सरायकेला: विश्व प्रसिद्ध राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र की ओर से इस साल 4 अप्रैल से 11 दिवसीय राजकीय चैत्र पर्व छऊ महोत्सव का आयोजन किया जाएगा. लेकिन इस वर्ष आयोजित चैत्र महोत्सव में अंतरराष्ट्रीय कलाकारों को आमंत्रित नहीं किया गया है. जबकि विदेशी पर्यटक भी छऊ नृत्य सीखने नहीं पहुंच रहे हैं.
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अब तक नहीं उबर पाये हैं कोरोना की मार से छऊ कलाकार
सरायकेला में छऊ नृत्य कलाकार भी कोरोना संक्रमण काल से अछूते नहीं थे. 11 महीने से भी अधिक समय गुजर जाने के बाद अब धीरे-धीरे छऊ कलाकारों की जीवन पटरी पर लौट रही है. हालांकि अब भी इस संक्रमण काल के पड़ाव में कलाकार अपनी कला संस्कृति को संजोने के लिए लगातार जद्दोजहद कर रहे हैं. वही कोरोना काल के बाद भले ही जनजीवन सामान्य हो रहा है लेकिन अब भी नृत्य, कला, संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में इसका व्यापक असर है.
विदेशियों को भी बहुत लुभाता है छऊ नृत्य
कोरोना काल से पहले सरायकेला के प्रसिद्ध राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में प्रतिवर्ष कई विदेशी पर्यटक छऊ नृत्य कला की बारीकियों को जानने और सीखने पहुंचते थे. कई विदेशी पर्यटक छऊ पर रिसर्च भी किया करते थे. लेकिन महामारी के चलते फिलहाल विदेशी पर्यटक का आना पूरी तरह बंद है. इधर कलाकार लंबे समय से रंगमंच से दूर रहे, लिहाजा रंगमंच से कला की दुनिया में रंग भरने वाले कलाकारों का जीवन बेरंग सा प्रतीत हो रहा है.
"संकल्प एक नई सृजन की ओर" मुहिम की हुई शुरुआत
संक्रमण के इस काल में छऊ कलाकारों में आत्मविश्वास जगाने और कलाकारों का हौसला बढ़ाने के उद्देश्य से राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र के निदेशक सह छऊ गुरु तपन कुमार पटनायक ने "संकल्प एक नई सृजन की ओर" मुहिम की शुरुआत की है. इसके तहत विश्व भर में छऊ कला को एक नये स्वरूप में ले जाने की तैयारी की गई है, ताकि छऊ कला के संस्कृति विरासत को संजोते हुए कलाकारों का भी हौसला बढ़ाया जा सके.