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बारिश ने लाई किसानों के चेहरे पर मुस्कान, धान रोपनी में जुटे किसान - साहिबगंज में किसानों को सरकारी बीज नहीं मिला

साहिबगंज में समय पर अच्छी बारिश हो रही है, जिसका किसान फायदा उठाना चाहते हैं. जिले में अबतक सरकारी बीज किसानों को नहीं मिल पाया है, लेकिन फिर भी कुछ किसान घर में रखे पुराने बीज और कुछ किसान बाजारों से महंगे दामों में बीज खरीदकर रोपनी में जुट गए हैं. जिले में 49 हजार हेक्टेयर जमीन पर धान रोपनी का लक्ष्य है, जिसमें 10 प्रतिशत जमीनों पर रोपनी अबतक हुई है.

Paddy transplantation started in Sahibganj
धान रोपनी में लगे किसान
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Published : Jul 6, 2020, 6:47 PM IST

साहिबगंज: जिले में अच्छी बारिश ने किसानों के चेहरे पर मुस्कान ला दिया है. किसान समय से पहले ही धान रोपनी में जुट गए हैं. किसानों को सरकारी अनुदान पर अबतक बीज नहीं मिला है, जिसके कारण किसानों ने अपने घरों में रखे पुराने बीज या बाजारों से बीज खरीदकर धान रोपनी शुरू कर दिया है. जिले का हर किसान अधिक समय अपने खेतों में मेहनत कर रहे हैं. इस बार साहिबगंज में 49 हजार हेक्टयर जमीन पर धान रोपनी का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें अभी तक 10 प्रतिशत जमीन पर ही रोपनी शुरू हुई है.

देखें स्पेशल स्टोरी

किसानों को नहीं मिला सरकारी बीज
किसानों का कहना है कि सरकारी बीज विलंब से आने के वजह से किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है, लेकिन जिले में अच्छी बारिश हो रही है, हर किसान चाहता है कि समय अनुकूल रहते खेत में धान रोपनी हो जाए, विलंब होने से धान रोपनी नहीं हो पाएगा, इसलिए सभी किसान अपने खेत में अपना बीज या बाजार से महंगे दाम पर खरीदकर धान रोपनी कर रहा है. किसानों का कहना है कि यदि सरकारी बीज पहले आ जाता तो अनुदान पर सभी किसान को बीज भी मिलता और किसानों को राहत भी मिलता.

इसे भी पढे़ं:- साहिबगंज: पहाड़ों पर बसे गांव स्वास्थ्य सुविधा से कोसो दूर, लोग खाट पर लाश ढोने को मजबूर

49 हजार हेक्टेयर जमीन पर धान रोपनी का लक्ष्य

वहीं जिला कृषि अधिकारी ने कहा कि जिले में 49 हजार हेक्टेयर जमीन पर धान रोपनी का लक्ष्य है, जिसमें अभीतक मात्र 10% धन जमीन पर ही रोपनी हुआ है, यह सच्चाई है कि सरकारी बीच काफी विलंब से आने के बाद किसान इसका लाभ नहीं उठा पाए हैं, सभी किसान अपने घर में रखे बीज या बाजार से खरीद कर धान रोपनी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार का जो भी पॉलिसी है उसमें हम कुछ भी नहीं कर सकते हैं.

किसान मौसम का उठाना चाह रहे फायदा
किसानों को समय से पहले आज तक सरकारी बीज अनुदान पर नहीं मिला है. इस साल भी किसानों को अबतक समय पर सरकारी बीज नहीं मिल पाया है. रोहिणी नक्षत्र शुरू होते ही बारिश शुरू हो जाती है, किसान कोई जोखिम नहीं उठाना चाहतें हैं और समय अनुकूल रहते खेतों में धान रोपनी कर देना चाहता हैं, चाहे महंगे दाम पर बीज क्यों न खरीदना पड़े.

साहिबगंज: जिले में अच्छी बारिश ने किसानों के चेहरे पर मुस्कान ला दिया है. किसान समय से पहले ही धान रोपनी में जुट गए हैं. किसानों को सरकारी अनुदान पर अबतक बीज नहीं मिला है, जिसके कारण किसानों ने अपने घरों में रखे पुराने बीज या बाजारों से बीज खरीदकर धान रोपनी शुरू कर दिया है. जिले का हर किसान अधिक समय अपने खेतों में मेहनत कर रहे हैं. इस बार साहिबगंज में 49 हजार हेक्टयर जमीन पर धान रोपनी का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें अभी तक 10 प्रतिशत जमीन पर ही रोपनी शुरू हुई है.

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किसानों को नहीं मिला सरकारी बीज
किसानों का कहना है कि सरकारी बीज विलंब से आने के वजह से किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है, लेकिन जिले में अच्छी बारिश हो रही है, हर किसान चाहता है कि समय अनुकूल रहते खेत में धान रोपनी हो जाए, विलंब होने से धान रोपनी नहीं हो पाएगा, इसलिए सभी किसान अपने खेत में अपना बीज या बाजार से महंगे दाम पर खरीदकर धान रोपनी कर रहा है. किसानों का कहना है कि यदि सरकारी बीज पहले आ जाता तो अनुदान पर सभी किसान को बीज भी मिलता और किसानों को राहत भी मिलता.

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49 हजार हेक्टेयर जमीन पर धान रोपनी का लक्ष्य

वहीं जिला कृषि अधिकारी ने कहा कि जिले में 49 हजार हेक्टेयर जमीन पर धान रोपनी का लक्ष्य है, जिसमें अभीतक मात्र 10% धन जमीन पर ही रोपनी हुआ है, यह सच्चाई है कि सरकारी बीच काफी विलंब से आने के बाद किसान इसका लाभ नहीं उठा पाए हैं, सभी किसान अपने घर में रखे बीज या बाजार से खरीद कर धान रोपनी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार का जो भी पॉलिसी है उसमें हम कुछ भी नहीं कर सकते हैं.

किसान मौसम का उठाना चाह रहे फायदा
किसानों को समय से पहले आज तक सरकारी बीज अनुदान पर नहीं मिला है. इस साल भी किसानों को अबतक समय पर सरकारी बीज नहीं मिल पाया है. रोहिणी नक्षत्र शुरू होते ही बारिश शुरू हो जाती है, किसान कोई जोखिम नहीं उठाना चाहतें हैं और समय अनुकूल रहते खेतों में धान रोपनी कर देना चाहता हैं, चाहे महंगे दाम पर बीज क्यों न खरीदना पड़े.

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