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साहिबगंज: कोरोना महामारी के चलते आदिवासी इलाकों में पसरा सन्नाटा, प्रशासन कर रहा है हरसंभव मदद

कोरोना महामारी ने समाज के सभी वर्गों को प्रभावित किया है. सबसे ज्यादा दैनिक मजदूर व गरीबों को हो रहा है.बोरियो प्रखंड के करम पहाड़ पर बसने वाले आदिवासी समुदाय के गांवों की भी कमोवेश यही स्थिति बनी हुई है. आदिवासी समुदाय जिला प्रशासन के निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन कर रहे हैं.

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Published : May 8, 2020, 1:22 PM IST

Updated : May 8, 2020, 3:36 PM IST

आदिवासी इलाकों में पसरा सन्नाटा
आदिवासी इलाकों में पसरा सन्नाटा

साहिबगंज: कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन से सभी वर्ग प्रभावित हो रहे हैं. कोई वर्ग इससे अछूता नहीं है. इसका असर पहाड़ों में बसने वाले आदिवासी गांव में देखा जा सकता है. हालांकि जिला प्रशासन सहयोग कर रहा है. साथ ही वन समिति के माध्यम किया जागरुक भी किया जा रहा है.

आदिवासी इलाकों में पसरा सन्नाटा.

लॉकडाउन का असर पहाड़ों और वनों में रहने वाले आदिवासी समाज पर भी पड़ा है. ये लोग भी परिवार के साथ घर में सुरक्षित दुबके हुए रहते हैं. जिला प्रशासन द्वारा बताए गए निर्देश का हरसंभव पालन कर रहे हैं. वन समिति द्वारा जरूरत का हर एक सामान इन तक पहुंचाया जा रहा है.

हम बात कर रहे हैं बोरियो प्रखंड के करम पहाड़ पर बसने वाले आदिवासी समुदाय के गांव की. कभी इस गांव में चहल पहल हुआ करती थी, लेकिन आज बिल्कुल शांति है.

यह आदिवासी घर से बाहर नहीं निकल रहा रहे हैं. जिला प्रशासन के निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन कर रहे हैं. इन आदिवासियों का कहना है कि जिला प्रशासन द्वारा दाल ,चावल ,नमक, मास्क, साबुन अन्य चीज दी गईं हैं. इन आदिवासियों का कहना है कि कोरोना के बारे में विशेष जानकारी तो नहीं है लेकिन जिला प्रशासन द्वारा बताए हुए निर्देश का पूर्ण रूप से पालन कर रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः लॉकडाउन में मददगार बनी सरायकेला पुलिस, जरूरतमंद और बुजुर्गों तक एसपी ने पहुंचाई दवाइयां

दूसरी ओर डीएफओ ने कहा कि कोरोना को लेकर वन समिति के माध्यम से पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों को जागरूक किया जा रहा है . फूड का वितरण और सामाजिक दूरी बनाकर रहने की सलाह दी गई है.

उन्हें बताया गया है कि जरूरत पड़ी तो तभी पहाड़ से नीचे उतरना है. इन आदिवासियों को हर्बल खेती करने को कहा गया है, ताकि लॉक डाउन में इन चीजों की खेती कर सोशल सोशल डिस्टेंस अपनाते हुए अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकते है.

आज साहिबगंज ग्रीन जोन में है इसकी मुख्य वजह है कि जमीन से लेकर पहाड़ पर बसने वाले हर समुदाय के लोग सरकार के निर्देश का पालन कर रहे हैं. यही वजह है कि साहिबगंज जिले के लोग अमन चैन शांति से रहे हैं आशा है कि आने वाले समय में भी साहिबगंज इसी तरह ग्रीन जोन में बना रहेगा.

साहिबगंज: कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन से सभी वर्ग प्रभावित हो रहे हैं. कोई वर्ग इससे अछूता नहीं है. इसका असर पहाड़ों में बसने वाले आदिवासी गांव में देखा जा सकता है. हालांकि जिला प्रशासन सहयोग कर रहा है. साथ ही वन समिति के माध्यम किया जागरुक भी किया जा रहा है.

आदिवासी इलाकों में पसरा सन्नाटा.

लॉकडाउन का असर पहाड़ों और वनों में रहने वाले आदिवासी समाज पर भी पड़ा है. ये लोग भी परिवार के साथ घर में सुरक्षित दुबके हुए रहते हैं. जिला प्रशासन द्वारा बताए गए निर्देश का हरसंभव पालन कर रहे हैं. वन समिति द्वारा जरूरत का हर एक सामान इन तक पहुंचाया जा रहा है.

हम बात कर रहे हैं बोरियो प्रखंड के करम पहाड़ पर बसने वाले आदिवासी समुदाय के गांव की. कभी इस गांव में चहल पहल हुआ करती थी, लेकिन आज बिल्कुल शांति है.

यह आदिवासी घर से बाहर नहीं निकल रहा रहे हैं. जिला प्रशासन के निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन कर रहे हैं. इन आदिवासियों का कहना है कि जिला प्रशासन द्वारा दाल ,चावल ,नमक, मास्क, साबुन अन्य चीज दी गईं हैं. इन आदिवासियों का कहना है कि कोरोना के बारे में विशेष जानकारी तो नहीं है लेकिन जिला प्रशासन द्वारा बताए हुए निर्देश का पूर्ण रूप से पालन कर रहे हैं.

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दूसरी ओर डीएफओ ने कहा कि कोरोना को लेकर वन समिति के माध्यम से पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों को जागरूक किया जा रहा है . फूड का वितरण और सामाजिक दूरी बनाकर रहने की सलाह दी गई है.

उन्हें बताया गया है कि जरूरत पड़ी तो तभी पहाड़ से नीचे उतरना है. इन आदिवासियों को हर्बल खेती करने को कहा गया है, ताकि लॉक डाउन में इन चीजों की खेती कर सोशल सोशल डिस्टेंस अपनाते हुए अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकते है.

आज साहिबगंज ग्रीन जोन में है इसकी मुख्य वजह है कि जमीन से लेकर पहाड़ पर बसने वाले हर समुदाय के लोग सरकार के निर्देश का पालन कर रहे हैं. यही वजह है कि साहिबगंज जिले के लोग अमन चैन शांति से रहे हैं आशा है कि आने वाले समय में भी साहिबगंज इसी तरह ग्रीन जोन में बना रहेगा.

Last Updated : May 8, 2020, 3:36 PM IST
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