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कोरोना और महंगाई की वजह से रंग-रोगन का काम करने वालों की दिवाली हुई फीकी, पेंटर पलायन करने को मजबूर - साहिबगंज से मजदूरों का पलायन

साहिबगंज में कोरोना और महंगाई की वजह से रंग-रोगन का काम करने वालों की दिवाली इस बार फीकी हो सकती है. दूसरी लहर के बाद ज्यादातर लोगों की आर्थिक स्थिति खराब है और यही वजह है कि ज्यादातर लोग इस बार घरों की पुताई नहीं करवा रहे हैं. काम नहीं मिलने की वजह से पेंटर पलायन को मजबूर हैं.

Painter not getting work in Diwali
दिवाली में पेंटर को नहीं मिल रहा काम
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Published : Oct 23, 2021, 5:15 PM IST

Updated : Oct 23, 2021, 10:06 PM IST

साहिबगंज: कोरोना और महंगाई का असर पर्व-त्योहारों में दिखने लगा है. दिवाली से एक महीना पहले ही लोग घरों और दुकानों की पुताई में जुट जाते थे, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है. इसके पीछे बड़ी वजह ये है कि पहली लहर की तुलना में कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव ज्यादा रहा. लोग आर्थिक रूप से टूट चुके हैं.

यह भी पढ़ें: यहां स्पेशल बच्चे बनाते हैं खास तरह के दीये, विदेशों में भी है मांग

महंगाई ने तोड़ी कमर

स्कूल नहीं खुलने की वजह से जहां शिक्षक आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ उद्योग धंधा चौपचट होने की वजह से आम आदमी भी किसी तरह जीवन गुजर बसर रहा है. दूसरी लहर के कम होते ही यास तूफान की वजह से भी भारी तबाही हुई. पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने के कारण लोगों की स्थिति लगातार खराब हो रही है. महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है. यही वजह है कि दिवाली में 50% लोग ही अपने घरों की पुताई करा रहे हैं. इसकी मुख्य वजह है कि या तो लोगों के पास पैसे नहीं हैं या कीमत बढ़ने की वजह से इच्छाशक्ति नहीं है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

पेंट की बढ़ी कीमत, दुकानों से ग्राहक नदारद

दुकानदारों का कहना है दीपावली में सिर्फ 10 दिन का वक्त बचा है. ग्राहकों की भीड़ नहीं आ रही है. दिनभर में कुछ ही ग्राहक आते हैं. 2020 में कोरोना का उतना असर नहीं देखा गया था जितना इस साल दिख रहा है. कोरोना की दूसरी लहर में हर वर्ग को लोगों को भारी नुकसान हुआ है. कारोबारियों की हालत खराब होती जा रही है. पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों की वजह से पेंट की कीमत में भी 25 से 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. 4800 रुपए में 20 लीटर बिकने वाले पेंट की कीमत अब 5500 हो गई है. 240 रुपए प्रति लीटर बिकने वाला पेंट 260 से 270 तक पहुंच गया है.

काम नहीं मिलने के चलते पलायन मजबूरी

मजदूरों का कहना है कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार काम नहीं के बराबर मिल रहा है. एक बार काम मिल जाता है तो उसी पैसे से पूरे महीने का खर्च चलाना होता है क्योंकि दोबारा काम मिलना बहुत मुश्किल होता है. ऐसी हालत में मजदूर पलायन करने को विवश हैं. मजदूरों का कहना है कि दिल्ली, पंजाब, गुजरात और मुंबई में ज्यादा काम मिलता है. यहां रहकर अपना और परिवार का पेट पालना मुश्किल हो गया है. दूसरे राज्य जाना मजबूरी है.

जिला उद्योग महाप्रबंधक ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम रोजगार योजना के तहत बेरोजगार युवाओं को रोजगार करने के लिए एक लाख से लेकर 25 लाख तक का लोन दिया जाता है. युवा ऑनलाइन आवेदन कर इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं. यह योजना ऑनलाइन चल रहा है.

साहिबगंज: कोरोना और महंगाई का असर पर्व-त्योहारों में दिखने लगा है. दिवाली से एक महीना पहले ही लोग घरों और दुकानों की पुताई में जुट जाते थे, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है. इसके पीछे बड़ी वजह ये है कि पहली लहर की तुलना में कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव ज्यादा रहा. लोग आर्थिक रूप से टूट चुके हैं.

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महंगाई ने तोड़ी कमर

स्कूल नहीं खुलने की वजह से जहां शिक्षक आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ उद्योग धंधा चौपचट होने की वजह से आम आदमी भी किसी तरह जीवन गुजर बसर रहा है. दूसरी लहर के कम होते ही यास तूफान की वजह से भी भारी तबाही हुई. पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने के कारण लोगों की स्थिति लगातार खराब हो रही है. महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है. यही वजह है कि दिवाली में 50% लोग ही अपने घरों की पुताई करा रहे हैं. इसकी मुख्य वजह है कि या तो लोगों के पास पैसे नहीं हैं या कीमत बढ़ने की वजह से इच्छाशक्ति नहीं है.

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पेंट की बढ़ी कीमत, दुकानों से ग्राहक नदारद

दुकानदारों का कहना है दीपावली में सिर्फ 10 दिन का वक्त बचा है. ग्राहकों की भीड़ नहीं आ रही है. दिनभर में कुछ ही ग्राहक आते हैं. 2020 में कोरोना का उतना असर नहीं देखा गया था जितना इस साल दिख रहा है. कोरोना की दूसरी लहर में हर वर्ग को लोगों को भारी नुकसान हुआ है. कारोबारियों की हालत खराब होती जा रही है. पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों की वजह से पेंट की कीमत में भी 25 से 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. 4800 रुपए में 20 लीटर बिकने वाले पेंट की कीमत अब 5500 हो गई है. 240 रुपए प्रति लीटर बिकने वाला पेंट 260 से 270 तक पहुंच गया है.

काम नहीं मिलने के चलते पलायन मजबूरी

मजदूरों का कहना है कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार काम नहीं के बराबर मिल रहा है. एक बार काम मिल जाता है तो उसी पैसे से पूरे महीने का खर्च चलाना होता है क्योंकि दोबारा काम मिलना बहुत मुश्किल होता है. ऐसी हालत में मजदूर पलायन करने को विवश हैं. मजदूरों का कहना है कि दिल्ली, पंजाब, गुजरात और मुंबई में ज्यादा काम मिलता है. यहां रहकर अपना और परिवार का पेट पालना मुश्किल हो गया है. दूसरे राज्य जाना मजबूरी है.

जिला उद्योग महाप्रबंधक ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम रोजगार योजना के तहत बेरोजगार युवाओं को रोजगार करने के लिए एक लाख से लेकर 25 लाख तक का लोन दिया जाता है. युवा ऑनलाइन आवेदन कर इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं. यह योजना ऑनलाइन चल रहा है.

Last Updated : Oct 23, 2021, 10:06 PM IST
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