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शहीद कुंदन ओझा की प्रतिमा का हुआ लोकार्पण, गलवान में हुए थे शहीद - Jharkhand news

15 जून 2020 को चीनी सेना के साथ हुए मुठभेड़ में भारतीय जवानों ने अपनी अदम्य साहस का परिचय देते हुए चीनियों को खदेड़ दिया था. हालांकि इसमें हमारे कुछ जवान भी शहीद हुए थे. उन्ही में से एक थे साहिबगंज के कुंदन कुमार ओझा. आज साहिबगंज में उनकी प्रतिमा का अनावरण किया गया और उन्हें श्रद्धांजलि दी गई.

Statue of Martyr Kundan Ojha inaugurated
Statue of Martyr Kundan Ojha inaugurated
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Published : Jun 16, 2023, 6:39 PM IST

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साहिबगंज: 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी फौजियों से मुठभेड़ में बलिदान देनेवाले डिहारी गांव के जवान कुंदन कुमार ओझा की प्रतिमा का लोकापर्ण किया गया. शहीद कुंदन ओझा ने चीनियों से लड़ते हुए देश के लिए अपनी जान दी थी. जिसके बाद राजमहल विधायक अनंत ओझा की पहल पर विधायक निधि से शहीद कुंदन ओझा की प्रतिमा बनवाकर डिहारी गांव में स्थापित किया गया है. शहीद जवान की पुण्यतिथि पर विधायक और मुखिया के साथ शहीद के पिता रवि शंकर झा के द्वारा फीता काट इस प्रतिमा का अनावरण किया. इस मौके पर कुंदन की पत्नि भी मौजूद रहीं.

ये भी पढ़ें: शहीद कुंदन ओझा के पिता-भाई से मारपीट, गंभीर हालत में अस्पताल में चल रहा इलाज

वार मेमोरियल में भी अंकित कुंदन ओझा का नाम: शहीद कुंदन ओझा का नाम दिल्ली के वार मेमोरियल में भी अंकित किया गया है. उनके बलिदान पर अभिनेता अजय देवगन ने फिल्म बनाने की घोषणा कर रखी है. मुठभेड़ के दौरान भारतीय सेना का नेतृत्व कर रहे कर्नल संतोष बाबू को गणतंत्र दिवस के मौके पर वीरता पुरस्कार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था. यह देश का दूसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है. कुंदन कुमार ओझा के बलिदान के समय उनकी बेटी मात्र 15 दिन की थी. बलिदान के बाद जब उनका शव यहां पहुंचा तो उनके अंतिम दर्शन के लिए कोरोना संक्रमण के बावजूद हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी थी.

कौन थे कुंदन ओझा: कुंदन ओझा साहिबगंज सदर प्रखंड के डिहारी गांव के रहनेवाले थे. वे तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर थे. बड़े भाई मुकेश ओझा धनबाद में एक निजी बैंक में काम करते हैं. छोटे भाई कन्हैया ओझा कन्हैया ओझा गोड्डा में प्राइवेट नौकरी करते हैं. पिता रविशंकर ओझा किसान हैं. कुंदन कुमार ओझा बिहार रेजिमेंट के जवान थे, बलिदान से 15 दिन पूर्व ही गलवान घाटी में उनकी तैनाती हुई थी. मुकेश ओझा ने बताया कि बलिदान के कुछ दिन बाद मुंबई से फिल्म अभिनेता अजय देवगन के कार्यालय से फोन आया जिसमें कुंदन ओझा पर फिल्म बनाने की बात कही गई थी. उन्होंने कहा था कि कोरोना संक्रमण समाप्त होने के बाद इस दिशा में पहल की जाएगी.

प्रतिमा के लोकार्पण कार्यक्रम में विधायक अनंत ओझा ने कहा कि गांव के साधारण किसान परिवार का नौजवान कुंदन ओझा ने मां भारती की रक्षा के लिए गलवानी घाटी में चीनी सैनिकों से मुठभेड़ में अपनी जान न्योछावर कर दी, यह जिलेवासियों और झारखंडवासियों के लिए गर्व का पल है. कुंदन ओझा की शहादत को लोग युगों युगों तक याद रखेंगे. इनके बलिदान से हर नौजवान को सीख लेने की जरूरत है.

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साहिबगंज: 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी फौजियों से मुठभेड़ में बलिदान देनेवाले डिहारी गांव के जवान कुंदन कुमार ओझा की प्रतिमा का लोकापर्ण किया गया. शहीद कुंदन ओझा ने चीनियों से लड़ते हुए देश के लिए अपनी जान दी थी. जिसके बाद राजमहल विधायक अनंत ओझा की पहल पर विधायक निधि से शहीद कुंदन ओझा की प्रतिमा बनवाकर डिहारी गांव में स्थापित किया गया है. शहीद जवान की पुण्यतिथि पर विधायक और मुखिया के साथ शहीद के पिता रवि शंकर झा के द्वारा फीता काट इस प्रतिमा का अनावरण किया. इस मौके पर कुंदन की पत्नि भी मौजूद रहीं.

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वार मेमोरियल में भी अंकित कुंदन ओझा का नाम: शहीद कुंदन ओझा का नाम दिल्ली के वार मेमोरियल में भी अंकित किया गया है. उनके बलिदान पर अभिनेता अजय देवगन ने फिल्म बनाने की घोषणा कर रखी है. मुठभेड़ के दौरान भारतीय सेना का नेतृत्व कर रहे कर्नल संतोष बाबू को गणतंत्र दिवस के मौके पर वीरता पुरस्कार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था. यह देश का दूसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है. कुंदन कुमार ओझा के बलिदान के समय उनकी बेटी मात्र 15 दिन की थी. बलिदान के बाद जब उनका शव यहां पहुंचा तो उनके अंतिम दर्शन के लिए कोरोना संक्रमण के बावजूद हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी थी.

कौन थे कुंदन ओझा: कुंदन ओझा साहिबगंज सदर प्रखंड के डिहारी गांव के रहनेवाले थे. वे तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर थे. बड़े भाई मुकेश ओझा धनबाद में एक निजी बैंक में काम करते हैं. छोटे भाई कन्हैया ओझा कन्हैया ओझा गोड्डा में प्राइवेट नौकरी करते हैं. पिता रविशंकर ओझा किसान हैं. कुंदन कुमार ओझा बिहार रेजिमेंट के जवान थे, बलिदान से 15 दिन पूर्व ही गलवान घाटी में उनकी तैनाती हुई थी. मुकेश ओझा ने बताया कि बलिदान के कुछ दिन बाद मुंबई से फिल्म अभिनेता अजय देवगन के कार्यालय से फोन आया जिसमें कुंदन ओझा पर फिल्म बनाने की बात कही गई थी. उन्होंने कहा था कि कोरोना संक्रमण समाप्त होने के बाद इस दिशा में पहल की जाएगी.

प्रतिमा के लोकार्पण कार्यक्रम में विधायक अनंत ओझा ने कहा कि गांव के साधारण किसान परिवार का नौजवान कुंदन ओझा ने मां भारती की रक्षा के लिए गलवानी घाटी में चीनी सैनिकों से मुठभेड़ में अपनी जान न्योछावर कर दी, यह जिलेवासियों और झारखंडवासियों के लिए गर्व का पल है. कुंदन ओझा की शहादत को लोग युगों युगों तक याद रखेंगे. इनके बलिदान से हर नौजवान को सीख लेने की जरूरत है.

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