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साहिबगंज में बाढ़ का प्रकोप, राहत शिविर में राहत नहीं, बच्चे हो रहे बीमार - साहिबगंज में बाढ़ के लिए कोई स्वास्थ्य शिविर नहीं

साहिबगंज के कई इलाके में बाढ़ की स्थिति भयावह है. जिसके कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा. छोटे-छोटे बच्चे बीमार पड़ रहे हैं. इन बच्चों के लिए स्वास्थ्य शिविर की व्यवस्था नहीं की गई है.

no health camp for flood in sahibganj
बाढ़ पीड़ित
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Published : Aug 22, 2021, 12:49 PM IST

साहिबगंज: बाढ़ पीड़ितों के लिए जिला प्रशासन ने राहत शिविर का प्रबंध किया है. जिसके तहत शहर के कई सरकारी स्कूलों को चिन्हित कर बाढ़ पीड़ितों को रखा जा रहा है. इन बाढ़ पीड़ितों की पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन ने उठाई है. जब तक घर के अंदर से पानी निकल नहीं जाता, तब तक इन लोगों को खाने-पीने और स्वास्थ सुविधा मुहैया कराना जिला प्रशासन की प्राथमिकता है. लेकिन प्रशासन के इंतजाम पूरे नहीं हैं.

ये भी पढ़ें- साहिबगंज में गंगा खतरे के निशान के पार, फेरी सेवा बंद

जिला प्रशासन की खुली पोल

ईटीवी भारत की टीम ने बाढ़ राहत शिविर में पहुंच कर लोगों को वहां हो रही समस्याओं के बारे में जानने की कोशिश की तो जिला प्रशासन की पोल खुलती हुई नजर आई है. शिविर में रह रहे लोगों ने बताया कि दोपहर के समय सिर्फ चुड़ा, गुड़ थोड़ा बहुत मिल जाता है. उसके बाद कुछ भी खाने को नहीं मिलता है. वहीं, दहला स्थित हरिजन स्कूल में रह रहे लोगों को पूरी तरह से मदद नहीं मिल पाई है. लोग किसी तरह अपने से व्यवस्था कर भोजन कर रहे हैं. इस आपदा में काम धाम पूरी तरह से बंद है. घर में पानी घुस चुका है. ऐसी परिस्थिति में जिला प्रशासन पूरी तरह से मदद नहीं कर रहा है.

देखें पूरी खबर

स्वास्थ्य शिविर की व्यवस्था नहीं

इस बार बाढ़ का पानी घर में घुस आया है. जिससे लोग स्कूल में शरण लिए हुए हैं. लोगों की भीड़ अधिक है. इस दौरान बच्चों की तबीयत बहुत अधिक खराब हो रही है. बच्चों में खुजली, बुखार और डायरिया जैसी बीमारी हो रही है. इसके बावजूद जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य शिविर नहीं लगाया है. ना तो कोई डॉक्टर आता है और ना ही कोई नर्स. इस विकट परिस्थिति में पैसा जुगाड़ कर नजदीकी क्लीनिक में दिखाकर दवाई कर रहे हैं. ग्रामीणों ने कहा कि वार्ड पार्षद की बदमाशी से हम गरीबों को राहत सामग्री नहीं मिल रही है.

साहिबगंज: बाढ़ पीड़ितों के लिए जिला प्रशासन ने राहत शिविर का प्रबंध किया है. जिसके तहत शहर के कई सरकारी स्कूलों को चिन्हित कर बाढ़ पीड़ितों को रखा जा रहा है. इन बाढ़ पीड़ितों की पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन ने उठाई है. जब तक घर के अंदर से पानी निकल नहीं जाता, तब तक इन लोगों को खाने-पीने और स्वास्थ सुविधा मुहैया कराना जिला प्रशासन की प्राथमिकता है. लेकिन प्रशासन के इंतजाम पूरे नहीं हैं.

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जिला प्रशासन की खुली पोल

ईटीवी भारत की टीम ने बाढ़ राहत शिविर में पहुंच कर लोगों को वहां हो रही समस्याओं के बारे में जानने की कोशिश की तो जिला प्रशासन की पोल खुलती हुई नजर आई है. शिविर में रह रहे लोगों ने बताया कि दोपहर के समय सिर्फ चुड़ा, गुड़ थोड़ा बहुत मिल जाता है. उसके बाद कुछ भी खाने को नहीं मिलता है. वहीं, दहला स्थित हरिजन स्कूल में रह रहे लोगों को पूरी तरह से मदद नहीं मिल पाई है. लोग किसी तरह अपने से व्यवस्था कर भोजन कर रहे हैं. इस आपदा में काम धाम पूरी तरह से बंद है. घर में पानी घुस चुका है. ऐसी परिस्थिति में जिला प्रशासन पूरी तरह से मदद नहीं कर रहा है.

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स्वास्थ्य शिविर की व्यवस्था नहीं

इस बार बाढ़ का पानी घर में घुस आया है. जिससे लोग स्कूल में शरण लिए हुए हैं. लोगों की भीड़ अधिक है. इस दौरान बच्चों की तबीयत बहुत अधिक खराब हो रही है. बच्चों में खुजली, बुखार और डायरिया जैसी बीमारी हो रही है. इसके बावजूद जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य शिविर नहीं लगाया है. ना तो कोई डॉक्टर आता है और ना ही कोई नर्स. इस विकट परिस्थिति में पैसा जुगाड़ कर नजदीकी क्लीनिक में दिखाकर दवाई कर रहे हैं. ग्रामीणों ने कहा कि वार्ड पार्षद की बदमाशी से हम गरीबों को राहत सामग्री नहीं मिल रही है.

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