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कोरोना संक्रमित होने पर नहीं छिपा सकते पहचान, डॉ आनंद ने इजाद किया नया तरीका

कई लोग संक्रमित होने की स्थिति में स्टांप को छिपाकर खुले में घूमते हैं. ऐसे लोगों पर नकेल कसने के लिए सरायकेला जिले के डॉक्टर ओपी आनंद ने एक नया तरीका इजाद किया है.

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जांच करते डॉक्टर
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Published : Mar 31, 2020, 11:09 AM IST

सरायकेला: आज पूरा विश्व कोरोना वायरस संक्रमण की मार झेल रहा है. भारत में भी संक्रमण रोकने के लिए कई नए-नए उपाय किए जा रहे हैं. संक्रमण न फैले इसे लेकर पूरे देश समेत झारखंड में भी कोरोना संक्रमित लोगों की पहचान कर उनके हाथों पर स्टांप लगाकर होम क्वॉरेंटाइन का आदेश दिया जा रहा है. लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं, जो संक्रमित होने की स्थिति में स्टांप को छिपाकर खुले में घूमते हैं. ऐसे लोगों पर नकेल कसने के लिए सरायकेला जिले के डॉक्टर ओपी आनंद ने एक नया तरीका इजाद किया है.

देखें पूरी खबर
डॉक्टर ओपी आनंद ने खोजा तरीका
सरायकेला जिले के आदित्यपुर में ट्रिपल वन सेव लाइफ अस्पताल के चेयरमैन डॉक्टर ओपी आनंद लगातार कोरोना वायरस संक्रमण रोकने को लेकर नए-नए तरीके की खोज कर रहे हैं. इसी कड़ी में इन्होंने देश समेत राज्य में थर्मल स्कैनिंग के दौरान कोरोना के लक्षण या संक्रमित होने पर मरीजों के पहचान किए जाने के क्षेत्र में एक नया तरीका खोज निकाला है.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन का सबसे बड़ा खामियाजा ट्रक चालकों ने उठाया, अब फूड चेन दुरुस्त करने पर जोर

कुछ लोग छिपा रहे पहचान

अब तक पूरे देश में थर्मल स्कैनिंग के दौरान कोरोना के लक्षण पाए जाने पर जांच के दौरान व्यक्ति के हाथों पर 14 दिनों तक होम क्वॉरेंटाइन होने का निशान स्टांप के जरिए लगाया जा रहा है, लेकिन कई एक ऐसे भी मामले आए हैं जहां लोग इस हाथ पर लगे स्टांप को छिपाकर आसानी से चल फिर रहे हैं. इसे रोकने के लिए डॉक्टर ओपी आनंद ने यह नया तरीका खोजा है.

ये भी पढ़ें- तबलीगी जमात के 1000 विदेशी आए हैं भारत, कोरोना के खौफ से मस्जिद में ले रहे शरण


हाथों पर स्टांप के बजाय सर्जिकल स्टेपलर का हो प्रयोग
कोरोना संक्रमित के क्वॉरेंटाइन अवधि को पूरा करने के लिए स्टांप के बजाय, सर्जरी के बाद प्रयोग में आने वाले सर्जिकल स्टेपलर के जरिए संक्रमित व्यक्ति के हाथों पर क्वॉरेंटाइन पहचान के लिए नोट को स्टेपलर कर दिया जाए. बाद में 14 दिनों तक उस व्यक्ति के हाथों पर लगे नोट के जरिए ही मॉनिटरिंग हो. वहीं क्वॉरेंटाइन अवधि पूरा होने के बाद डॉक्टर ही सर्जिकल स्टेपलर से लगाए गए मार्क या पहचान को हटा सकते हैं. इस दौरान संक्रमित व्यक्ति चाह कर भी सर्जिकल स्टेपलर से लगाए गए मार्क को हटा नहीं सकता. यदि वह इसे हटाना चाहे तो उसे किसी सर्जन या डॉक्टर की ही आवश्यकता पड़ेगी. ऐसे में इस नए तरीके से संक्रमित की पहचान और समय-समय पर उसकी मॉनिटरिंग करना भी आसान होगा.

सरायकेला: आज पूरा विश्व कोरोना वायरस संक्रमण की मार झेल रहा है. भारत में भी संक्रमण रोकने के लिए कई नए-नए उपाय किए जा रहे हैं. संक्रमण न फैले इसे लेकर पूरे देश समेत झारखंड में भी कोरोना संक्रमित लोगों की पहचान कर उनके हाथों पर स्टांप लगाकर होम क्वॉरेंटाइन का आदेश दिया जा रहा है. लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं, जो संक्रमित होने की स्थिति में स्टांप को छिपाकर खुले में घूमते हैं. ऐसे लोगों पर नकेल कसने के लिए सरायकेला जिले के डॉक्टर ओपी आनंद ने एक नया तरीका इजाद किया है.

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डॉक्टर ओपी आनंद ने खोजा तरीका
सरायकेला जिले के आदित्यपुर में ट्रिपल वन सेव लाइफ अस्पताल के चेयरमैन डॉक्टर ओपी आनंद लगातार कोरोना वायरस संक्रमण रोकने को लेकर नए-नए तरीके की खोज कर रहे हैं. इसी कड़ी में इन्होंने देश समेत राज्य में थर्मल स्कैनिंग के दौरान कोरोना के लक्षण या संक्रमित होने पर मरीजों के पहचान किए जाने के क्षेत्र में एक नया तरीका खोज निकाला है.

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कुछ लोग छिपा रहे पहचान

अब तक पूरे देश में थर्मल स्कैनिंग के दौरान कोरोना के लक्षण पाए जाने पर जांच के दौरान व्यक्ति के हाथों पर 14 दिनों तक होम क्वॉरेंटाइन होने का निशान स्टांप के जरिए लगाया जा रहा है, लेकिन कई एक ऐसे भी मामले आए हैं जहां लोग इस हाथ पर लगे स्टांप को छिपाकर आसानी से चल फिर रहे हैं. इसे रोकने के लिए डॉक्टर ओपी आनंद ने यह नया तरीका खोजा है.

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हाथों पर स्टांप के बजाय सर्जिकल स्टेपलर का हो प्रयोग
कोरोना संक्रमित के क्वॉरेंटाइन अवधि को पूरा करने के लिए स्टांप के बजाय, सर्जरी के बाद प्रयोग में आने वाले सर्जिकल स्टेपलर के जरिए संक्रमित व्यक्ति के हाथों पर क्वॉरेंटाइन पहचान के लिए नोट को स्टेपलर कर दिया जाए. बाद में 14 दिनों तक उस व्यक्ति के हाथों पर लगे नोट के जरिए ही मॉनिटरिंग हो. वहीं क्वॉरेंटाइन अवधि पूरा होने के बाद डॉक्टर ही सर्जिकल स्टेपलर से लगाए गए मार्क या पहचान को हटा सकते हैं. इस दौरान संक्रमित व्यक्ति चाह कर भी सर्जिकल स्टेपलर से लगाए गए मार्क को हटा नहीं सकता. यदि वह इसे हटाना चाहे तो उसे किसी सर्जन या डॉक्टर की ही आवश्यकता पड़ेगी. ऐसे में इस नए तरीके से संक्रमित की पहचान और समय-समय पर उसकी मॉनिटरिंग करना भी आसान होगा.

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