साहिबगंज: दो जून को ओडिशा के बालेश्वर में भीषण ट्रेन दुर्घटना में साहिबगंज के पुरानी साहिबगंज निवासी नकुल उर्फ भीम चौधरी की मौत हो गई थी. परिजन तीन जून को घर से भीम को खोजने के लिए निकले थे. ओडिशा के बालेश्वर पहुंचकर परिजनों ने शव की शिनाख्त की. वहीं रेलवे प्रशासन ने शव को सौंपने से पहले उसका डीएनए टेस्ट कराया. डीएनए रिपोर्ट आने में काफी विलंब हुआ. 30 जून को रिपोर्ट मिलने के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया.
25 दिनों से परिजन ओडिशा में जमे हुए थेः 25 दिनों से साहिबगंज से भीम चौधरी के माता-पिता, भाई अर्जुन, साला महादेव ओडिशा के बालेश्वर में जमे हुए थे. शव की पहचान होने के बाद रेलवे प्रशासन ने मृतक की पत्नी प्रेमलता को 10 लाख रुपए के मुआवजा का चेक सौंपा है. शुक्रवार की रात करीब 10 बजे भुवनेश्वर से परिजन साहिबगंज के लिए रवाना हुए थे.
शनिवार को शव पहुंचा साहिबगंजः करीब 24 घंटे में परिजन शव को लेकर साहिबगंज पहुंचे हैं. इस संबंध में मृतक का भाई अर्जुन ने बताया कि दो वाहन रेलवे प्रशासन की तरफ से मिला था. सारा खर्च रेलवे के द्वारा किया गया है. शव का दाह-संस्कार शहर के मुनिलाल श्मशान घाट पर कर दिया जाएगा. मृतक भीम चौधरी के ढाई साल का पुत्र भोलू पिता को मुख्याग्नि देगा. बताते चलें कि नकुल उर्फ भीम चौधरी अपने पीछे तीन संतान, पत्नी और माता-पिता सहित भरापूरा परिवार छोड़ गया है. वहीं शव पहुंचने के बाद गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया है.
रेल हादसे में साहिबगंज के तीन लोगों की हुई थी मौतः गौरतलब है कि एक जून को साहिबगंज से नकुल सहित तीन लोग चेन्नई काम करने के लिए कोलकाता रवाना हुए थे. दो जून की शाम कोलकाता से तीनों ने ट्रेन पकड़ी थी. दो जून की शाम करीब 7:30 बजे दो एक्सप्रेस ट्रेन के बीच मालगाड़ी के आ जाने से 275 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे. जिसमें साहिबगंज के दो युवकों की मौत हो गई थी और एक घायल हो गया था. दो शव घटना के दो दिन के बाद साहिबगंज पहुंच गया था, लेकिन भीम चौधरी के शव पर दो लोग दावा कर रहे थे. इस कारण जांच चल रही थी. आखिरकार 28 दिन के बाद डीएनए की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद रेलवे ने परिजनों को शव सौंप दिया. साहिबगंज के तीनों युवकों की मौत रेल दुर्घटना में हो गई थी.