई गई, लेकिन वर्तमान में ऐसा होता नहीं दिख रहा, जरूरत है सरकार को इस और आवश्यक कदम बढ़ाने की ताकि आईटी पार्क स्थापित हो कर यहां ना सिर्फ रोजगार के नए अवसर लोगों को मिले, बल्कि लोगों का रहन सहन और लाइफस्टाइल भी बदल सके.

सरायकेला: झारखंड राज्य को इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी बनाने और राज्य को आईटी हब के रूप में डेवलप करने के उद्देश्य से तकरीबन 4 साल पूर्व की सरकार ने झारखंड के तीन अलग-अलग जिलों में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क निर्माण की योजना बनाई थी. 18 जून वर्ष 2016 में सरायकेला जिले के आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र स्थित श्री डूंगरी से सटे जियाडा क्षेत्र में सरायकेला, देवघर और बोकारो जिला में बनने वाले 3 इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी पार्क की का शिलान्यास किया गया. तीन आईटी पार्क में धनबाद के सिंदरी में आईटी पार्क बनकर तैयार किया गया, वहीं बोकारो जिले में बनने वाले आईटी पार्क के लिए एमओयू किया गया था, जबकि सरायकेला के औद्योगिक क्षेत्र में बनने वाला यह आईटी पार्क महज डेढ़ साल के भीतर तैयार हो जाना था, लेकिन 4 साल बीतने पर भी आईटी पार्क प्रोजेक्ट अब भी लंबित है.

देखें स्पेशल स्टोरी

70 प्रतिशत कार्य पूरा

वर्ष 2016 में तत्कालीन केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद और तत्कालीन झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास की ओर से भव्य समारोह आयोजित कर इस आईटी पार्क की आधारशिला रखी गई थी, 20 करोड़ की लागत से बनने वाला यह आईटी पार्क 3 एकड़ जमीन पर प्रस्तावित है, वहीं 65,000 स्क्वायर फीट पर तीन मंजिला भवन का निर्माण तो करा दिया गया है. लेकिन अब भी आईटी पार्क शुरू होने में भवन निर्माण के क्षेत्र में कई कार्य होने बाकी हैं. हालांकि, काम कर रही एजेंसी का दावा है कि 70% कार्य पूरा हो चुका है और जल्द ही आईटी पार्क निर्माण कार्य और प्रोजेक्ट से जुड़े सभी कार्य 1 साल के अंदर पूर्ण कर लिए जाएंगे. लेकिन फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा.

ये भी पढ़ें- चोरों ने इंजीनियर के घर में दिखाई कलाकारी, लाखों के जेवरात ले उड़े


दिसंबर 2017 तक पूर्ण होना था प्रोजेक्ट

आधारशिला रखे जाने के बाद डेढ़ साल के अंदर यानी दिसंबर 2017 तक आईटी पार्क भवन निर्माण पूरा किया जाना था. आज 4 साल से भी अधिक समय बीतने को है, लेकिन केवल आईटी पार्क ढांचे को ही खड़ा किया जा सका है, राज्य को आईटी हब बनाने के उद्देश्य से सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी. इसके तहत राज्य भर में हजारों और इस आईटी पार्क से तकरीबन 20, 200 लोगों के लिए रोजगार का सृजन किया जाना था. लेकिन योजना 4 वर्षों में ठंडे बस्ते में चली गई है. बिल्डिंग कार्य कर रहे निजी एजेंसी की ओर से कार्य में ढिलाई बरतने के कारण योजना में पटरी हो गई है.

भवन निर्माण निगम की देखरेख में काम

सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क निर्माण की आधारशिला रखे जाने के साथ निर्माण कार्य निजी एजेंसी की ओर से वर्ष 2016 में शुरू किया गया था. इस बीच राज्य में भवन निर्माण निगम का गठन किया गया. जिसके बाद सभी बड़े प्रोजेक्ट और भवन निर्माण से जुड़े कार्य भवन निर्माण निगम को सुपुर्द किए गए. लिहाजा इस आईटी पार्क का कार्य 2018 में भवन निर्माण विभाग को प्राप्त हुआ और अब तक भवन निर्माण विभाग के देखरेख में कार्य किया जा रहा है, फिलहाल भवन निर्माण निगम के पूर्वी सिंहभूम जिला की ओर से सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क निर्माण कार्य का देखरेख किया जा रहा है.

क्या कहते हैं कार्यपालक अभियंता

भवन निर्माण निगम के कार्यपालक अभियंता उज्जवल नाग ने बताया कि बिल्डिंग निर्माण प्रोजेक्ट की लागत समय बीतने के बाद भी नहीं बढ़ाई गई है और कार्य कर रहे निजी एजेंसी की लापरवाही बरतने के कारण प्रोजेक्ट अधूरा है. उन्होंने बताया है कि विभाग कार्य कर रहे एजेंसी से जुर्माना भी वसूलेंगी. वहीं वर्ष 2014 में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क का डीपीआर तैयार किया गया, जिसके बाद योजना धरातल पर लाने के साथ वर्ष 2016 में एग्रीमेंट के अनुसार कार्य आबंटन भी किया गया. भवन निर्माण निगम का दावा है कि फंड की किल्लत नहीं है. इसके बावजूद निजी एजेंसी ने कार्य धीमा किया है.

सॉफ्टवेयर पार्क तैयार होने का इंतजार

औद्योगिक क्षेत्र में प्रस्तावित सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क में निवेश को कई नामी-गिरामी सॉफ्टवेयर कंपनियां तैयार हैं. सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया के अपर निदेशक सिद्धार्थ कुमार ने बताया है कि कोल्हान समेत झारखंड के लिए यह सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने बताया कि कोल्हान में कई नामी-गिरामी और विदेशी आईटी कंपनियां निवेश को तैयार हैं. पहले ही जमशेदपुर शहर में टीसीएस, विप्रो ,आईबीएम जैसे बड़े आईटी कंपनियां ऑपरेशन चला रही है, लिहाजा यदि यह सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क समय पर पूरा होता है, तो यहां कई बड़ी आईटी कंपनियां स्थापित होंगी और आईटी क्षेत्र में युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार भी मिलेगा.

एसटीपीआई निर्माण से पूर्व ही अतिक्रमण की जद

सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क अभी पूरी तरह बनकर तैयार भी नहीं हो सका है. इसके चारदीवारी से सटे मुख्य रास्ते पर अतिक्रमण भी किया जा चुका है. पार्क से सटे घनी आबादी वाला बस्ती होने के कारण कुछ लोगों की ओर से मुख्य रास्ते के पास ही भूमि पर जबरन अतिक्रमण कर जमीन की घेराबंदी की गई है. इधर जिला प्रशासन के संज्ञान में मामला आया है जिस पर जियाडा से राय मशवरा कर लेकर आगे कार्रवाई भी की जाएगी.

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जियाडा आईटी पार्क क्षेत्र स्थापित होंगी 13 कंपनियां

सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ़ इंडिया से सटे इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर के पास झारखंड औद्योगिक क्षेत्रीय विकास प्राधिकार, जियाडा की ओर से एक अलग आईटी पार्क निर्माण की योजना बनाई गई है. इसके तहत जियाडा ने 13 अलग-अलग कंपनियों को आईटी कंपनी स्थापित के उद्देश्य से जमीन भी आबंटित कर दिया है. हालांकि, अब तक इनमें से केवल एक आईटी साइंट कंपनी ने हीं निर्माण कार्य में दिलचस्पी दिखाई है, आईटी साइंट कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर सुमंत सिंह ने बताया कि जियाडा आईटी पार्क में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में आईटी कंपनियां जमीन आबंटित होने के बाद भी बिल्डिंग निर्माण कार्य शुरू नहीं कर पा रही हैं. ऐसे में आईटी कंपनियों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि सैकड़ों लोगों को रोजगार देने वाला कंपनी आज किराए में चल रही है, यदि जियाडा क्षेत्र को विकसित करे तो सभी कंपनियां जल्द से जल्द निवेश के साथ कार्य शुरू करेंगे और स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकेगा.

ऑटोमोबाइल उद्योगों पर निर्भरता कम

एशिया महादेश में स्मॉल इंडस्ट्रियल एरिया के रूप में विख्यात आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र आज ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए जाना जाता है, 13सौ से भी अधिक कंपनियां आज ऑटोमोबाइल सेक्टर और टाटा मोटर्स पर निर्भर हैं, स्थानीय उद्यमी भी मानते हैं कि यदि औद्योगिक क्षेत्र को आईटी हब के रूप में विकसित किया जाए, तो ऑटोमोबाइल सेक्टर पर आधारित उद्योगों की निर्भरता कम होगी और आईटी निवेश के साथ औद्योगिक क्षेत्र का विकास संभव हो पाएगा.

युवा आईटी एक्सपोर्ट के पास सीमित विकल्प

औद्योगिक क्षेत्र समेत कोल्हान के अन्य जिलों में छोटे-छोटे आईटी कंपनियां अपना ऑपरेशन चला रही है, जिनमें कई युवा लोगों को रोजगार प्राप्त है. ये युवा मानते हैं कि सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क यदि समय से शुरू हो जाए तो, अधिक से अधिक कंपनियां यहां स्थापित होंगी और क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों के पास रोजगार के अवसर के साथ-साथ बेहतरीन विकल्प भी उपलब्ध होंगे, वहीं आईटी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद स्थानीय युवाओं को यहां रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाता, ऐसे में यहां के युवा वर्ग को महानगरों का मुंह देखना पड़ता है और रोजगार की तलाश में युवा वर्ग का पलायन भी होता है.

इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से आईटी पार्क निर्माण और स्थापना की योजना बनाई गई, लेकिन वर्तमान में ऐसा होता नहीं दिख रहा, जरूरत है सरकार को इस और आवश्यक कदम बढ़ाने की ताकि आईटी पार्क स्थापित हो कर यहां ना सिर्फ रोजगार के नए अवसर लोगों को मिले, बल्कि लोगों का रहन सहन और लाइफस्टाइल भी बदल सके.

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