सरायकेला: कोविड-19 संक्रमण को लेकर देशभर में लॉकडाउन की तीसरी पारी चल रही है. सरकार कोरोना के संक्रमण को कम करने के लिए लगातार नए कदम उठा रही है. इस बीच कोरोना फाइटर के रूप में डॉक्टर लगातार अपनी सेवा से जुड़े हैं, लेकिन डॉक्टरों पर कोरोना वायरस का खतरा लगातार मंडरा रहा है. डेंटिस्ट यानी दंत चिकित्सकों को भी कोविड-19 संक्रमण का खतरा सबसे अधिक बना हुआ है. क्योंकि डेंटिस्ट सीधे मरीजों के दांतों का इलाज करते हैं. जहां श्वसन की बूंदों के जरिए और मुंह के लार से संक्रमण का खतरा इन्हें सबसे ज्यादा होता है.
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डेंटिस्ट अपने इलाज का तरीका भी बदल रहे
हालांकि, लगातार बढ़ रहे संक्रमण के मामलों को लेकर अब डेंटिस्ट काफी सतर्कता और सावधानी बरत रहे हैं. आलम यह है कि अब डेंटिस्ट अपने इलाज का तरीका भी बदल रहे हैं. संक्रमण को लेकर ये सामान्य रोगों का इलाज पूरी तरह से बंद कर चुके हैं. जबकि दांतों में सड़न, तकलीफ और असहनशील दर्द होने पर ही यह मरीजों को देखते हैं. सीधे इलाज न कर 14 दिन की दवा के साथ मरीजों का करते हैं मॉनिटरिंग. संक्रमण के खतरे को कम करने के उद्देश्य से डेंटिस्ट अब किसी भी मरीज को सीधे तौर पर नहीं देखते, दांतों में तकलीफ की शिकायत लेकर आने वाले मरीज को दंत चिकित्सक पहले 7 दिनों की दवा देकर उसका ऑब्जरवेशन करते हैं. 7 दिन की मियाद पूरी होने के बाद मरीज को दोबारा 7 दिनों के लिए फिर से दवा दी जाती है. इस बीच लगातार 14 दिनों तक डेंटिस्ट दांत के मरीज के संपर्क में रहते हैं, इसके अलावा इलाज कराने आने वाले मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री को भी डेंटिस्ट अच्छे से चेक करने और तसल्ली होने के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं.
सर्जरी, रूट कैनाल ट्रीटमेंट प्रक्रिया बंद
संक्रमण के संकट के बीच डेंटिस्ट ने दांत के इलाज में सबसे महत्वपूर्ण रूट कैनाल ट्रीटमेंट सर्जरी आदि प्रक्रिया को इस बीच बंद कर रखा है. डेंटिस्ट मानते हैं कि सर्जरी और रूट कैनाल ट्रीटमेंट जैसी प्रक्रिया से डेंटिस्ट सीधे तौर पर मरीज के इलाज के दौरान सबसे अधिक संक्रमण के हिस्से के संपर्क में रहते हैं. दांतो के इलाज की सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया रूट कैनाल ट्रीटमेंट है. जिसे करने में दांत के डॉक्टरों को लगातार आधे घंटे से भी अधिक समय तक दांत के भीतरी सतह को कुरेदना पड़ता है. ऐसे में ड्रॉपलेट्स के संपर्क में डॉक्टर आ सकते हैं और संक्रमित भी हो सकते हैं. नतीजतन डॉक्टरों ने इस प्रक्रिया को फिलहाल बंद कर दिया है, जबकि इसके बजाय डेंटिस्ट दवाओं के माध्यम से ही दांतों का इलाज कर रहे हैं. हालांकि इस बीच अति आवश्यक होने पर ही रूट कैनाल ट्रीटमेंट की प्रक्रिया अपनाई जाती है, लेकिन इससे पूर्व डेंटिस्ट संक्रमण के खतरे को कम करने के उद्देश्य से सभी तैयारियों के साथ ही इलाज करते हैं.
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एरोटर मशीन किए गए बंद
अमूमन डेंटिस्ट दांत के इलाज में एरोटर मशीन का प्रयोग करते हैं और इसके बिना दांत का इलाज शायद संभव ही नहीं होता, लेकिन फिलहाल डेंटिस्ट अपने क्लीनिक में एरोटर नहीं चला रहे हैं. दरअसल, एरोटर मशीन में हवा और पानी के मिश्रण को एक साथ तेज गति के साथ मिलाकर दांतों के ऊपरी सतह को साफ करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है, जिससे एरोसॉल बनता है. इस एरोटर मशीन से मरीज के दांतो पर स्प्रे करने के दौरान ड्रॉपलेट्स के फैलने का खतरा सबसे अधिक बनता है. ऐसे में तमाम डेंटिस्ट अपने क्लीनिक में फिलहाल एरोटर मशीन का प्रयोग नहीं कर रहे हैं.
डेंटल उपकरण और मशीनों को सेनेटाइज करने में बीत रहा काफी वक्त
कोरोना के संक्रमण के रोकथाम को लेकर डेंटिस्ट को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है. वायरस संक्रमण को लेकर दिन भर में डेंटिस्ट तीन से चार मरीजों का ही इलाज कर रहे हैं. इस बीच एक मरीज के इलाज खत्म होने के बाद क्लीनिक में डेंटल उपकरण और मशीनों को सेनेटाइज करने में काफी वक्त बीत जाता है. फिलहाल दंत चिकित्सकों को इलाज में कड़ी मशक्कत भी करनी पड़ रही है.
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गाइडलाइन को फॉलो करते हुए इलाज
वहीं, इंफेक्शन के साथ-साथ डेंटिस्ट अन्य कई चुनौतियों से भी इस दौर में जूझ रहे हैं, जो निश्चित तौर पर डेंटिस्ट के लिए परेशानी भरा सबब बनता जा रहा है. इधर, कोविड-19 संक्रमण को लेकर कई डेंटिस्ट मानते हैं कि भले उन पर संक्रमण का खतरा रहे लेकिन वह अपने इस पेशे को छोड़ नहीं सकते. ऐसे में वह मरीजों की सुरक्षा के साथ अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए आगे भी मरीजों का इलाज करेंगे. डेंटिस्ट कुमार सरोस कहते हैं कि फिलहाल यह संक्रमण के खतरे को कम करते हुए मरीजों का इलाज कर रहे हैं और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और डेंटल एसोसिएशन की गाइडलाइन को फॉलो करते हुए ही आगे भी इलाज करेंगे.
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डेंटिस्ट के साथ-साथ ईएनटी और अल्ट्रासाउंड डॉक्टरों को भी है खतरा
वैसे तो कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा सभी डॉक्टरों को है. लेकिन, ड्रॉपलेट्स के माध्यम से फैलने वाला इस इन्फेक्शन का सर्वाधिक खतरा सबसे पहले दंत चिकित्सकों को है. क्योंकि वे मरीजों के इलाज में सबसे अधिक चेहरे और मुंह के सामने होते हैं. इसके अलावा आई स्पेशलिस्ट, ईएनटी डॉक्टर भी लगातार इस संक्रमण के खतरे के बीच काम करते हैं. वही, एंडोस्कोपिक और अल्ट्रासाउंड रेडियोलॉजिस्ट भी कोविड-19 संक्रमण के काफी करीब होते हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश ज्वाइंट सेक्रेटरी डॉ अशोक कुमार बताते हैं कि डॉक्टरी पेशा सेवा से जुड़ा है. ऐसे में डॉक्टर लगातार कोविड-19 संक्रमण के बीच ही काम कर रहे हैं, लेकिन डॉक्टरों को घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि उन्हें सुरक्षा और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की गाइडलाइन को अपनाने की विशेष जरूरत है, ताकि संक्रमण का खतरा कम से कम हो.