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साहिबगंज: पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने में ये महिलाएं निभा रही अहम भूमिका, जिला प्रशासन का मिल रहा सहयोग - साहिबगंज में मलिहा स्वयं सहायता समूह बना रही पत्तल

साहबिगंज की महिलाएं अब सखुआ के पत्तों से पत्तल तैयार कर हजारों रुपये कमा रही हैं. वन विभाग के पहले से स्वयं सहायता समूह की महिलाएं आत्मनर्भर हो रही हैं, साथ ही वो पर्यावरण को भी दूषित होने से बचा रही हैं.

Self help group are playing an important role in making environment pollution free in sahibganj
पत्तल बनाती महिलाएं
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Published : May 30, 2020, 7:25 PM IST

साहिबगंज: लॉकडाउन के कारण रोज कमाने-खानेवाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है. देश के सभी छोटे और बड़े उद्योग-धंधे लगभग ठप हैं, जिससे लाखों लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. लोग रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं, लेकिन साहिबगंज जिले में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं, साथ ही वो पर्यावरण को भी दूषित होने से बचा रही हैं. स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सखुआ के पत्तों का पत्तल बनाकर बाजार और दीदी किचन में सप्लाई कर रही हैं, जिससे उनका काफी फायदा भी हो रहा है.

देखें पूरी खबर

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को वन विभाग भी मदद कर रहा है. इनको आसानी से पहाड़िया लोगों से पत्तल उपलब्ध करा दिया जाता है और ये महिलाएं सखुआ के पत्तों का पत्तल बनाकर तैयार कर रही हैं और वन विभाग के सहयोग से इस पत्तल को बाजार और दीदी किचन में उपलब्ध करा रही है. इन महिलाओं का कहना है कि इस पत्तल उपयोग करने के बाद मिट्टी में आसानी से नष्ट हो सकता है या जानवर खा जाता है. उन्होंने बताया कि इससे हमारी कमाई भी हो जाती है.

इसे भी पढे़ं:- साहिबगंज: खनन विभाग ने दी 136 क्रशर पटाधारियों को संचालन की अनुमति, दिए आवश्यक निर्देश

डीएफओ ने कहा कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का सहयोग जिला प्रशासन ले रहा है, पहाड़िया लोगों से सखुआ का पत्ता खरीदा जाता है और इन महिलाओं से पत्तल तैयार करवाया जाता है, इसे दो तरह का फायदा होता है. इन महिलाओं के जरिये बनाए गए पत्तल का उपयोग जिला प्रशासन के सहयोग से बाजार में और दीदी किचन में उपलब्ध कराया जाता है, इससे फोम के पत्ते का उपयोग में कमी आएगी, जिससे पर्यवारण का भी रक्षा हो रहा है.


स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इस लॉकडाउन के दौरान आत्मनिर्भर हो रही हैं, साथ ही ये लोग पर्यावरण को भी दूषित होने से बचा रही हैं. वन विभाग के इस कदम से महिलाएं काफी उत्साहित भी हैं, जिन्हें पत्तल बनाने से काफी फायदा हो रहा है.

साहिबगंज: लॉकडाउन के कारण रोज कमाने-खानेवाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है. देश के सभी छोटे और बड़े उद्योग-धंधे लगभग ठप हैं, जिससे लाखों लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. लोग रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं, लेकिन साहिबगंज जिले में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं, साथ ही वो पर्यावरण को भी दूषित होने से बचा रही हैं. स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सखुआ के पत्तों का पत्तल बनाकर बाजार और दीदी किचन में सप्लाई कर रही हैं, जिससे उनका काफी फायदा भी हो रहा है.

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स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को वन विभाग भी मदद कर रहा है. इनको आसानी से पहाड़िया लोगों से पत्तल उपलब्ध करा दिया जाता है और ये महिलाएं सखुआ के पत्तों का पत्तल बनाकर तैयार कर रही हैं और वन विभाग के सहयोग से इस पत्तल को बाजार और दीदी किचन में उपलब्ध करा रही है. इन महिलाओं का कहना है कि इस पत्तल उपयोग करने के बाद मिट्टी में आसानी से नष्ट हो सकता है या जानवर खा जाता है. उन्होंने बताया कि इससे हमारी कमाई भी हो जाती है.

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डीएफओ ने कहा कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का सहयोग जिला प्रशासन ले रहा है, पहाड़िया लोगों से सखुआ का पत्ता खरीदा जाता है और इन महिलाओं से पत्तल तैयार करवाया जाता है, इसे दो तरह का फायदा होता है. इन महिलाओं के जरिये बनाए गए पत्तल का उपयोग जिला प्रशासन के सहयोग से बाजार में और दीदी किचन में उपलब्ध कराया जाता है, इससे फोम के पत्ते का उपयोग में कमी आएगी, जिससे पर्यवारण का भी रक्षा हो रहा है.


स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इस लॉकडाउन के दौरान आत्मनिर्भर हो रही हैं, साथ ही ये लोग पर्यावरण को भी दूषित होने से बचा रही हैं. वन विभाग के इस कदम से महिलाएं काफी उत्साहित भी हैं, जिन्हें पत्तल बनाने से काफी फायदा हो रहा है.

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