सरायकेला: जियाडा (पूर्व में आयडा) के विस्थापित जमीन दाताओं ने मंगलवार को मूलभूत सुविधाएं और अधिकार की मांग को लेकर विस्थापित आत्मनिर्भर समिति के बैनर तले पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत जियाडा क्षेत्रीय कार्यालय के समक्ष पहुंच कर विरोध-प्रदर्शन किया. सैकड़ों की संख्या में कमरिया के कालिकापुर ऊपर बेड़ा गांव की महिला-पुरुषों ने बैनर और हाथों में तख्तियां लेकर जियाडा कार्यालय पहुंच कर विरोध जताया.
मांगें पूरी नहीं हुई तो जियाडा के विरोध में आंदोलन की दी चेतावनीः इस दौरान विस्थापितों का नेतृत्व कर रहे पूर्व विधायक और समिति के संरक्षक सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि ग्रामीणों की मांग वर्षों पुरानी हैं, लेकिन नीतियां सरकार में नई बन रही है. उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने नई औद्योगिक नीति बनाई, इसके साथ झारखंड सरकार ने भी विस्थापन और रोजगार नीति निर्धारित किया है. नई नीति के तहत 75% स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता देनी चाहिए, लेकिन स्थानीय कौन है इसे सरकार द्वारा अब तक परिभाषित नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि वर्षों पूर्व जियाडा के विस्थापितों को जमीन के बदले जमीन, रोजगार, विस्थापित गांवों में बुनियादी सुविधाएं सड़क, बिजली, पानी मुहैया करानी चाहिए. जो वर्षों बीतने के बाद भी नहीं किया गया है. ऐसे में जियाडा के विरुद्ध आगे आंदोलन किया जाएगा.
25 सूत्री मांग पत्र सौंपा, मांगा अधिकार:विस्थापित आत्मनिर्भर समिति के बैनर तले विस्थापितों ने अध्यक्ष संजय मंडल के नेतृत्व में जियाडा प्रबंध निदेशक के नाम एक 25 सूत्री मांग पत्र सौंपा है. जिसमें प्रमुख रूप से जमीन के बदले जमीन का मालिकाना हक, विस्थापित क्षेत्र में स्थापित टाटा लॉन्ग प्रोडक्ट और टाटा ग्रोथ शॉप में विस्थापितों को नियोजन के आधार पर 25% आरक्षण. पुनर्वास क्षेत्र में आधारभूत विकास संरचना सड़क, पेयजल, स्कूल,बिजली, ड्रेनेज, खेल मैदान, पार्क, सार्वजनिक शौचालय, अस्पताल, लाइब्रेरी, जाहेरथान आदि स्थापित करने की मांग की गई है.प्रमुख रूप से ट्रेड अप्रेंटिस ट्रेनिंग में विस्थापित छात्रों को प्राथमिकता के आधार पर नियोजित करने समेत कई प्रमुख मांगों को लेकर एक पत्र सौंपा गया. इस मौके पर समिति के सचिव मनीष कुमार महाली, पूर्व मुखिया जवाहरलाल महाली समेत सैकड़ों महिला-पुरुष मौजूद रहे.