सरायकेला: पिछले कई सालों से मछली उत्पादन के मामले में जिले ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है. जिसका नतीजा यह है कि पिछले 3 सालों से जिला पूरे राज्य में पहले पायदान पर है. जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2019-20 में 18,500 टन मत्स्य उत्पादन का लक्ष्य था, जिसे जिला मत्स्य विभाग ने आसानी से प्राप्त कर लिया है.
सरकारी तालाब और निजी तालाबों के बल पर पूरा हुआ लक्ष्य
सरायकेला में 5 बड़े जलाशय हैं, जिनमें 511 सरकारी तालाब और 4,700 निजी तालाबों के बल पर जिले में बड़े पैमाने पर मछली का उत्पादन हो रहा है. उत्पादन को बढ़ाने के लिए जिला मत्स्य विभाग नए-नए तकनीकों का भी सहारा लेता है. जिले में कई स्थानों पर आंध्र प्रदेश के तकनीक को अपनाया जाता है और जिले में उत्पादित मछलियों को बेचने के लिए बाहरी राज्यों में भी भेजा जाता है. साथ ही साथ राज्य सरकार के कल्याणकारी योजनाओं से भी मत्स्य पालन और उत्पादन को लगातार गति प्रदान हो रही है. जिसके कारण मत्स्य उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने में विभाग को आसानी होती है.
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पिछले 6 सालों से लगातार सरायकेला जिला ने मछली उत्पादन की स्थिति में बेहतर प्रदर्शन किया है, एक नजर आंकड़ों पर
6 सालों में जिले में मछली उत्पादन की स्थिति
वर्ष | मछली उत्पादन |
2014-15 | 8200 टन |
2015-16 | 9300 टन |
2016-17 | 11,995 टन |
2017-18 | 15,250 टन |
2018-19 | 18, 500 टन |
2019-20 | 18,700 टन |
जीरा उत्पादन में भी अव्वल है जिला
सरायकेला जिला न केवल मत्स्य उत्पादन में आगे बढ़ रहा है. बल्कि जीरा उत्पादन में भी अव्वल स्थान पर रहा है. जिले में लगभग आठ हजार हैचरी बनाई गई है. जहां बड़े पैमाने पर जीरे से मत्स्य उत्पादन कराया जा रहा है, मत्स्य विभाग से प्रदान किए गए आंकड़े के मुताबिक जिले में कुल 32 करोड़ मछली के जीरे का उत्पादन होता है.