साहिबगंज: जिला के बाल श्रमिक टीचर को पिछले दो सालों से वेतन नहीं मिला है. अब स्कूल के संचालन पर भी रोक लगा दी गई है. जिससे सभी टीचर काफी मायूस हो चुके हैं. उनका कहना है कि ऑफिस-ऑफिस दौड़ने और प्रशासनिक स्तर पर नकारात्मक जबाब ने उनके धैर्य को खत्म कर दिया है.
बाल श्रमिक शिक्षा का हाल है बेहाल
शिक्षकों का कहना है कि 2017 से अब तक वेतन नहीं मिलने पर अब उनकी सहने की क्षमता खत्म हो चुकी है, लगातार समाहरणालय और श्रम कार्यालय का चक्कर लगाते-लगाते अब इनका प्रशासनिक अधिकारी पर से विश्वास खत्म हो चुका है. बाल श्रमिक शिक्षा का कहना है कि 2017 से अब तक वेतन पर रोक लगी हुई है, लगातार ऑफिस के चक्कर लगाने पर मात्र 3 महीने की सैलरी मिली है. दूसरी बात पिछले 6 महीने से स्कूल संचालन करने का आदेश नहीं दिया जा रहा है.
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जिलास्तर से लेकर प्रशासनिक स्तर पर हम बाल श्रमिक शिक्षकों के प्रति कुछ भी संज्ञान नहीं लिया जा रहा है. बच्चों का मिड-डे-मील बंद कर दिया गया है. नए बच्चों के एडमिशन पर रोक लगा दी गई है. जिला प्रशासन के ढुलमुल रवैये से हम काफी मायूस हो चुके हैं. हम बाल श्रमिक शिक्षक आज बाल-बच्चे के साथ सड़क पर आ चुके हैं. पूर्ण रूप से बेरोजगार हो चुके हैं, हमारी सुनने वाला कोई नहीं है.
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इन शिक्षकों का कहना है कि 2 साल से वेतन नहीं मिला है और 6 महीने से स्कूल संचालन करने का आदेश नहीं दिया जा रहा है. समझ में नहीं आता क्या करें. दूसरी तरफ श्रम अधीक्षक का कहना है कि इन शिक्षकों की समस्या से रूबरू हुआ हूं. इनकी समस्या को लेकर बहुत जल्द उपायुक्त से मिल निजात दिलाने का प्रयास करूंगा, हालांकि 3 महीना के वेतन दिया गया है. दो साल से वेतन नहीं मिलने से समस्या जरूर होती होगी, आशा है बहुत जल्द समस्या का समाधान हो जाएगा.
वहीं, निश्चित रूप से 2 साल से वेतन रुकने पर किसी को भी समस्या हो सकती है, यह तो इंसान ही है इनको भी बाल बच्चे होंगे लेकिन सरकार और जिला प्रशासन की उदासीनता की वजह से सिर्फ साहिबगंज में इस तरह की समस्या उत्पन्न हुई है. इनका कहना है कि पाकुड़, हजारीबाग सहित अन्य जिलों में बाल श्रमिक विद्यालय सही तरीके से चल रहा है. सभी शिक्षकों को सही समय पर सैलरी भी मिल रही है.