साहिबगंज: जम्मू कश्मीर के मालबाग में 2 जून 2020 को आतंकवादियों से मुठभेड़ में सीआरपीएफ जवान कुलदीप उरांव शहीद हो गए थे. कुलदीप उरांव साहिबगंज के जिरवाबड़ी थाना क्षेत्र के रहने वाले थे. आज शहीद कुलदीप उरांव की पहली बरसी है. सुबह 11:00 बजे जिला प्रशासन के ओर से कुलदीप उरांव के समाधि स्थल पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी.
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शहीद कुलदीप उरांव के समाधि स्थल के बगल में उनकी मां का भी समाधि स्थल है. कुलदीप उरांव का जब श्रीनगर में पोस्टिंग हुआ था, तो उन्होंने अपने परिजनों से कहा था, कि यदि मुझे कुछ श्रीनगर में कुछ हो गया, तो मेरा समाधि मेरी मां के पास बनाना, ताकि मेरा जीवन सफल हो जाए. शहीद कुलदीप उरांव आदिवासी थे, इसीलिए शहीद होने के बाद उन्हें मिट्टी में दफनाया गया था. उस जगह पर उनके पिता ने समाधि स्थल बनवाया है. शहीद कुलदीप उरांव का समाधि स्थल जैप 9 के बगल में है.
2009 में हुई थी कुलदीप उरांव की शादी
कुलदीप उरांव की 2009 में शादी हुई थी. उनका एक बेटा और एक बेटी है. उनकी पत्नी वंदना उरांव पश्चिम बंगाल पुलिस में हैं, जो 24 परगना में पोस्टेड हैं. कुलदीप के पिता घनश्याम उरांव भी सीआरपीएफ में थे. वो 2007 में रिटायर्ड हुए हैं. वर्तमान में वो वार्ड पार्षद हैं और आदिवासी कल्याण के नाम से एक संस्थान चलते हैं.
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पिता के जन्मदिवस पर शहीद हुए थे कुलदीप उरांव
शहीद कुलदीप उरांव के पिता घनश्याम उरांव ने कहा, कि मुझे गर्व है अपने बेटे पर, जिसने देश के लिए कुर्बानी दी , मुझे ऐसा लगता है, कि मेरा बेटा मेरे पास है. मैं भी सीआरपीएफ में 12 साल श्रीनगर के मालबाग में ड्यूटी कर चुका हूं. मैं उस विषम परिस्थिति को समझ सकता हूं, इसलिए मुझे बेटे पर गर्व है, आज मेरा जन्मदिन है और आज के दिन ही मेरा बेटा शहीद हुआ है. घनश्याम उरांव ने बताया कि केंद्र सरकार से सारी मदद मिल गई है, जब शहीद का बेटा बालिग हो जाएगा, तो उसे अनुकंपा पर नौकरी मिल जाएगी. ईटीवी भारत भी शहीद कुलदीप उरांव को सलाम करता है.