साहिबगंज: पूरे देश में कोविड-19 की मार से कोई अछूता नहीं है. यही वजह है कि केंद्र और राज्य सरकारों ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लॉकडाउन का सहारा लिया. इस दौरान लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक लगाई गई. कुछ जरूरी सामान और सेवाओं के अलावा बाकी सभी कारोबार और इंडस्ट्री में भी ताले लग गए. यही कारण है कि जितने भी उद्योग, व्यवसाय है सब ठप पड़ गए और उनमें काम करने वाले लोग भी बेरोजगारी की कगार पर आ खड़े हुए हैं. यही कारण है कि लोगों का पलायन फिर से एक बार अपने-अपने स्थानीय क्षेत्रों की तरफ हुआ. साहिबगंज में लगभग 32 हजार प्रवासी मजदूरों की वापसी हुई है. प्रशासन ने लगभग 22 हजार 600 प्रवासी मजदूर को जॉब कार्ड दिया. मनरेगा में लगभग 5 हजार 432 मजदूरों को जोड़कर रोजगार मुहैया कराया गया.
प्रवासी मजदूर ने ईटीवी भारत से क्या कहा
मजदूरों का कहना है कि मनरेगा के तहत डोभा और नाली बनाने के काम में जुटे हुए हैं. कुछ दिनों से काम मिला है. इसी तरह रोजाना काम मिले, तो किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी. परदेस मजबूरन काम की तलाश में जाते हैं. यहां से अधिक कमाई होती है, लेकिन बचत बहुत कम होती है. अगर अपने गॉव में काम मिले तो जाने की क्या जरूरत है.
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मुखिया ने किया काम देने का दावा
मुखिया सेलिना मुर्मू ने कहा है कि मनरेगा के तहत प्रवासी मजदूरों को डोभा का काम दिया गया है. कुआं खुदाई का काम भी मिला है. गांव में नाला-नाली का भी काम मिला है. उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश रहेगी कि सभी को रोजगार मिले, ताकी कोई भूखा ना रहे.
उद्योग लगने से मिलेगा रोजगार
वहीं, उद्योग विभाग के जीएम ने मामले को लेकर कहा है कि बेरोजगार युवकों को रोजगार मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत अनुदान पर ऋण मुहैया कराया जा रहा है. 79 आवेदकों को ऋण देने जा रहे हैं. 2 करोड़ 23 लाख रुपये की सब्सिडी देकर रोजगार मुहैया कराया जाएगा. साहिबगंज में छोटे-बड़े उद्योग स्थापित होते हैं, तो बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलेगा.
मजदूरों को दिया जॉबकार्ड
उपविकास आयुक्त ने जानकारी दी है कि 31,869 प्रवासी मजदूर वापस घर लौटे हैं, जिसमें 22,617 लोगों को जॉबकार्ड दे दिया गया है. मनरेगा से 5,432 प्रवासी मजदूरों को जोड़कर रोजगार दिया गया है. उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों के बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देने की पहल शुरू हो चुकी है.
रोजगार देने के लिए बनी 5 कमेटी
उपायुक्त ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिए 5 कमेटी बनाई गई है. सभी कमिटी अलग-अलग क्षेत्र में काम कर रही हैं. पहली कमेटी में सरकारी योजना से जोड़कर, मसलन मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास, शौचालय निर्माण से जोड़ेंगे. दूसरी कमेटी में आजीविका मिशन को और मजबूत करके लोगों को जोड़ेंगे. मसलन, डेयरी, मत्स्य पालन, कृषि आदि. तीसरी कमिटी में महिलाओं को घर में रोजगार मुहैया कराया जा रहा है. मसलन, घर मे अचार बनाना, सिलाई, बुनाई सहित अन्य काम. चौथी कमेटी में जो बेरोजगार युवा रोजगार करना चाहते हैं, उन्हें मुद्रा लोन और पीएमईजीपी के तहत लोन मुहैया कराना. पांचवी कमेटी के तहत जिले में चल रहे बड़े-बड़े प्रोजेक्ट में रोजगार देने की पहल की जा रही है.